सचल पालना गृह घोटाला : जल्द कसेगा सीबीआई का शिकंजा, निशाने पर कई अफसर व एनजीओ संचालक
सचल पालना गृह घोटाला सीबीआई ने उप्र समाज कल्याण बोर्ड की पूर्व अध्यक्ष रूपल अग्रवाल के बयान दर्ज करने के बाद कई आरोपितों को पूछताछ के लिए तलब किया है।
लखनऊ, जेएनएन। समाजवादी पार्टी (SP) शासनकाल में हुए सचल पालना गृह घोटाले में सीबीआई का शिकंजा जल्द कई एनजीओ संचालकों व समाज कल्याण विभाग के अधिकारियों पर कस सकता है। सूत्रों का कहना है कि सीबीआई ने उप्र समाज कल्याण बोर्ड की पूर्व अध्यक्ष रूपल अग्रवाल के बयान दर्ज करने के बाद कई आरोपितों को पूछताछ के लिए तलब किया है। सीबीआई अब तक जुटाए गए साक्ष्यों के आधार पर अपनी जांच के कदम तेजी से आगे बढ़ा रही है।
सीबीआई इस घोटाले में 250 से अधिक एनजीओ की भूमिका की जांच कर रही है। सीबीआई जांच के घेरे में आए कई एनजीओ को दूसरे विभागों से भी काम मिलने की बात सामने आई है। अलग-अलग जिलों में काम करने वाले कई एनजीओ एक ही पते पर रजिस्टर्ड थे। नौ ऐसे एनजीओ भी थे, जिन्हें प्रशिक्षण के नाम पर लाखों रुपये का अग्रिम भुगतान भी किया गया था। जब यह रकम दी गई थी, तब पालना गृह संचालित होने शुरू हो गए थे।
सीबीआई जांच में यह भी सामने आया था कि एक सचल पालना गृह में 25 बच्चों को रखा जाना था। इसके लिए श्रमिकों को चिह्नित कर उनके पूरे परिवार का ब्योरा लेकर उनका पंजीकरण श्रम विभाग में कराया जाना था। इसके बाद पंजीकृत श्रमिकों के बच्चों को पालना गृह में रखा जाना था, लेकिन कई एनजीओ संचालकों ने श्रम विभाग में पहले से पंजीकृत बच्चों के नाम अपने रजिस्टर में चढ़ा लिए थे। ऐसे कई बिंदुओं पर छानबीन की जा रही है। सीबीआइ पूर्व में इस योजना के संचालन से जुड़े कई अधिकारियों से पूछताछ भी कर चुकी है।
उल्लेखनीय है कि सपा शासनकाल में मजदूरों के बच्चों के लिए सचल पालना गृह खोले जाने की योजना शुरू की गई थी जिसमें करीब 48.96 करोड़ रुपये के घोटाले की बात सामने आई थी। हाई कोर्ट के आदेश पर सीबीआइ इस घोटाले की जांच कर रही है। इसी क्रम में सीबीआई ने मामले में समाज कल्याण बोर्ड की पूर्व अध्यक्ष रूपल अग्रवाल के बयान दर्ज किए। रूपल अग्रवाल ने पूर्व में कुछ दस्तावेज भी सीबीआइ को सौंपे थे।
सपा शासनकाल में हुई थी 50 करोड़ की धांधली
सीबीआई लखनऊ की एंटी करप्शन ब्रांच सपा शासनकाल में हुए सचल पालना गृह घोटाले की जांच कर रही है। हाई कोर्ट ने वर्ष 2017 में घोटाले की सीबीआई जांच के आदेश दिए थे। करीब 48.96 करोड़ के इस घोटाले में यूपी के 250 से अधिक एनजीओ की भूमिका जांच के घेरे में हैं। सीबीआई ने पूर्व में अपनी जांच के दौरान सरकारी धन हड़पने में दोषी पाए गए 200 से अधिक एनजीओ को ब्लैक लिस्ट किए जाने की सिफारिश भी की थी।
मजदूरों के बच्चों के लिए खोले गए सचल पालना गृह
दरअसल, मजदूरों के बच्चों के लिए खोले गए सचल पालना गृहों में सरकारी धन का गबन किया गया था। रजिस्टरों में बच्चों की मौजूदगी दिखाकर बड़े खेल किए गए थे। बताया गया कि रूपल अग्रवाल घोटाले की अवधि के बाद वर्ष 2015 में समाज कल्याण बोर्ड की अध्यक्ष बनी थीं। उन्होंने भी घोटाले की सीबीआइ जांच कराने के प्रयास किए थे। सीबीआइ ने अब तक की गई जांच के आधार पर कई बिंदुओं पर उनके बयान दर्ज किए हैं। जल्द सीबीआइ का शिकंजा कई एनजीओ संचालकों व घोटाले से जुड़े अधिकारियों पर कस सकता है।
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