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    Mohan Bhagwat: गीता जीवन का विज्ञान भी है और मृत्यु का भी समाधान: सरसंघचालक मोहन भागवत

    By Dharmendra PandeyEdited By: Dharmendra Pandey
    Updated: Sun, 23 Nov 2025 05:22 PM (IST)

    RSS Chief Mohan Bhagwat in Lucknow: सरसंघचालक ने प्रखर शब्दों में कहा कि दुनिया आज जिस तरह से डगमगा रही है, जिस प्रकार मूल्य, नीति और मानवता लड़खड़ा रही है, वैसा ही दृश्य महाभारत के युद्धभूमि में अर्जुन के सामने था।

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    राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत

    राज्य ब्यूरो, जागरण, लखनऊ: आरएसएस के सरसंघचालक डा. मोहन भागवत ने रविवार को दिव्य गीता प्रेरणा उत्सव कार्यक्रम में कहा कि हमें गीता पढ़नी ही नहीं, उसे जीना है। हर व्यक्ति प्रतिदिन दो श्लोक पढ़कर उसे जीवन में लागू करे तो वह वर्ष भर में ‘गीता मय’ बन सकता है

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    सरसंघचालक ने प्रखर शब्दों में कहा कि दुनिया आज जिस तरह से डगमगा रही है, जिस प्रकार मूल्य, नीति और मानवता लड़खड़ा रही है, वैसा ही दृश्य महाभारत के युद्धभूमि में अर्जुन के सामने था। अर्जुन भी भ्रम, शोक और मोह से विह्वल होकर युद्ध छोड़ने की स्थिति में पहुंच गया था, लेकिन भगवान श्रीकृष्ण के गीता–ज्ञान ने अर्जुन के भीतर धर्म, साहस और कर्तव्य की प्रचंड ज्योति प्रज्वलित कर दी।

    भागवत ने कहा कि जीवन के अत्यंत विपत्ति-क्षणों में भी गीता वह दिव्य शास्त्र है, जो मनुष्य को अंधकार से बाहर खींचकर दृढ़ता, समाधान और निर्भयता प्रदान करती है। उन्होंने स्पष्ट कहा कि “गीता केवल पढ़ने की वस्तु नहीं, बल्कि जीने की प्रक्रिया है;
    जो गीता को अपनाएगा, वही संकट से उबरेगा।”

    उन्होंने यह भी कहा कि आज जब पूरी दुनिया अव्यवस्था, संघर्ष और नैतिक भ्रम से गुजर रही है, ऐसे समय में गीता ही वह शाश्वत मार्गदर्शक है जो मानवता को संतुलन और धर्म के पथ पर पुनः स्थापित कर सकती है। भागवत ने अंत में कहा कि गीता जीवन का विज्ञान भी है और मृत्यु का भी समाधान, इसलिए मनुष्य चाहे जिए या मरे—गीता ही उसके अस्तित्व का आधार होनी चाहिए।

    दिव्य गीता प्रेरणा उत्सव का मकसद भगवद् गीता के यूनिवर्सल और जीवन को बेहतर बनाने वाले संदेशों को बढ़ावा देना है। इस कार्यक्रम में हजारों श्रद्धालु, विद्वान और गणमान्य लोग शामिल हुए और इसका आयोजन 'श्रीकृष्ण कृपा जियो गीता परिवार, उत्तर प्रदेश' कर रहा है। प्रेरणा स्रोत पूज्य गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानंद जी महाराज हैं।

    संघ प्रमुख ने कहा कि हजारों वर्ष पहले की तरह आज भी दुनिया में महाभारत हो रहे हैं, अपराध भी समान रूप से मौजूद हैं। भौतिक समृद्धि बढ़ी है, लेकिन नीति और शांति की कमी से मनुष्य अस्थिर है। आज दुनिया असमंजस की स्थिति में है। गीता के माध्यम से सही दिशा दी जा सकती है। उन्होंने कहा कि लाभ, हानि, यश-अपयश की चिंता छोड़कर धर्म के लिए कर्म करना ही वास्तविक श्रेष्ठता है। यही सफलता का मार्ग है।

    राजधानी के जनेश्वर मिश्र पार्क में आयोजित कार्यक्रम में संघ प्रमुख ने कहा कि अर्जुन के गंभीर प्रश्नों का उत्तर ही गीता है। गीता हमें समस्या से भागने के बजाय उसका सामना करने की प्रेरणा देती है। हमें धर्म रक्षा के लिए लड़ना है। छोटा कार्य जो निष्काम से किया गया हो वह धर्म है। भारत की परंपरा में धर्म के साथ शांति और सौहार्द की व्यवस्था है। गीता के मार्ग पर चलकर ही भारत फिर से विश्व गुरु बन सकता है।उन्होंने कहा कि धर्म के आधार पर तुम संघर्ष करते रहो। परिणाम जो भी हो सफलता मिले या असफलता आखिर में वह तुम्हारे लिए ही लाभदायक होगी।

    उन्होंने सीख देते हुए कहा कि व्यक्ति को लगता है कि यह सब ऐसे होगा, वैसा होगा, लेकिन याद रखो इस दुनिया को चलाने वाले तुम नहीं हो। कार्य करने वाला कोई और है। यह तुम्हारा अहंकार है जो कहता है कि मैं कर रहा हूं। अन्याय और असत्य के आगे सिर झुकाकर जीने के बजाय, एक क्षण के लिए भी बिजली की तरह चमककर नष्ट हो जाने से भी कीर्ति बढ़ती है। 'हमारा देश पूरे विश्व का विश्व गुरु था, भारत दुनिया के लिए बड़ा सहारा था। एक हजार वर्षों तक आक्रमणकारियों के पैरों तले रौंदा गया। हमें गुलामी में रहना पड़ा। धार्मिक स्थलों को नष्ट कर दिया गया। जबरन धर्मांतरण होने लगे। ये सब था तब भी यह भारतवर्ष था। अब राम मंदिर पर झंडा फहराने वाले हैं यह तब भी भारत था, यह अब भी भारत है।

    इससे पहले कार्यक्रम के आयोजक स्वामी ज्ञानानंद जी महाराज ने कहा कि धर्म का अर्थ है 'कर्तव्य विशेष'। आज कर्तव्य से अधिक अधिकार की बात होती है। दिव्य गीता प्रेरणा उत्सव के माध्यम से समाज का जागरण किया जा रहा है। आरएसएस नागरिक कर्तव्य के माध्यम से स्मार्ट सिटीजन का निर्माण कर रहा है। जल्द ही ब्रेल लिपि गीता के माध्यम से मूकबधिर समाज को उपलब्ध कराई जायेगी। कार्यक्रम में अखिल भारतीय आचार्य महासभा के महासचिव स्वामी परमात्मानंद, श्रीधराचार्य, संतोषाचार्य ‘सतुआ बाबा’, स्वामी धर्मेंद्र दास, रामचंद्र दास, स्वामी शशिकांत दास उपस्थित थे। कार्यक्रम का संयोजन अवकाश प्राप्त आइएएस अधिकारी मणि प्रसाद मिश्र ने किया।

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    मोहन भागवत ने लखनऊ दौरे पर आध्यात्मिक और संगठनात्मक कार्यक्रमों में हिस्सा लिया और शाम को अयोध्या के लिए रवाना हो गए। 24 नवंबर को गुरु तेग बहादुर के शहीदी दिवस के मौके पर गुरुद्वारा ब्रह्मकुंड में आयोजित कार्यक्रम में शामिल होंगे। मोहन भागवत अयोध्या में साधुओं, संतों, बुद्धिजीवियों और संघ के पदाधिकारियों से भी मिलेंगे।