जांच के घेरे में पीएफआइ की भूमिका, प्रदेश का माहौल बिगाड़ने का प्रयास, गहनता से की जा रही पड़ताल
Role of PFI under Investigation डीजीपी मुख्यालय में साइबर क्राइम सेल आपत्तिजनक व भ्रामक पोस्ट को लेकर निरंतर छानबीन करती है। पाकिस्तान से बढ़े तनाव के बाद विशेष टीम बनाकर इंटरनेट मीडिया के सभी प्लेटफार्म पर पाकिस्तान के समर्थन में की जा रही पोस्टों की विशेष निगरानी शुरू की गई थी।
राज्य ब्यूरो, जागरण, लखनऊ : पाकिस्तान से बढ़े तनाव के बाद देश और प्रदेश की आंतरिक सुरक्षा को बिगाड़ने के लिए इंटरनेट मीडिया के माध्यम से एक बार फिर गहरा षड्यंत्र रचा जा रहा था। प्रतिबंधित संगठन पापुलर फ्रंट आफ इंडिया (पीएफआइ) और उससे जुड़े लोगों की भूमिका भी संदेह के घेरे में है।
राष्ट्र विरोधी व आपत्तिजनक कई पोस्टों को लेकर गहनता से छानबीन की जा रही है। आशंका है कि ऐसी पोस्ट कराने में पीएफआइ के कई पूर्व पदाधिकारियों की सक्रिय भूमिका रही है। सूत्रों को कहना है कि सोशल मीडिया सेल के माध्यम से सामने आए तथ्यों के आधार पर कुछ संदिग्ध युवकों को लेकर छानबीन शुरू की गई है। पीएफआइ के कई सक्रिय सदस्यों की इंटरनेट मीडिया की गतिविधियों को भी खंगाला जा रहा है।
डीजीपी मुख्यालय में साइबर क्राइम सेल आपत्तिजनक व भ्रामक पोस्ट को लेकर निरंतर छानबीन करती है। पाकिस्तान से बढ़े तनाव के बाद विशेष टीम बनाकर इंटरनेट मीडिया के सभी प्लेटफार्म पर पाकिस्तान के समर्थन में की जा रही पोस्टों की विशेष निगरानी शुरू की गई थी। जांच में सामने आए ऐसे 40 से अधिक अकाउंट को ब्लाक (बंद) भी कराया गया है।
पुलिस ने राष्ट्र विरोधी पोस्ट करने के मामलों में अलग-अलग जिलों में मुकदमे दर्ज कर 25 आरोपितों को गिरफ्तार भी किया है। इनमें अधिकतर आरोपित कानपुर, मेरठ, संभल, कासगंज, बदायूं, बरेली, मुजफ्फरनगर व बुलंदशहर के हैं। जम्मू-कश्मीर में हुए आतंकी हमले के बाद पाकिस्तान से बढ़े तनाव के बाद से कई भ्रामक पोस्ट के माध्यम से माहौल बिगाड़ने का प्रयास भी किया जाता रहा है। अब ऐसी पोस्टों को चिन्हित कर उनके पीछे शामिल रहे लोगों की पड़ताल शुरू की गई है। संदेह है कि कुछ संगठनों की इसमें सक्रिय भूमिका रही है। खुफिया तंत्र को भी सक्रिय किया गया है। संवेदनशील जिलों में ऐसे तथ्वों को लेकर गहनता से छानबीन के निर्देश दिए गए हैं।
आतंकवाद को बढ़ावा देने वाली गतिविधियों में सक्रियता और देश के लिए खतरा माने जाने पर केंद्र सरकार ने 2022 में पीएफआई पर प्रतिबंध लगा दिया था। पीएफआई पर कई आरोप के दौरान उससे जुड़े लोगों का कहना है कि उनके आतंकवादी संगठनों के साथ संबंध हैं। पीएफआई ने हिंसा और दंगे भड़काने में मदद की और समाज में अराजकता पैदा करने की कोशिश की है। जहां पीएफआई खुद को एक सामाजिक आंदोलन के रूप में प्रस्तुत करता था, वहीं ईडी की जांच ने इसके वास्तविक एजेंडे का पर्दाफाश किया। जांच में पता चला कि इसका मकसद था हिंसक जिहाद के जरिए से भारत में अशांति फैलाना और देश को अस्थिर करना।
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