Lucknow News: रोते-बिलखते बैंक पहुंचे ग्राहकों ने खाली किए लॉकर, कईयों के तो लुट गए लाखों के जेवर और नगदी
लखनऊ में एक हैरान करने वाली घटना सामने आई है। रविवार को सेंध लगाकर इंडियन ओवरसीज बैंक में घुसे बदमाशों ने 42 लॉकर काट दिए और लाखों रुपये का माल चुरा ले गए। पुलिस को इस बड़ी चोरी की भनक तक नहीं लगी। सोमवार को लोगों को अखबार से डकैती की जानकारी हुई तो वे बैंक पहुंचे। उन्होंने अपने लॉकर खाली कर लिए हैं।

जागरण संवाददाता, लखनऊ। इंडियन ओवरसीज बैंक में रविवार को पड़ी डकैती के दूसरे दिन सुबह 9:30 बजे से ही लोग अपने लाकर देखने पहुंचने लगे थे। बैंक के अधिकारी व कर्मचारी ग्राहकों को समझाने का प्रयास कर रहे थे लेकिन लॉकर धारक कुछ सुनने को तैयार नहीं थे। बैंक ने सोमवार को सुरक्षा की दृष्टि से दो बंदूकधारी भी तैनात करवा रखे थे।
अगर यही व्यवस्था लॉकर टूटने से पहले होती तो शायद लाकर न टूटे होते। जैसे ही बैंक खुलता है, वैसे ही एक साथ कई ग्राहक बैंक में प्रवेश करने के लिए आगे बढ़ते हैं, तभी गार्ड ग्राहकों से आग्रह करता है कि एक-एक करके जाएं। यह ग्राहक कोई खाते से पैसा निकालने नहीं आए थे, सभी को अपने लॉकर देखने थे, लेकिन बैंक प्रशासन ने इन्हें लॉकर सुबह 11 बजे से दिखाने शुरू किए। तब तक ग्राहक बैंक में ही बैठे रहे।
अखबार से मिली लॉकर टूटने की सूचना
कई अपने साथ अपनी पुरानी डायरी लेकर आए थे, जिनमें लॉकर में रखे सामानों की सूची थी। इनमें से किसी भी लॉकर धारक को बैंक ने लॉकर टूटने की सूचना नहीं दी। इसको लेकर सबसे ज्यादा लोगों में नाराजगी रही। ग्राहकों का तर्क था कि उन्हें अखबारों के माध्यम से लॉकर टूटने का पता चला।
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42 लॉकर तोड़कर सामान लूट ले गए चोर
चिनहट के मटियारी चौराहे स्थित इंडियन ओवरसीज बैंक में 90 लाकर थे जिनमें से 42 को तोड़कर डकैत लूट ले गए थे। इनमें किसी के जीवन भर की पूंजी चली गई तो किसी के रिटरायरमेंट की पूंजी थी। सिर पर हाथ रखे बैठे एचएएल से सेवानिवृत्त कुलदीप राज कहते हैं कि जीवन भर जो कमाया था, इसी में था, अब बुढ़ापा ईश्वर ही काटेगा।

सभी के माथे पर थी शिकन
बैंक के बाहर से निकल रहे लोगों के माथे पर चिंता की लकीरें और आंखों में आंसू थे। किसी के पैतृक जेवर चले गए थे तो किसी के बच्चों का भविष्य डकैतों ने मिट्टी में मिला दिया था। इनमें कुछ ऐसे भी ग्राहक आए थे जिनके लॉकर तो सुरक्षित थे लेकिन वह अपने लॉकरों को देखना चाहते थे।
लॉकर बंद करने को दिया प्रार्थना पत्र
पंकज श्रीवास्तव लॉकर नंबर 24, एके जयसवाल का लाकर 66 था, इनके चेहरे पर थोड़ी राहत थी, लेकिन बैंक के प्रति इनकी नाराजगी खूब थी। उन्होंने अपने लॉकर यहां नहीं रखने की बात कही। कई ने सुरक्षा का हवाला देते हुए बताया कि अब कोई अपना लॉकर यहां नहीं रखना चाहता। सोमवार को ही लोगों ने प्रार्थना पत्र देकर लॉकर बंद करने के लिए आग्रह किया।

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