यूपी में सड़क हादसों पर लगेगा ब्रेक, सीएम योगी ने दिया 4-ई मॉडल
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उत्तर प्रदेश में सड़क दुर्घटनाओं को कम करने के लिए 1 से 31 जनवरी तक सड़क सुरक्षा माह आयोजित करने के निर्देश दिए हैं। उन् ...और पढ़ें

राज्य ब्यूरो, लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सड़क दुर्घटनाओं पर प्रभावी नियंत्रण के लिए एक से 31 जनवरी तक प्रदेशव्यापी “सड़क सुरक्षा माह” आयोजित करने के निर्देश दिए हैं। उच्चस्तरीय समीक्षा बैठक में उन्होंने स्पष्ट किया कि यह अभियान किसी भी स्थिति में औपचारिकता बनकर न रह जाए, बल्कि जन आंदोलन बने।
मुख्यमंत्री ने कहा कि नए वर्ष की शुरुआत सड़क सुरक्षा जैसे अत्यंत संवेदनशील विषय पर ठोस संकल्प, व्यापक जनभागीदारी और व्यवहार परिवर्तन के लक्ष्य के साथ होनी चाहिए। सड़क हादसों पर ब्रेक लगाने के लिए 4-ई माडल-शिक्षा, प्रवर्तन, इंजीनियरिंग और इमरजेंसी केयर पर फोकस करने के निर्देश भी दिए।
मुख्यमंत्री आवास में आयोजित बैठक में उन्होंने कहा कि सड़क सुरक्षा अभियान में केवल नियमों की जानकारी देना पर्याप्त नहीं है, बल्कि यह समझाना जरूरी है कि यातायात नियमों का पालन स्वयं के जीवन, परिवार और समाज की सुरक्षा से सीधे जुड़ा है।
शिक्षा के माध्यम से सही सड़क व्यवहार विकसित हो, प्रवर्तन से नियमों का सख्त पालन सुनिश्चित हो, इंजीनियरिंग से ब्लैक स्पाट और क्रिटिकल पाइंट सुधरें तथा इमरजेंसी केयर के तहत त्वरित एंबुलेंस और बेहतर ट्रामा सुविधाएं उपलब्ध हों, इन्हीं चार स्तंभों के संतुलित प्रयास से दुर्घटनाओं में वास्तविक कमी संभव है।
बैठक में बताया गया कि वर्ष 2025 में नवंबर तक प्रदेश में 46,223 सड़क दुर्घटनाएं हुईं, जिनमें 24,776 लोगों की जान गई। मुख्यमंत्री ने इन आंकड़ों को गंभीर चेतावनी बताते हुए कहा कि एक भी मृत्यु पूरे परिवार के लिए आजीवन पीड़ा बन जाती है। मुख्यमंत्री ने कहा कि जनवरी के पहले सप्ताह में विशेष रूप से जागरूकता पर फोकस किया जाए।
तहसील से लेकर जिला मुख्यालय तक प्रचार सामग्री अनिवार्य रूप से लगाई जाए और वास्तविक दुर्घटनाओं के उदाहरणों के जरिए आमजन को लापरवाही के दुष्परिणाम समझाए जाएं। पब्लिक एड्रेस सिस्टम का व्यापक उपयोग कर यह संदेश पहुंचाया जाए कि सड़क सुरक्षा किसी और की नहीं, बल्कि हर व्यक्ति के अपने जीवन से जुड़ा विषय है।
युवाओं की भागीदारी पर बल देते हुए मुख्यमंत्री ने एनएसएस, एनसीसी, आपदा मित्र, स्काउट-गाइड और सिविल डिफेंस की सक्रिय सहभागिता सुनिश्चित करने के निर्देश दिए। प्रवर्तन के संदर्भ में मुख्यमंत्री ने दो टूक कहा कि केवल चालान सड़क सुरक्षा का समाधान नहीं है। आदतन नियम तोड़ने वालों के ड्राइविंग लाइसेंस जब्त करने और वाहन सीज करने की सख्त नीति लागू की जाए। ओवर स्पीडिंग, लेन ड्राइविंग उल्लंघन और स्टंटबाजी के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए। एक्सप्रेसवे पर पेट्रोलिंग बढ़ाने, क्रेन और एंबुलेंस की संख्या बढ़ाने के निर्देश भी दिए।
इंजीनियरिंग सुधारों पर जोर देते हुए मुख्यमंत्री ने ब्लैक स्पाट और क्रिटिकल पाइंट की पहचान कर समयबद्ध सुधार कराने, खराब साइनज, अव्यवस्थित कट, अंधे मोड़ और अनुचित स्पीड ब्रेकर को दुरुस्त करने के निर्देश दिए। केवल टेबल टाप स्पीड ब्रेकर बनाए जाएं और नियमित रोड सेफ्टी आडिट कराया जाए।
इमरजेंसी केयर को सुदृढ़ करने के लिए मुख्यमंत्री ने गोल्डन आवर की महत्ता रेखांकित की। 108 और एएलएस एंबुलेंस का रिस्पांस टाइम घटाने, निजी ट्रामा सेंटरों को नेटवर्क से जोड़ने के निर्देश दिए। 300 किमी से अधिक दूरी तय करने वाले बड़े यात्री वाहनों में दो चालकों की अनिवार्यता पर भी जोर दिया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि सड़क आवागमन के लिए है, पार्किंग के लिए नहीं। अव्यवस्थित पार्किंग, सड़क किनारे स्टैंड, डग्गामार वाहन और कतारबद्ध खड़े ट्रकों पर सख्त कार्रवाई हो। उन्होंने सर्वाधिक दुर्घटनाओं वाले पांच जिलों हरदोई, प्रयागराज, आगरा और कानपुर नगर में विशेष कार्ययोजना बनाकर सख्ती और संवेदनशीलता के साथ लागू करने के निर्देश दिए।

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