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    UP Politics: रालोद की भाजपा के साथ गठबंधन की चर्चाओं से सपा में बेचैनी, जयंत चौधरी की नाराजगी के सवाल पर आया ये र‍िएक्‍शन

    Updated: Wed, 07 Feb 2024 08:30 AM (IST)

    विपक्षी गठबंधन आईएनडीआइए को उत्तर प्रदेश में झटका लग सकता है। यह झटका उसके सहयोगी दल राष्ट्रीय लोकदल की ओर से मिल सकता है। रालोद की भाजपा के साथ गठबंधन की चर्चाओं से समाजवादी पार्टी खेमे में भी बेचैनी है। रालोद का सपा से सात सीटों का गठबंधन 19 जनवरी को हो चुका है। सूत्रों के अनुसार रालोद की सपा से नाराजगी कैराना बिजनौर और मुजफ्फरनगर सीट को लेकर है।

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    रालोद की भाजपा के साथ गठबंधन की चर्चाओं से समाजवादी पार्टी खेमे में भी बेचैनी है।

    राज्‍य ब्‍यूरो, लखनऊ। भाजपा (BJP) के रालोद (RLD) से नजदीकी बढ़ाने और उत्तर प्रदेश में पांच सीटों की पेशकश की चर्चाओं के बीच समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) की भी प्रत‍िक्र‍िया सामने आई है। सपा के मुख्य प्रवक्ता राजेन्द्र चौधरी कहते हैं कि रालोद की भाजपा के साथ गठबंधन की बातचीत चल रही है इसकी जानकारी उन्हें नहीं है। रालोद के साथ हमारा सात सीटों पर समझौता हो चुका है, उन्होंने भी इस पर सहमति जताई है। राज्यसभा में भी सपा ने जयंत चौधरी को भेजा है। विपक्षी गठबंधन आईएनडीआइए की बैठकों में भी जयंत शामिल होते रहे हैं। ऐसे में सपा के साथ नाराजगी का तो कोई प्रश्न नहीं उठता है।

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    आईएनडीआइए को लग सकता है झटका, सपा भी बेचैन

    विपक्षी गठबंधन आईएनडीआइए को प्रदेश में झटका लग सकता है। यह झटका उसके सहयोगी दल राष्ट्रीय लोकदल की ओर से मिल सकता है। रालोद की भाजपा के साथ गठबंधन की चर्चाओं से समाजवादी पार्टी खेमे में भी बेचैनी है। रालोद का सपा से सात सीटों का गठबंधन 19 जनवरी को हो चुका है।

    एक-दो द‍िनों में सार्वजन‍िक हो सकती है गठबंधन की घोषणा

    सूत्रों के अनुसार, रालोद की सपा से नाराजगी कैराना, बिजनौर और मुजफ्फरनगर सीट को लेकर है। इसमें सपा अपना प्रत्याशी और चुनाव चिह्न रालोद का रखने की शर्त रखी है। रालोद ने इस स्थिति में अपनी सीटें बढ़ाने की बात रखी है। वहीं, भाजपा भी मिशन 80 को आगे बढ़ाने के लिए पश्चिम यूपी में रालोद के साथ गठबंधन करना चाहती है। एक-दो दिनों में गठबंधन की घोषणा सार्वजनिक हो सकती है।

    पश्चिमी उप्र में रालोद का साथ क्‍यों जरूरी?

    बता दें कि पश्चिमी उप्र की 12 सीटों पर रालोद का खासा प्रभाव है। इसी कारण आईएनडीआइए और एनडीए दोनों को रालोद का साथ चाहिए। जिस गठबंधन में रालोद रहेगा उसका पलड़ा यहां भारी हो जाएगा। मुरादाबाद मंडल की हारी हुई सीटों पर भी रालोद की अच्छी पैठ है। इस मंडल की हार भाजपा को सालती है।

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