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    एफआरके के फेर में फंसे राइस मिल, बंदी का संकट; यूपी में विभागीय अव्यवस्था से बिगड़ रही स्थिति

    Updated: Wed, 17 Dec 2025 09:28 AM (IST)

    उत्तर प्रदेश में धान खरीद में लापरवाही और मुनाफाखोरी के चलते राइस मिलें संकट में हैं। एफआरके की कमी से सीएमआर की आपूर्ति बाधित है, क्योंकि आपूर्तिकर्त ...और पढ़ें

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    दिलीप शर्मा, लखनऊ। धान खरीद में चल रहे लापरवाही और मुनाफाखोरी के खेल से जहां किसानों से उनका हक छिन रहा है, वहीं राइस मिल भी गंभीर संकट में फंस गए हैं। मिलों के पास धान पड़ा है, परंतु फोर्टिफाइड राइस कर्नेल (एफआरके) की पर्याप्त आपूर्ति न होने से वह कस्टम मिल्ड राइस (सीएमआर) की आगे आपूर्ति नहीं कर पा रहे हैं।

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    एफआरके आपूर्तिकर्ता की ओर से अधिक कीमत वसूले जाने के भी सवाल उठ रहे हैं। विभाग ने एफआरके लिए 42 रुपये प्रति किलो की दर तय कर रखी है, परंतु 100-100 रुपये तक कीमत मांगी जा रही है।

    इससे राइस मिलों का खर्च बढ़ रहा है और धान खरीद से लेकर सीएमआर आपूर्ति तक पूरी व्यवस्था भी प्रभावित हो रही है। सार्वजनिक वितरण प्रणाली पर भी असर पड़ने की आशंका है। इसके बावजूद फिलहाल समस्याओं का निदान होता नजर नहीं आ रहा।

    धान खरीद की प्रक्रिया में राइस मिलों धान की कुटाई के बाद उसमें एक प्रतिशत एफआरके मिलाकर सीएमआर तैयार किया जाता है और भारतीय खाद्य निगम को इसकी आपूर्ति की जाती है।

    पिछले वर्ष खाद्य एवं रसद विभाग की ओर से प्रदेश में 46 एफआरके निर्माता राइस मिलर्स को आपूर्ति की जिम्मेदारी दी गई थी, परंतु इस बार केवल 16 मिलर्स को ही यह काम दिया गया था।

    इसके चलते राइस मिलों की मांग के अनुरूप आपूर्ति नहीं हो पा रही है। दूसरी तरफ एफआरके की टेस्ट रिपोर्ट आने में 20 से 25 दिन का समय लग रहा है। इस सबके चलते रायबरेली, बारांबकी, कानपुर, लखीमपुर, हरदोई, शाहजहांपुर सहित कई जिलों में तो चीनी मिलों में काम लगभग ठप हो गया है।

    द यूपी राइस मिलर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष विनय शुक्ला ने बताया कि पूरे प्रदेश में एफआरके की आपूर्ति का संकट हैं। कई जगह दोगुणा तक कीमत भी मांगी जा रही है। राइस मिलों को बहुत नुकसान उठाना पड़ा रहा है। कई मिलों ने अपने शिफ्ट कम कर दी हैं और बंदी की नौबत आ रही है।

    इस संबंध में विभाग को कई बार अवगत कराया जा चुका है, परंतु परंतु केवल आश्वासन ही मिल रहे हैं। वहीं मामले में खरीद का प्रभार देख रहे संभागीय खाद्य नियंत्रक अशोक कुमार पाल ने बताया कि एफआरके की कम आपूर्ति की शिकायतें आई हैं, इसके समाधान के लिए वेंडरों की संख्या बढ़ाकर 42 की जा रही है, जो अब एफआरके की आपूर्ति करेंगे।

    यह है एफआरके

    एफआरके विशेष तकनीक से तैयार किए गए पोषक चावल कण होते हैं, जिन्हें सामान्य चावल में एक प्रतिशत की मात्रा में मिलाया जाता है। इससे चावल में आयरन, फोलिक एसिड, विटामिन बी-12 जैसे आवश्यक सूक्ष्म पोषक तत्व बढ़ जाते हैं। फोर्टिफाइड चावल की आपूर्ति सार्वजनिक वितरण प्रणाली, मिड डे मील और आंगनबाड़ी केंद्रों के लिए की जाती है।