OTS के कारण LDA में रजिस्ट्री की रफ्तार होती है सुस्त, डिफाल्टर करते हैं इंतजार
लखनऊ विकास प्राधिकरण और आवास विकास परिषद में संपत्तियां खरीदने वाले डिफाल्टर हर साल ओटीएस यानी एकमुश्त समाधान योजना का इंतजार करते हैं। अभी लॉटरी में ...और पढ़ें

लखनऊ, जेएनएन। लखनऊ विकास प्राधिकरण और आवास विकास परिषद में संपत्तियां खरीदने वाले डिफाल्टर हर साल ओटीएस यानी एकमुश्त समाधान योजना का इंतजार करते हैं। आवंटियों को यह ज्ञान देने वाला कोई नहीं प्राधिकरण व परिषद के कर्मचारी व अधिकारी होते हैं। आवंटियों को बताया जाता है कि अभी लॉटरी में नाम निकल जाने दो फिर कुछ किस्तें देकर अपने हिसाब से किस्तें देते रहिए। क्योंकि परिषद व प्राधिकरण तो हर एक से दो साल में ओटीएस योजना लाता ही है। फिर आवंटी कुछ किस्तें अपने बजट के हिसाब से जमा करके बैठ जाता है। इससे राजस्व आने का ग्राफ प्राधिकरण व परिषद के पास कम हो जाता है और मजबूरी में ऐसे आवंटियों को तरजीह देनी पड़ती है।
इसमें प्रापर्टी में निवेश करने वाले डिफाल्टरों की संख्या हजारों में है। आज प्राधिरकण व आवास विकास की हजारों संपत्तियों की रजिस्ट्री सिर्फ इसलिए नहीं हो पा रही है। आवास विकास परिषद के वृंदावन, इंदिरा नगर, राजाजीपुरम में चार हजार से अधिक संपत्तियां आज भी ऐसी पड़ी हैं जिनमें आधी अधूरी किस्तें जमा है। ऐसे डिफाल्टर ओटीएस का इंतजार करते हैं और फिर अपने हिसाब से पैसा जमा करके रजिस्ट्री करवा रहे हैं। यही हाल एलडीए की गोमती नगर, जानकीपुरम, सीजी सिटी, अलीगंज, कानपुर रोड की योजनाओं का है। यहां भी सात हजार से अधिक संपत्तियों की रजिस्ट्री सिर्फ नहीं हो सकी है। कारण आवंटियों के पास नहीं है। अपनी सारी जरूरतें पूरी करने के बाद जो पैसा बचता है वह ओटीएस आने पर जमा करते हैं।
क्या है ओटीएस ?
लखनऊ विकास प्राधिकरण व आवास विकास परिषद के अलाव बिजली विभाग भी आवंटियों व ग्राहकों के लिए ओटीएस योजना लाता है। उद्देश्य होता है कि ऐसे डिफाल्टर जो अपनी किस्तें या फिर बिजली का बिल जमा नहीं कर रहे हैं और किस्तों व बिल पर ब्याज लगकर लाखों में हो गया है। उसका पूरा ब्याज माफ करके सिर्फ मूल राशि जमा कराई जाती है। इससे परिषद, प्राधिकरण व बिजली महकमे को अपनी सिर्फ मूल राशि मिल पाती है। विलंब से मिलने वाली यह राशि अगर समय से मिले तो सरकारी संस्थानों को करोड़ों का मुनाफा हो, लेकिन अस्सी फीसद डिफाल्टर ओटीएस का इंतजार करते हैं और अपने हिसाब से पैसा जमा करते हैं।
क्या कहते हैं अफसर ?
एलडीए के वित्त नियंत्रक राजीव सिंह ने बताया कि ओटीएस का पैसा आ रहा है, एलडीए की वित्तीय स्थिति बहुत खराब नहीं है तो बहुत अच्छी भी नहीं। वर्तमान में वेतन देने के पैसे ही एलडीए के पास है। जल्द ही नई योजनाओं से कुछ उम्मीदें हैं। बसंत कुंज योजना का भी पैसा आ रहा है।

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