Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    योगी सरकार दे सकती है एक और छूट, अपनों के नाम संपत्ति की लिखा-पढ़ी में निबंधन शुल्क से भी म‍िलेगी मुक्‍त‍ि

    By Anurag GuptaEdited By:
    Updated: Sun, 26 Jun 2022 10:07 AM (IST)

    एक प्रतिशत निबंधन शुल्क लगने से एक करोड़ की संपत्ति पर देना पड़ रहा एक लाख शुल्क। सरकार ने संपत्ति को दान करने जैसे प्रकरणों में स्टाम्प ड्यूटी को घटाकर सिर्फ पांच हजार रुपये करने का निर्णय किया है।

    Hero Image
    सिर्फ स्टांप शुल्क में छूट से दान विलेख आदि कराने को आगे नहीं आ रहे संपत्ति के स्वामी।

    लखनऊ, [अजय जायसवाल]। राज्य सरकार ने रक्त संबंधी मामलों में दान विलेख (गिफ्ट डीड) पर भले ही भारी-भरकम स्टांप ड्यूटी से छूट दे दी है लेकिन निबंधन शुल्क के लगने से संपत्ति के स्वामी अपनों के नाम संपत्ति की लिखा-पढ़ी करने के लिए आगे नहीं आ रहे हैं। ऐसे में सरकार अब एक प्रतिशत निबंधन शुल्क में भी छूट देने पर गंभीरता से विचार कर रही है। माना जा रहा है कि निबंधन शुल्क से छूट के बाद ही पारिवारिक सदस्यों के बीच संपत्ति के बंटवारे के लिए संबंधित सदस्यों के पक्ष में दान विलेख (गिफ्ट डीड), बंटवारा पत्र व पारिवारिक व्यवस्थापन/समझौता ज्ञापन निष्पादन के मामलों में तेजी आएगी और मुकदमेबाजी घटेगी।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    दरअसल, हाल ही में सरकार ने रक्त संबंधी मामलों में स्टांप ड्यूटी से छूट देने का एक ऐसा अहम निर्णय किया जिसका वर्षों से प्रदेशवासियों को इंतजार था। परिवार में संपत्ति के बंटवारे संबंधी मामलों में बढ़ती मुकदमेबाजी को देखते हुए सरकार ने खून के रिश्तों (पिता, माता, पति, पत्नी, पुत्र, पुत्री, पुत्रवधु, दामाद, सगा भाई, सगी बहन, पुत्र व पुत्री का बेटा-बेटी) में संपत्ति को दान करने जैसे प्रकरणों में स्टाम्प ड्यूटी को घटाकर सिर्फ पांच हजार रुपये करने का निर्णय किया है।

    ऐसे में संपत्ति चाहे एक लाख की हो या फिर एक करोड़ रुपये मूल्य की, उसे जीते जी अपनों को देने के लिए दान विलेख पर स्टाम्प ड्यूटी सिर्फ पांच हजार रुपये ही लग रही है जबकि पहले संपत्ति के विक्रय विलेख (सेल डीड) की रजिस्ट्री की तरह संपत्ति के मूल्य का आठ प्रतिशत तक स्टांप ड्यूटी देनी पड़ती थी।

    सरकार को उम्मीद थी कि इससे ज्यादा गिफ्ड डीड होंगी लेकिन अभी उप निबंधक कार्यालयों में ऐसा देखने को नहीं मिल रहा है। लखनऊ के सहायक महानिरीक्षक निबंधन सतीश त्रिपाठी बताते हैं कि गिफ्ट डीड कराने वालों की संख्या में फिलहाल कोई खास इजाफा नहीं हुआ है।

    जानकारों का कहना है कि ड्यूटी में छूट के बाद भी गिफ्ट डीड कराने वालों के आगे न आने का एकमात्र कारण एक प्रतिशत निबंधन शुल्क है। एक लाख या एक करोड़ रुपये की संपत्ति पर अब ड्यूटी तो पांच हजार रुपये ही है लेकिन एक करोड़ रुपये की संपत्ति के दान विलेख पर आज भी निबंधन शुल्क एक लाख रुपये देना होता है। इस संबंध में स्टांप व पंजीयन मंत्री रवीन्द्र जायसवाल का कहना है कि संपत्ति के स्वामी की मृत्यु के बाद वसीयत के अनुसार परिवार के सदस्यों के बीच संपत्ति बंटवारे के मामलों में अक्सर होने वाले विवाद और मुकदमेबाजी को खत्म करने के लिए ही सरकार ने रक्त संबंध में दान विलेख आदि पर ड्यूटी को पांच हजार रुपये किया है।

    इससे 200 करोड़ रुपये के राजस्व घाटे का अनुमान है लेकिन सरकार, परिवारों में प्रेम-सौहार्द बढ़ाने को ही अपना मुनाफा मान रही है। निबंधन शुल्क में भी छूट देने पर गंभीरता से विचार किया जा रहा है। प्रोसेसिंग फीस के तौर पर एक हजार रुपये लेने की व्यवस्था हो सकती है। ऐसे में किसी भी मूल्य की संपत्ति के गिफ्ट डीड पर मात्र छह हजार रुपये का ही खर्चा आएगा।