यूपी में परिवार की मर्जी के बिना गुपचुप विवाह का पंजीकरण कराना अब आसान नहीं, कराना होगा यह काम
Registration of secret marriage will not be easy task in UP विवाह कराने वाले को एक शपथ पत्र भी अनिवार्य रूप से देना होगा जिसमें शपथकर्ता का पूरा नाम ...और पढ़ें

राज्य ब्यूरो, जागरण, लखनऊ : परिवार की मर्जी के बिना गुपचुप विवाह कर पंजीकरण कराना अब युगलों के लिए आसान नहीं होगा। पंजीकरण के लिए विवाह संस्कार संबंधी आधे-अधूरे साक्ष्य नहीं चल पाएंगे। पक्के साक्ष्य के साथ विवाह कराने वाले पंडित-पुरोहित आदि की भी गवाही अनिवार्य होगी।
शनिदेव बनाम उत्तर प्रदेश सरकार के मामले में हाईकोर्ट के आदेश के अनुपालन में आइजी निबंधन ने विवाह पंजीकरण के संबंध में नये दिशा-निर्देश जारी किए हैं, जो उप्र विवाह पंजीकरण नियमावली-2017 में संशोधन होने या फिर नये नियमों के प्रभावी होने तक लागू रहेंगे।
न्यायालय द्वारा निर्गत अंतरिम निर्देश विशेषकर ऐसे युगलों के विवाह पंजीकरण के संबंध में जारी किये गए हैं, जिनके द्वारा अपने परिवार की सहमति के बिना विवाह किया गया है। नये दिशा-निर्देशों के अनुसार अब विवाह पंजीकरण के लिए उसी कार्यालय में आवेदन स्वीकार किए जाएंगे, जहां वर अथवा वधु या फिर उनके माता-पिता सामान्य रूप से निवास कर रहे हों।
निवास प्रमाण पत्र के तौर पर अपंजीकृत किरायानामा स्वीकार नहीं किया जाएगा। पंजीकरण के समय विवाह संपन्न कराने वाले पुरोहित या जिसके द्वारा भी विवाह कराया है, उसकी विवाह पंजीकरण अधिकारी के समक्ष भौतिक रूप में उपस्थिति अनिवार्य होगी।
विवाह कराने वाले को एक शपथ पत्र भी अनिवार्य रूप से देना होगा, जिसमें शपथकर्ता का पूरा नाम, पिता का नाम, स्थायी पता, वर्तमान पता, आधार कार्ड की प्रति, कोई अन्य वैध पहचान पत्र, मोबाइल नंबर, पुरोहित की अद्यतन पासपोर्ट आकार की फोटोग्राफ होगी। जिससे शपथकर्ता की पहचान और प्रामाणिकता को स्थापित किया जा सके। शपथ पत्र में अनिवार्य रूप से यह भी घोषणा करनी होगी कि उनके द्वारा वर-वधु का विवाह सम्पन्न कराया गया है।
परिवारवालों की सहमति के बिना हुए विवाह या जिन मामलों में विवाह पंजीकरण के समय परिवार के सदस्य उपस्थित न हो, उनमें पंजीकरण के समय विवाह संस्कार की वीडियो रिकार्डिंग पेन ड्राइव में विवाह पंजीकरण अधिकारी द्वारा प्राप्त की जाएगी और उसे अग्रिम आदेशों तक कार्यालय में संरक्षित किया जाएगा।
वहीं ऐसे विवाह पंजीकरण, जिनमें परिवार के सदस्य विवाह पंजीकरण के समय उपस्थित हों, उनमें विवाह पंजीकरण अधिकारी को यह विशेषाधिकार होगा कि यदि वह विवाह की प्रामाणिकता से संतुष्ट है तो आवेदकों को उक्त अंतरिम निर्देशों के अनुपालन से पूरी तरह या आंशिक मुक्ति प्रदान कर सकता है।
इसमें परिवार के सदस्य से आशय माता-पिता,भाई-बहन, दादा-दादी, नाना-नानी, पुत्र-पुत्री आदि प्रथम रक्त संबंध के बालिग पारिवारिक सदस्यों से है। आइजी निबंधन ने निर्देशों का कड़ाई से अनुपालन करने के आदेश दिए हैं।
पंजीकरण अधिकारी भी लेेगा जिम्मेदारी, रखेगा रिकार्ड
निर्देशों में कहा गया है कि विवाह पंजीकरण अधिकारी द्वारा एक मुहर तैयार करा कर स्पष्ट रूप से विवाह पंजीकरण प्रमाणपत्र के पृष्ठ भाग पर यह अंकित करना होगा कि उसके द्वारा परिपत्र दिनांक 10 अक्टूबर 2024 द्वारा दिए गए निर्देशों का पूरी तरह पालन करते हुए यह विवाह पंजीकृत किया गया है। इसमें पुरोहित अथवा अन्य व्यक्ति (व्यक्ति का नाम), जिसने विवाह संपन्न कराया है, उसके द्वारा प्रस्तुत शपथपत्र की जांच की गई और यह संतोषजनक पाया गया और वह विवाह पंजीकरण के समय उपस्थित था।
उप निबंधक द्वारा विवाह कराने वाले पुरोहित अथवा अन्य व्यक्ति की पंजीकरण के समय कार्यालय में उपस्थिति को अभिलेखित करने के लिए एक पृथक पंजिका संरक्षित की जाएगी। इसके लिए उसकी उपस्थिति विवाह पंजीकरण में गवाह के रूप में दर्ज कराई जा सकती है।
निर्देशों का अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए प्रत्येक विवाह पंजीकरण अधिकारी के कार्यालय में एक पंजिका संरक्षित की जाएगी, जिसमें कार्यालय में पंजीकृत विवाहों का मासिक इंडेक्स प्रिंट करते हुए उस पर जनपद के सहायक महानिरीक्षक निबंधन द्वारा मासिक प्रविष्टि दर्ज की जाएगी कि विवाह पंजीकरण अधिकारी द्वारा उच्च न्यायालय द्वारा निर्गत निर्देशों का अनुपालन किया जा रहा है।

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