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    राज्य कर अधिकारियों ने रिश्तेदार रियल एस्टेट कारोबारियों के जरिए खपाई काली कमाई, आयकर विभाग ने भेजा नोटिस

    Updated: Fri, 17 Oct 2025 05:30 AM (IST)

    लखनऊ के मोहनलालगंज इलाके में खरीदी गई संपत्तियों की सरकार गोपनीय जांच करा रही है। आयकर विभाग ने चार कारोबारियों को नोटिस भेजा है और एसटीएफ भी जांच में ...और पढ़ें

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    राज्य ब्यूरो, लखनऊ। राज्य कर अधिकारियों व उनके रिश्तेदार रियल एस्टेट कारोबारियों के गठजोड़ से करोड़ों रुपये की काली कमाई को संपत्तियों में खपाए जाने का बड़ा खेल जल्द ही उजागर हो सकता है।

    अधिकारियों के लखनऊ में सुलतानपुर रोड पर बेशकमीती जमीनें खरीदने की जांच के तहत आयकर विभाग ने रियल स्टेट कंपनी के चार संचालकों को नोटिस जारी कर तलब किया है। राज्य सरकार के निर्देश पर स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) ने भी मामले में छानबीन शुरू की है।

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    आयकर विभाग की बेनामी संपत्ति निषेध इकाई की पड़ताल में राज्य कर विभाग के कई अधिकारियों की मुश्किलें जल्द बढ़ सकती हैं। सूत्रों के अनुसार आयकर विभाग ने रियल एस्टेट कारोबार से जुड़ी एक कंपनी के संचालक अंशु उपाध्याय, अविरल गुप्ता, अभिषेक व सत्यव्रत शुक्ला को नोटिस जारी कर पूछताछ के लिए बुलाया है।

    इनमें दो संचालकों के रिश्तेदार राज्य कर विभाग में अधिकारी हैं। इनमें एक अधिकारी सेवानिवृत्त हो चुके हैं। आयकर विभाग अब यह पता लगाने का प्रयास कर रहा है कि इनके माध्यम से किन-किन अधिकारियों ने कितना निवेश किया? लखनऊ के अलावा अन्य किन शहरों में संपत्तियां खरीदी गईं।

    आशंका जताई जा रही है कि रियल एस्टेट में 200 करोड़ रुपये से अधिक की काली कमाई खपाई गई है। इनमें अधिकारियों ने अपने स्वजन व रिश्तेदारों के नाम पर भी निवेश किया है। संपत्ति की 30 प्रतिशत तक रकम लिखीपढ़ी में अदा की गई और 70 प्रतिशत तक रकम नकद दी गई।

    राज्य कर विभाग ने इसे लेकर पहले आंतरिक जांच कराई थी। शासन स्तर पर मामला पहुंचने पर कई अधिकारियों व रियल एस्टेट कारोबारियों के मोबाइल नंबरों की काल डिटले भी खंगाली गई।

    जिन अधिकारियों ने जमीनें खरीदी हैं, वे सचल दल व विशेष जांच विंग में आगरा, लखनऊ, गाजियाबाद, गौतमबुद्धनगर, कानपुर, मेरठ, मुरादाबाद व अन्य प्रमुख शहरों में तैनात रहे हैं। अब एसटीएफ के एएसपी लाल प्रताप सिंह के नेतृत्व में टीम गठित कर इस प्रकरण की जांच शुरू की गई है।

    सूत्रों का कहना है अंशु उपाध्याय व उनके स्वजन के नाम लखनऊ की मोहनलालगंज तहसील के ग्राम बखारी में खरीदी-बेची गईं संपत्तियों की गोपनीय जांच कराई गई। अंशु उपाध्याय द्वारा वर्ष 2019 से 2025 के मध्य कई जमीनें खरीदी गई थीं। लखनऊ जिला प्रशासन द्वारा इस अवधि के मध्य पंजीकृत बैनामों का ब्योरा राज्य कर विभाग को उपलब्ध कराया गया है।

    अब तक की जांच रिपोर्ट में अंशु उपाध्याय व राज्य कर विभाग के अपर आयुक्त, संयुक्त आयुक्त व सहायक आयुक्त स्तर के सात अधिकारियों के स्वजन के मध्य क्रय-विक्रय का ब्योरा सामने आया है।

    अपर आयुक्त (राज्य कर) धनंजय शुक्ला की शासन को सौंपी गई जांच रिपोर्ट में कहा गया है कि अधिकारियों के स्वजन के नाम अंशु उपाध्याय से जमीन खरीदी-बेची गई। इनमें छह अधिकारियों ने जहां जमीनें अपनी पत्नी के नाम वहीं एक ने एचयूएफ (संयुक्त हिन्दू परिवार) के तौर पर खरीदी है।

    राज्य कर के अधिकारी विजयानन्द पांडेय ने पत्नी रीता पांडेय के नाम, राकेश कुमार शुक्ल ने एचयूएफ के नाम, कैलाश नाथ पाल ने पत्नी अनुराधा पाल व शरद कुमार शुक्ला ने पत्नी लता शुक्ला के नाम जमीन खरीदी थी और कुंवर मृत्यंजय की पत्नी वंदना चतुर्वेदी के नाम से जमीन खरीदने के साथ ही बेची भी गई।

    शरद कुमार शुक्ला की पत्नी लता शुक्ला के नाम पांच जमीनें व राजवर्द्धन सिंह की पत्नी अरुषा सिंह के नाम तीन जमीनें खरीदी गई थीं। संजय कुमार मिश्र ने पत्नी नीतू मिश्रा व राजवर्द्धन सिंह ने पत्नी अरुषा सिंह के नाम कराए गए जमीन के बैनामे का ब्योरा तो विभागीय पोर्टल पर अपनी अचल संपत्ति के रूप में दर्शाया लेकिन अन्य किसी ने इआइएस माड्यूल व मानव संपदा पोर्टल पर कोई ब्योरा अपलोड नहीं किया।

    इंटरनेट मीडिया से भी तलाशे जा रहे बिल्डर के करीबी अधिकारी

    राज्य कर विभाग के कई अधिकारियों की इंटरनेट मीडिया की गतिविधियों पर भी नजर है। मामले में रियल एस्टेट कंपनी नेचर बिल्ड के संचालकों में शामिल अंशु उपाध्याय के करीबी अधिकारियों की पहचान के लिए इंटरनेट मीडिया के विभिन्न प्लेटफार्म खंगाले जा रहा हैं।

    इनमें अंशु की इंटरनेट मीडिया के विभिन्न प्लेटफार्म के अकाउंट व उनमें बीते दिनों की गतिविधियों को भी गहनता से देखा जा रहा है। सूत्रों का कहना है कि बीते दिनों हुई पाटियों व अन्य खास आयोजनों की तस्वीरें भी खंगाली जा रही हैं। इनमें अंशु के साथ राज्य कर के अधिकारियों व उनके स्वजन की तस्वीरों पर जांच एजेंसियों की खास नजर है।