डिजिटल अरेस्ट ग्राहकों की मनोदशा समझ उन्हें सही राह दिखाएंगे बैंक, फ्रंटलाइन स्टाफ को प्रशिक्षित करने का निर्देश
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने डिजिटल अरेस्ट की घटनाओं पर चिंता जताई है। बैंकों को निर्देश दिया गया है कि वे डिजिटल अरेस्ट में फंसे ग्राहकों को जागरूक करें और सही मार्गदर्शन दें। इसके लिए बैंक कर्मचारियों को प्रशिक्षित किया जा रहा है ताकि वे ऐसे ग्राहकों की पहचान कर सकें और उन्हें अनजान खातों में पैसे भेजने से रोक सकें। बैंकों में जागरूकता पोस्टर भी लगाए जाएंगे।

राज्य ब्यूरो, लखनऊ। देश में बढ़ रहे डिजिटल अरेस्ट की घटनाओं से रिजर्व बैंक आफ इंडिया भी चिंतित है। आरबीआइ ने डिजिटल अरेस्ट के जाल में फंसे ग्राहकों की मनोदशा को समझते हुए उन्हें जागरूक करने और सही रास्ता बताने के निर्देश बैंकों को दिए हैं।
इसके लिए बैंककर्मियों को कुछ खास टिप्स दिए जा रहे हैं जिससे वे डिजिटल अरेस्ट की मनोदशा में बैंक पहुंचने वाले ग्राहकों को पहचान सकें। बातचीत करते हुए उन्हें समझाएं और अंजान लोगों के खातों में मोटी रकम ट्रांसफर करने से रोकने का प्रयास करें।
आरबीआइ के निर्देश के बाद सभी बैंकों ने अपने फ्रंटलाइन स्टाफ जैसे कैशियर, क्लर्क, सहायक प्रबंधक, शाखा प्रबंधक आदि को प्रशिक्षित करना शुरू कर दिया है। राज्य स्तरीय बैकर्स समिति के संयोजक तथा बैंक आफ बड़ौदा लखनऊ अंचल के महाप्रबंधक शैलेंद्र कुमार सिंह के मुताबिक आरबीआइ के निर्देश के बाद बैंक अपने फ्रंटलाइन स्टाफ को प्रशिक्षित व जागरूक कर रहे हैं।
आनलाइन बैठकों के माध्यम से कार्मिकों को बताया जा रहा है कि डिजिटल अरेस्ट की मनोदशा में बैंक पहुंचने वाले ग्राहकों को वे कैसे पहचानें। ऐसे ग्राहकों को पहचानने के लिए उनके बातचीत के लहजे के साथ ही चेहरे के हावभाव पर गौर करने को कहा गया है।
यदि कुछ असामान्य नजर आता है जैसे कि ग्राहक समय से पहले एफडी तोड़ने की जल्दबादी दिखाता है या अपने खाते से मोटी धनराशि किसी अन्य खाते में भेजने को कहता है, तो ऐसे ग्राहकों से बातचीत करने के निर्देश दिए गए हैं जिससे पता चल सके कि ग्राहक सही मायने में किसी घरेलू जरूरत के लिए ऐसा कर रहा है या किसी के दबाव में है।
ऐसे ग्राहकों को शाखा प्रबंधक के पास भी ले जाने के निर्देश हैं ताकि शाखा प्रबंधक भी बातचीत कर एफडी तोड़ने अथवा पैसे दूसरे खाते में रकम ट्रांसफर करने का कारण समझ सके। ऐसे ग्राहकों को डिजिटल अरेस्ट के किस्से सुनाने के लिए कहा गया है। यदि ग्राहक इससे पीड़ित हैं तो वे खुलकर अपनी व्यथा सुना दें।
बैंक ऐसे ग्राहकों को डिजिटल अरेस्ट के किस्से सुनाकर यह समझाने की कोशिश करेंगे कि वे फोन करने वालों की मांग पूरी न करें। ऐसे जालसाज लोग कुछ बिगाड़ नहीं सकते हैं, पुलिस की मदद लें। मान, सम्मान व प्रतिष्ठा पर कोई आंच नहीं आएगी। सीबीआइ, पुलिस. न्यायिक अधिकारी या अन्य कोई बड़ा अधिकारी बताकर संपर्क करने वाले ऐसे लोग जालसाज हो सकते हैं।
एसके सिंह के मुताबिक डिजिटल अरेस्ट के प्रति ग्राहकों को जागरूक करने के लिए बैंकों में जागरूकता पोस्टर भी लगाए जाएंगे। बैंककर्मी ऐसे मामलों में सिर्फ उन ग्राहकों को समझने की कोशिश कर सकते हैं जो बैंक पहुंच रहे हैं। जो ग्राहक घर से बैठकर आनलाइन पैसे ट्रांसफर कर दे रहे हैं, उन मामलों में बैंक कुछ नहीं कर सकते हैं।
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