Ayodhya Ram Mandir: आस्था का केंद्र बना रामेश्वरम का विशाल घंटा, जानिए क्या है इसकी खासियत
613 किलो वजनी चार फीट आठ इंच ऊंचे 3.9 फीट व्यास वाला विशाल घंटा गत वर्ष सात अक्टूबर को रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपतराय सहित तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के सदस्य बिमलेंद्रमोहन मिश्र डा.अनिल मिश्र और महंत दिनेंद्रदास को सौंपा गया था।

अयोध्या, जागरण संवाददाता। रामघाट स्थित रामजन्मभूमि मंदिर निर्माण कार्यशाला में एक कोने पर रखा घंटा आस्था का केंद्र बना हुआ है। कार्यशाला में प्रतिदिन मंदिर निर्माण के लिए तराशी गई शिलाओं को देखने के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते हैं और वे इस विशाल घंटे के प्रति आस्था में बंधे बिना नहीं रहते। कोई नमन करता है, तो कोई घंटे की परिक्रमा कर आस्था अर्पित करता है। 613 किलो वजनी, चार फीट आठ इंच ऊंचे 3.9 फीट व्यास वाला विशाल घंटा गत वर्ष सात अक्टूबर को रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपतराय सहित तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के सदस्य बिमलेंद्रमोहन मिश्र, डा.अनिल मिश्र और महंत दिनेंद्रदास को सौंपा गया था। दावे के अनुसार इस घंटे की ध्वनि आठ किलोमीटर दूर तक सुनी जा सकेगी और यह राम मंदिर की गौैरव-गरिमा से न्याय कर सकेगा।
यह घंटा लीगल राइट्स काउंसिल की महासचिव एवं तमिलनाडु की रहने वाले राजलक्ष्मी मांडा की ओर से भेंट किया गया है। जिस रथनुमा मिनी ट्रक से घंटा लाया गया था, उसे राजलक्ष्मी ही चलाकर लाई थीं और रामेश्वरम से अयोध्या के बीच 4500 किलोमीटर तक मिनी ट्रक चला कर उन्होंने मिसाल भी कायम की थी। राजलक्ष्मी महिला सशक्तीकरण की पर्याय हैं। तमिलनाडु की रहने वाली राजलक्ष्मी विश्व की ऐसी दूसरी महिला हैं, जिन्होंने रस्सी से 9.5 टन वजन खींचने का कीर्तिमान रचा है। बहादुरी के कारनामों के चलते तमिलनाडु में उन्हें बुलेट रानी के नाम से जाना जाता है। घंटा दान में पी कनिमोझी, पी लोकेश, जंगति अमरनाथ, वेंकटेश नागमनि, ओमारन भी सहयोगी हैैं और राजलक्ष्मी के साथ इन सभी के भी नाम घंटा पर उत्कीर्ण है।
रामजन्मभूमि परिसर में लगेगा यह घंटा : ट्रस्ट के सदस्य डा. अनिल मिश्र के अनुसार मंदिर निर्माण के बाद यह घंटा रामजन्मभूमि परिसर में स्थापित किया जाएगा। मंदिर निर्माण दिसंबर, 2023 तक पूर्ण होने का अनुमान है।
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