UP News: पीडब्ल्यूडी में नई व्यवस्था, प्रमुख सचिव देंगे 40 लाख तक के कार्यों की मंजूरी
उत्तर प्रदेश लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) में अब 40 लाख तक के कार्यों की स्वीकृति प्रमुख सचिव देंगे पहले यह अधिकार विभागाध्यक्ष के पास था। नई व्यवस्था से क्षतिग्रस्त सड़कों और पुलों के निर्माण में बाधा आ रही है। पीडब्ल्यूडी डिप्लोमा इंजीनियर्स संघ ने मुख्यमंत्री से हस्तक्षेप की मांग की है क्योंकि उन्हें प्रमुख सचिव की स्वीकृति का इंतजार है जिससे मरम्मत कार्यों में देरी हो रही है।

राज्य ब्यूरो, लखनऊ। पीडब्ल्यूडी में अब नई व्यवस्था के तहत 40 लाख तक के कार्यों की स्वीकृति प्रमुख सचिव देंगे। इससे पहले यह अधिकार प्रमुख अभियंता विकास (विभागाध्यक्ष) के पास होता था।
नई व्यवस्था के चलते क्षतिग्रस्त मार्गों, पुलियों व पांटून पुलों के निर्माण का काम प्रभावित हो रहा है। इस संदर्भ में पीडब्ल्यूडी के डिप्लोमा इंजीनियर्स संघ ने विभागीय मंत्री होने के नाते मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखकर हस्तक्षेप की मांग की है।
संघ के अध्यक्ष एनडी द्विवेदी ने बताया कि नई व्यवस्था के तहत प्रमुख सचिव अजय चौहान अब प्रमुख अभियंता विकास एवं विभागाध्यक्ष के स्तर के कार्यों की भी मंजूरी देंगे।
उन्होंने बताया कि विभागाध्यक्ष को 40 लाख तक के कार्यों को स्वीकृति देने का अधिकार कैबिनेट की मंजूरी के बाद दिया गया था, जबकि नई व्यवस्था बनाने को लेकर कैबिनेट की मंजूरी नहीं ली गई है।
उन्होंने बताया कि सरकार ने विभागाध्यक्ष के निवर्तन पर बजट में 4,680 करोड़ रुपये का प्रविधान किया है, लेकिन यह राशि प्रमुख सचिव की स्वीकृति के बाद ही खर्च की जा सकेगी। या तो सरकार संबंधित राशि प्रमुख सचिव के निवर्तन पर जारी करे।
उन्होंने कहा कि 15 अक्टूबर से 15 जून तक प्रदेश भर में 100 से अधिक पांटून पुलों का निर्माण नागरिकों की सुुविधा के लिए किया जाता है। वर्षा के कारण प्रदेश की सैकड़ों पुलिया व मार्ग क्षतिग्रस्त हैं।
इनकी मरम्मत के लिए विभागाध्यक्ष को प्रमुख सचिव की स्वीकृति का इंतजार करना पड़ रहा है। इसके चलते नागरिकों को परेशानी हो रही है। साथ ही संबंधित कार्य समय से पूरा हो पाने का भी संदेह है। संबंधित कार्यों के लिए टेंडर की प्रक्रिया पूरी करने में कम से कम एक माह का समय चाहिए।
वहीं इस बारे में प्रमुख सचिव अजय चौहान का कहना है कि उन्होंने यह व्यवस्था सभी मंडलों में बराबर राशि खर्च करने के लिए बनाई है। विभागाध्यक्ष की स्वीकृति के बाद कार्ययोजना उनके स्तर से मंजूर की जाएगी।
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