संदिग्ध अधिकारियों पर कार्रवाई न होने से भड़का डिप्लोमा इंजीनियर्स संघ, यूपी में आंदोलन छेड़ने का एलान
डिप्लोमा इंजीनियर्स संघ लोक निर्माण विभाग में भ्रष्टाचार और संदिग्ध अधिकारियों पर कार्रवाई न होने से नाराज है। मुरादाबाद, देवरिया और श्रावस्ती के अधिश ...और पढ़ें

राज्य ब्यूरो, लखनऊ। लोक निर्माण विभाग (पीडब्लूडी) में कथित भ्रष्टाचार और संदिग्ध अधिकारियों पर कार्रवाई न होने से नाराज डिप्लोमा इंजीनियर्स संघ ने पूरे प्रदेश में चरणबद्ध आंदोलन छेड़ने का निर्णय लिया है।
संघ का कहना है कि मुरादाबाद, देवरिंया और श्रावस्ती के कई अधिशासी अभियंताओं के खिलाफ आरोप होने के बावजूद विभाग द्वारा किसी स्तर पर कार्रवाई न किए जाने से भ्रष्ट अधिकारियों का मनोबल बढ़ रहा है और विभाग की छवि धूमिल हो रही है। इससे अवर व सहायक अभियंताओं पर मानसिक दबाव बढ़ा है और उनमें गहरा आक्रोश व्याप्त है। रविवार को संघ की उच्चाधिकार समिति की बैठक में यह निर्णय लिया गया।
बैठक की अध्यक्षता प्रदेश अध्यक्ष इंजीनियर एनडी द्विवेदी ने की। संघ के पदाधिकारियों के अनुसार शासन की स्थानांतरण नीति स्पष्ट रूप से संवेदनशील पदों पर संदिग्ध सत्यनिष्ठा वाले अधिकारियों की तैनाती पर रोक लगाती है, लेकिन विभाग इस नियम का पालन नहीं कर रहा।
बैठक में बताया गया कि मुरादाबाद के अधिशासी अभियंता कुलदीप संत की सत्यनिष्ठा पर स्वयं प्रमुख अभियंता ने सवाल उठाए थे। सहारनपुर मंडल आयुक्त ने भी उन्हें अयोग्य और अनुभवहीन बताते हुए निर्माण खंड भवन से हटाने की संस्तुति की थी।
बावजूद इसके उन्हें मुरादाबाद के संवेदनशील प्रांतीय खंड में तैनाती दी गई और दो अन्य खंडों का अतिरिक्त चार्ज भी महीनों तक उनके पास रहा। इसी तरह देवरिया के अधिशासी अभियंता अनिल जाटव पर अनधिकृत और फर्जी बजट मांगने व 34 फर्जी सप्लाई आर्डर जारी करने के गंभीर आरोप हैं।
आरोपों के बावजूद न तो उन्हें हटाया गया और न ही विभागीय कार्रवाई की गई। उल्टे उन्हें एक महत्वपूर्ण खंड का चार्ज भी लंबे समय तक दिया गया। श्रावस्ती के अधिशासी अभियंता पर बिना सहायक अभियंता के हस्ताक्षर के करोड़ों रुपये के बिल पास करने और भुगतान कराने के आरोप हैं।
इस अनियमितता पर महालेखाकार द्वारा आडिट पैरा जारी किया गया था। ग्रामीण सड़क विकास अभिकरण ने भी इस संबंध में पत्र भेजा। इसके अलावा चिकित्सा अवकाश में सरकारी वाहन का निजी उपयोग, दो सहायक अभियंताओं का 16 माह का वेतन रोकने और अन्य कर्मचारियों के उत्पीड़न की शिकायतें भी उनके विरुद्ध दर्ज हैं।
जिलाधिकारी व मुख्य विकास अधिकारी ने भी आरोपों की पुष्टि कर विभाग को रिपोर्ट भेजी, यहां तक कि जिलाधिकारी ने उनका वेतन भी रोक दिया, फिर भी कार्रवाई नहीं हुई। संघ के पदाधिकारियों ने कहा कि लगातार उपेक्षा से भ्रष्टाचार बढ़ रहा है और ईमानदार अभियंता हतोत्साहित हो रहे हैं।

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