Privatisation of UPPCL: विद्युत नियामक आयोग को बिजली के निजीकरण पर सरकार से जवाब का इंतजार
Privatisation of UPPCL नियमानुसार पहले बिजली कंपनियों के मूल्यांकन के लिए रेवेन्यू पोटेंशियल (राजस्व उपयोगिता) का आंकलन किया जाना चाहिए था। नियम है कि सरकारी बिजली कंपनियों को छोड़ जब भी किसी बिजली कंपनी की कोई परिसंपत्ति या शेयर किसी निजी पार्टी को हस्तांतरित करना होगा तो 25 वर्षों का रेवेन्यू पोटेंशियल का आंकलन करना बाध्यकारी होगा।

राज्य ब्यूरो, जागरण, लखनऊ : उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक आयोग के अध्यक्ष अरविंद कुमार तो करीब दो सप्ताह के अवकाश के बाद लौट आए हैं, लेकिन सरकार ने बिजली के निजीकरण के मसौदे पर आयोग को अब तक जवाब नहीं दिया है। विद्युत नियामक आयोग ने निजीकरण के मसौदे पर तमाम आपत्ति उठाते हुए पिछले माह सरकार से जवाब मांगा था।
उत्तर प्रदेश सरकार के जवाब से संतुष्ट होने पर ही विद्युत नियामक आयोग मसौदे को हरी झंडी देगा। इस बीच उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने आयोग में अवमानना प्रस्ताव दाखिल कर निजीकरण का मसौदा सरकार को वापस करते हुए अवमानना की कार्रवाई शुरू करने की मांग की है।
परिषद ने मसौदा तैयार करने में विद्युत अधिनियम-2003 की धारा 131( 2) व धारा 133 का उल्लंघन किए जाने का आरोप लगाया है। परिषद अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने शुक्रवार को आयोग के अध्यक्ष अरविंद से मुलाकात कर अवमानना प्रस्ताव दाखिल किया। वर्मा का कहना है कि पावर कारपोरेशन प्रबंधन ने मनमाने तरीके से मसौदा तैयार कराकर एनर्जी टास्क फोर्स से मुहर लगवाने का काम किया है।
नियमानुसार पहले बिजली कंपनियों के मूल्यांकन के लिए रेवेन्यू पोटेंशियल (राजस्व उपयोगिता) का आंकलन किया जाना चाहिए था। नियम है कि सरकारी बिजली कंपनियों को छोड़ जब भी किसी बिजली कंपनी की कोई परिसंपत्ति या शेयर किसी निजी पार्टी को हस्तांतरित करना होगा तो 25 वर्षों का रेवेन्यू पोटेंशियल का आंकलन करना बाध्यकारी होगा।
वर्मा ने कहा कि एनर्जी टास्क फोर्स ने अंतरण स्कीम पर जो निर्णय लिया है वह भी विद्युत अधिनियम के प्रविधानों के विपरीत है। बिजली कंपनियों के निजीकरण की अवैधानिक रूप से आगे बढ़ाई जा रही प्रक्रिया को आयोग नियमानुसार सुनिश्चित कराए।
दूसरी तरफ विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति ने सरकार के बिजली के निजीकरण के लाभ संबंधी विज्ञापन पर नाराजगी जताते हुए घोषणा की है कि शनिवार को प्रांतव्यापी विरोध दिवस मनाया जाएगा। विज्ञापन में तमाम अंतर्विरोध हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मांग की है कि निजीकरण पर अंतिम फैसला लेने से पहले संघर्ष समिति को पक्ष रखने का मौका दें।
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