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    Disability Certificate: यूपी में दिव्यांगों को मिली ये सुविधा, अब प्राइवेट डॉक्टर्स भी देंगे सर्टिफिकेट

    Updated: Tue, 15 Jul 2025 07:36 PM (IST)

    लखनऊ में दिव्यांगों के प्रमाण पत्र बनाने के लिए निजी डॉक्टरों की सेवाएँ ली जाएँगी। दिव्यांगों को स्वरोजगार से जोड़ने के लिए दुकानें बनाई जाएंगी। स्कूलों में विलय के दौरान दिव्यांग बच्चों का सर्वेक्षण होगा। सार्वजनिक भवन दिव्यांगों के लिए अनुकूल होंगे। दिव्यांगों को नौकरियों में 5% आरक्षण मिलेगा और 10.41 लाख दिव्यांगों को पेंशन भेजी गई है।

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    दिव्यांग प्रमाण पत्र बनाने को निजी चिकित्सकों की भी ली जाएगी सेवा

    राज्य ब्यूरो, लखनऊ। दिव्यांगों के प्रमाण पत्र बनाने में आ रही विशेषज्ञ चिकित्सकों की अनुपलब्धता की मुश्किल अब हल होगी। सरकारी अस्पताल में चिकित्सक न होने पर निजी अस्पतालों के विशेषज्ञ चिकित्सकों की भी सेवाएं ली जा सकेंगीं।

    उप्र राज्य सलाहकार बोर्ड की छठवीं बैठक में यह निर्णय लिया गया। बैठक में नगर विकास विभाग को दिव्यांगों को स्वरोजगार से जोड़ने के लिए निकायों में दुकान व कियास्क निर्माण कर आवंटित करने की योजना तैयार करने के भी निर्देश दिए गए।

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    दिव्यांगजन सशक्तीकरण राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार नरेंद्र कश्यप ने कहा कि स्कूलों के विलय के दौरान दिव्यांग बच्चों का सर्वे किया जाए और उनके आने-जाने के लिए वैकल्पिक व्यवस्था की जानी चाहिए।

    मंगलवार को योजना भवन में हुई बैठक में निर्देश दिए गए कि सार्वजनिक भवनों, सुलभ शौचालयों आदि को दिव्यांगजन अनुकूल बनाया जाए। बताया गया कि आवास एवं शहरी नियोजन विभाग के 278 भवनों में से 271 भवनों को दिव्यांगजन अनुकूल बनाया जा चुका है।

    आइटी एवं इलेक्ट्रानिक विभाग को भी सभी सरकारी वेबसाइटों को दिव्यांगजन फ्रेंडली बनाने के निर्देश दिए। बताया गया कि अब तक 44 वेबसाइटों को अनुकूल बनाया जा चुका है। बोर्ड ने माध्यमिक व उच्च शिक्षा विभाग को दिव्यांगों के लिए प्रवेश में आरक्षण सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए।

    डा. शकुंतला मिश्रा पुनर्वास विश्वविद्यालय लखनऊ और जगद्गुरु श्रीरामभद्राचार्य दिव्यांग राज्य विश्वविद्यालय चित्रकूट की तरह सभी विवि को दिव्यांगजन अनुकूल बनाने के निर्देश दिए। बेसिक शिक्षा विभाग को विशेष शिक्षकों की नियुक्ति पर जोर देने को भी कहा गया।

    राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार ने कहा कि रोडवेज बसों में दिव्यांगों को चढ़ने-उतरने में चालक-परिचालक द्वारा सहायता दी जाए, चुनिंदा रूट पर चार से अधिक सीटें आरक्षित करने को भी कहा गया। निर्देश दिए कि विकास प्राधिकरणों और औद्योगिक क्षेत्रों में दिव्यांगजन को प्राथमिकता दी जाए।

    सभी विभाग नौकरियों में दिव्यांगों को पांच प्रतिशत आरक्षण के बैकलाग पर जल्द कोटा पूरा करें। हर छह माह में बोर्ड की बैठक अनिवार्य रूप से आयोजित करने पर भी सहमति बनी। बैठक में विधान परिषद सदस्य ध्रुव कुमार त्रिपाठी, विधायक देवेंद्र प्रताप सिंह, प्रमुख सचिव सुभाष चंद्र शर्मा, राज्य आयुक्त दिव्यांगजन प्रो. हिमांशु शेखर झा आदि सदस्य मौजूद रहे।

    बैठक के बाद पत्रकार वार्ता में मंत्री ने बताया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में दिव्यांगों को आत्मनिर्भर बनाने के प्रयास किए जा रहे हैं। चालू वित्तीय वर्ष में 10.41 लाख दिव्यांगों को पेंशन भेजी जा चुकी है।

    कुष्ठावस्था पेंशन योजना में 11,671 लाभार्थियों को लाभ मिला है। दिव्यांगों को 10,229 उपकरण वितरित किए गए हैं। 165 दिव्यांगजन को शल्य चिकित्सा अनुदान योजना का लाभ दिया गया है। राज्य में 18 बचपन डे-केयर केंद्र संचालित हो रहे हैं। वहीं 15,50,496 यूडीआइडी कार्ड जारी किए जा चुके हैं।