Adarsh Jail Lucknow: चार माह बाद काम पर लौटे आदर्श कारागार के बंदी, कोरोना संक्रमण के कारण लगी थी रोक
आदर्श कारागार के बंदी अब चार माह बाद फिर पहले की तरह तेलीबाग स्थित गन्ना अनुसंधान संस्थान में काम पर आने लगे हैं। उन्हें गन्ना संस्थान में मजदूरी करने एवं जेल मुख्यालय के बाहर स्थित अपनी दुकानें संचालित करने की अनुमति मिल गई है।

लखनऊ, जागरण संवाददाता। आर्दश कारागार के बंदी अब चार माह बाद फिर पहले की तरह तेलीबाग स्थित गन्ना अनुसंधान संस्थान में काम पर आने लगे हैं। उन्हें गन्ना संस्थान में मजदूरी करने एवं जेल मुख्यालय के बाहर स्थित अपनी दुकानें संचालित करने की अनुमति मिल गई है। बीते अप्रैल माह में कोरोना संक्रमण के पीक को देखते और जेल में बढ़ते संक्रमण के मद्देनजर कैदियों के बाहर जाने पर रोक लगा दी गई थी। करीब चार माह बाद मुख्यालय डीआइजी शैलेन्द्र मैत्रेय के निर्देश पर कैदियों को काम पर जाने की इजाजत मिल गई है। इस दौरान कैदियों को कोविड प्रोटोकॉल का पालन करना होगा। आदर्श कारागार के जेलर सीपी त्रिपाठी ने बताया कि उच्चाधिकारियों के निर्देश पर कैदियों को बाहर काम पर भेजा जाने लगा था। कोरोना के कारण चार माह से उन्हें नहीं भेजा जा रहा था।
एशिया की इकलौती जेल जहां बाहर काम करने को भेजे जाते हैं कैदीः लखनऊ के गोसाईगंज इलाके में स्थित आदर्श कारागार एशिया की इकलौती जेल है, जहां के कैदी काम करने के लिए जेल के बाहर भेजे जाते हैं। इसका उन्हें मेहनताना भी मिलता है। इतना ही नहीं कैदियों को यहां हर साल 15 दिन का अवकाश भी मिलता है। इस अवकाश में वह घर जाते हैं। आवश्यकता पड़ने पर उनका यह अवकाश बढ़ाया भी जाता है। आदर्श कारागार से करीब 100 बंदी रोजाना काम पर बाहर भेजे जाते हैं। इसमें 77 बंदी गन्ना संस्थान में मजदूरी करने को आते हैं। कुछ जेल के बाहर बनी दुकानें संचालित करते हैं और कुछ पुरान जेल रोड स्थित कारागार मुख्यालय के बाहर स्थित दुकानों पर आते हैं। यह दुकानें कैदियों को एलाट की गई हैं। यह सभी सजा याफ्ता औऱ अच्छे चाल चलन वाले कैदी होते हैं जो आर्दश कारागार में रखे जाते हैं।
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