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    Udhampur-Srinagar-Baramulla Rail Link Project : पत्नी को सीआरपीएफ कैंप में छोड़, आतंकी साये में कश्मीर को कन्याकुमारी से जोड़ा

    Updated: Fri, 06 Jun 2025 10:28 PM (IST)

    Udhampur-Srinagar-Baramulla Rail Link Project सुरेश कुमार सापरा की तैनाती (यूएसबीआरएल) प्रोजेक्ट के शिलान्यास से लेकर उसके मूर्त रूप लेने तक 14 साल र ...और पढ़ें

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    पत्नी को सीआरपीएफ कैंप में छोड़ आतंकी साये में कश्मीर को जोड़ा कन्याकुमारी से

    जागरण संवाददाता, लखनऊ : कश्मीर से कन्याकुमारी तक भारत एक है, लेकिन उसका रेल नेटवर्क जम्मू से आगे बढ़ा था। चीन और पाकिस्तान से जुड़ी सीमाओं पर स्थिति को मजबूत करने के लिए आतंकी घटनाओं के बीच कश्मीर को देश के रेल नेटवर्क को जोड़ने की शुरुआत हुई।

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    उधमपुर-श्रीनगर-बारामूला रेल लिंक (यूएसबीआरएल) प्रोजेक्ट के शिलान्यास के बाद रेलवे ने सर्वे तो शुरू किया, लेकिन वहां पर उनके कर्मचारी और परिवार के ठहरने की कोई जगह नहीं थी। टीम का नेतृत्व कर रहे उत्तर रेलवे के तत्कालीन एग्जीक्यूटिव इंजीनियर और अब आरडीएसओ के प्रिंसिपल एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर सुरेश कुमार सपरा की पत्नी नीतू सपरा को दो वर्ष के बेटे के साथ सीआरपीएफ कैंप में आसरा लेना पड़ा। श्रीनगर के लाल चौक में आतंकी हमले में वह बाल-बाल बचीं, लेकिन सुरेश कुमार सपरा के कदम पीछे नहीं हटे।

    आतंकी घटनाओं और विपरीत मौसम के बीच सुरेश कुमार सपरा और टीम ने सर्वे रिपोर्ट पूरा करके विश्व के सबसे कठिन क्षेत्र में ट्रेन दौड़ाने के सपने को पूरा करने की आधारशिला रख दी। प्रोजेक्ट में सपरा सहित कई अधिकारियों के परिवारों के संघर्ष की बड़ी भूमिका है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शुक्रवार को इस प्रोजेक्ट का लोकार्पण किया।

    सुरेश कुमार सापरा की तैनाती (यूएसबीआरएल) प्रोजेक्ट के शिलान्यास से लेकर उसके मूर्त रूप लेने तक 14 वर्ष रही। वर्ष 1997 में तत्कालीन प्रधानमंत्री एच डी देवगौड़ा ने यूएसबीआरएल प्रोजेक्ट का शिलान्यास किया था। सपरा दिल्ली से उधमपुर पहुंचे थे। इसी वर्ष अप्रैल में आइके गुजराल प्रधानमंत्री बने और काजीगुंड-बारामूला सेक्शन का शिलान्यास किया।

    ऐसे शुरू हुआ सर्वे

    सपरा को 12 जुलाई 1997 को 13 तकनीकी टीमों का नेतृत्व करने की जिम्मेदारी उनके वरिष्ठ साथ व तत्कालीन एग्जीक्यूटिव इंजीनियर संदीप गुप्ता ने सौंपी। उधमपुर से 13 किलोमीटर दूर जब सर्वे के लिए खोदाई चल रही थी, उसी समय भूस्खलन हो गया। राष्ट्रीय हाइवे 48 घंटे के लिए बंद कर दिया गया।

    मौसम ने भी रोका रास्ता

    काजीगुंड-बारामुला सर्वे के दौरान टीम के सामने आतंकवाद के साथ-साथ कठिन मौसम भी बाधा था। 12 नवंबर 1997 को सर्वे टीम में शामिल दो अधिकारी, तीन जूनियर इंजीनियर और छह हेल्पर नौगाम में भारी बर्फबारी में फंस गए थे। इन हालातों के बीच भी टोपोग्राफी शीट का अध्ययन कर पहले एलाइनमेंट की डिजाइन तैयार की गई। पेंपोर और काकापोरा में सर्वे के दौरान सर्दी बढ़ गई। पहली बर्फबारी 27 नवंबर 1997 को हुई। 15 दिसंबर तक सर्वे का काम ठप हो गया। टीम ने बचे काम को अगले वर्ष अप्रैल में शुरू किया। 31 अक्टूबर 1998 तक हमारी टीम ने काजीगुंड-बारामुला सर्वे की रिपोर्ट तैयार कर ली थी।

    कठिन था कटरा-काजीगुंड का सर्वे

    बारामूला-काजीगुंड के बाद एसके सपरा की टीम का अगला पड़ाव कटरा-काजीगुंड सेक्शन था। 2001 में तत्कालीन रेलमंत्री नितीश कुमार ने इस सेक्शन के प्रोजेक्ट का शिलान्यास किया। अक्टूबर 2008 में बडगाम से काकापोरा तक पहला ट्रायल रन हुआ। हिंदू, मुस्लिम और सिख धर्म गुरू ने 30 किलोमीटर प्रति घंटे की गति से ट्रेन चलाने से पहले विशेष प्रार्थना की। वर्ष 2009 में काजीगुंड-बारामुला सेक्शन 100 किमी. प्रति घंटे की गति से ट्रेन के रन ट्रायल के बाद कमीशंड हो गया था।

    आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल

    कश्मीर घाटी में और पीर पंजाल से कटरा के बीच सर्वे के लिए आधुनिक सर्वे प्रणाली का उपयोग किया गया। एरियल फोटोग्राफी, टोटल स्टेशन से त्रिकोणीय सर्वे एवं फाइनल लोकेशन सर्वे किया गया। इस कार्य में नेशनल इंफारमेटिक्स सेंटर, सर्वे आफ इंडिया, जियोलोजिकल सर्वे आफ इंडिया, नेशनल रिमोट सेंसिंग एजेंसी, आइआइटी रुड़की, आइआइटी दिल्ली, नेशनल इंस्टीट्यूट आफ राक मैकेनिक्स के विशेषज्ञों ने भी रेलवे की सर्वे टीम का पूरा सहयोग किया।

    कई विशेषज्ञ कहते थे यह प्रोजेक्ट शायद ही पूरा हो

    जब प्रोजेक्ट की आधारशिला रखी गई, तब कई विशेषज्ञ कहते थे कि शायद यह प्रोजेक्ट पूरा हो। एक तो भौगोलिक विषमताएं और दूसरा यह कि प्रोजेक्ट बड़ा हिस्सा आतंक प्रभावित क्षेत्रों से होकर गुजरने वाला था। शोपियां के सुगन में रेलवे के संगठन इरकान के इंजीनियर आरएन पुंडीर और उनके भाई का आतंकवादियों ने अपहरण कर उनकी हत्या कर दी थी। दुर्गम क्षेत्रों में सर्वे के दौरान कई बार एसके सपरा और टीम गांवों में रुककर स्थानीय कश्मीरियों के बनाए पाव-रोटी खाकर अपना पेट भरते थे। एक बार जिस स्थान पर रुककर इन लोगों ने खाना खाया, अगले दिन पता चला कि वहां एक आतंकवादी था जो एनकाउंटर में मारा गया।

    जम्मू कश्मीर में ऐसे पहुंची रेल लाइन

    • कठुआ से जम्मू तक 1972 में रेल लाइन प्रोजेक्ट पूरा
    • जम्मू-उधमपुर 53 किलोमीटर लंबे रेल नेटवर्क का काम मार्च 2004 में पूरा हुआ
    • इस रूट पर ट्रेन सेवा अप्रैल 2005 में शुरू हुआ।
    • उधमपुर-कटरा 25 किलोमीटर रेलखंड पर ट्रेन संचालन जुलाई 2014 में शुरू
    • काजीगुंड-श्रीनगर-बारामूला की 118 किलोमीटर लंबी रेल लाइन चार हिस्सों में अक्टूबर 2008 में शुरू हुई।
    • कटरा-रियासी 18 किमी रेलखंड को सीआरएस अनुमति एसके सपरा के नेतृत्व में जनवरी 2025 में मिली
    • रियासी-चेनाब-संगलदान 45 किलोमीटर रेलखंड की सीआरएस अनुमति जून 2024 में मिली
    • संगलदान-बनिहाल 48 किलोमीटर को फरवरी 2024 में रेल संचालन के लिए खोला गया
    • बनिहाल-काजीगुंड 18 किलोमीटर रेलखंड को जून 2013 में शुरू किया गया

    अयोध्या रेलखंड पर रिकार्ड समय में बिछाया ट्रैक

    एसके सपरा रेलवे के सबसे कामयाब इंजीनियरिंग सेवा के अधिकारी हैं। लखनऊ में डीआरएम रहते हुए उनको लखनऊ-अयोध्या रेलखंड की डबलिंग करने का लक्ष्य दिया गया था। लखनऊ-अयोध्या 110 किमी. लंबे रेलखंड का दोहरीकरण और विद्युतीकरण रिकार्ड 45 दिनों में एसके सपरा के कारण पूरा हो सका था। यह अब भी भारतीय रेल में एक रिकार्ड है।