Prevent Heart Attack : विशेषज्ञ चिकित्सकों की सलाह, सप्ताह में 200 मिनट टहलें तो हार्ट अटैक का खतरा होगा कम
Prevent Heart Attack हैवी एक्सरसाइज से भी हार्ट में दिक्कतें हो रही हैं। जिन्हें कोविड हुआ था उन्हें भी हार्ट डिजीज हो रही हैं लेकिन कोरोना वैक्सीन का हृदय पर दुष्प्रभाव न के बराबर है। कोरोना की वैक्सीन का साइड इफेक्ट एक लाख में केवल तीनों लोगों पर है।

जागरण संवाददाता, लखनऊ : देश के प्रख्यात कार्डियोलाजिस्ट फोर्टिस एस्कार्ट हार्ट इंस्टीट्यूट, नई दिल्ली के अध्यक्ष पद्मभूषण डॉ. अशोक सेठ ने कहा कि आजकल किसी भी उम्र में हार्ट अटैक हो जा रहा है। ऐसा कोरोना संक्रमण, वायु प्रदूषण और बदलती जीवन शैली के कारण हो रहा है।
भारत हार्ट डिजीज के मामलों में वर्ल्ड कैपिटल (वैश्विक राजधानी) बन रहा है। ऐसे में हृदय रोगों व हार्ट अटैक का खतरा कम करने के लिए स्वस्थ जीवन शैली अपनाना जरूरी है। इसके लिए सप्ताह में 200 मिनट टहलें। यानी हफ्ते में पांच दिन 40-40 मिनट तक वाक करें। इससे शुगर, ब्लड प्रेशर और कोलेस्ट्राल के साथ हार्ट रोगों का खतरा भी कम हो जाता है। वह दैनिक जागरण की ओर से होटल रेनेसा में आयोजित हेल्थ केयर एंड वेलनेस अवार्ड समारोह में बोल रहे थे। उन्होंने शहर के प्रतिष्ठित चिकित्सकों को हेल्थ केयर एंड वेलनेस अवार्ड भी दिए।
सत्र के संचालक मेदांता अस्पताल में यूरोलाजी रोबोटिक्स एंड किडनी ट्रांसप्लांट के निदेशक डॉ. मनमीत सिंह के प्रश्न पर डा. अशोक सेठ ने कहा कि हार्ट अटैक के कई कारण हैं। जैसे- डायबिटीज, ब्लडप्रेशर व कोलेस्ट्राल का बढ़ना, धूमपान, शराब पीना और वायु प्रदूषित क्षेत्रों में रहना। इसके अलावा मोटापा कई रोगों की जड़ है।
मोटापा कम करने और बाडी बिल्डिंग के लिए युवा जिम जा रहे हैं, लेकिन हैवी एक्सरसाइज से भी हार्ट में दिक्कतें हो रही हैं। जिन्हें कोविड हुआ था, उन्हें भी हार्ट डिजीज हो रही हैं, लेकिन कोरोना वैक्सीन का हृदय पर दुष्प्रभाव न के बराबर है। कोरोना की वैक्सीन का साइड इफेक्ट एक लाख में केवल तीनों लोगों पर है।
संजय गांधी परास्नातक आयुर्विज्ञान संस्थान (एसजीपीजीआइएमएस) लखनऊ में नेफ्रोलाजी विभाग के अध्यक्ष प्रो. नारायण प्रसाद ने किडनी रोगों पर दवाओं के दुष्प्रभाव और बचाव पर जानकारी दी। उन्होंने कहा कि आज दस में से एक व्यक्ति को किडनी डिजीज हो रही हैं। यह लोगों को नहीं पता कि अब डायबिटीज, हाइपरटेंशन से भी किडनी डिजीज हो रही हैं। वायु प्रदूषण भी इसका एक कारण है। लंबे समय तक दवाओं के सेवन से भी किडनी रोग हो रहे हैं। इसलिए बिना नेफ्रोलाजिस्ट के सुझाव के लंबे समय तक कोई भी दवा न लें।
एसजीपीजीआइएमएस के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक प्रो. देवेंद्र गुप्ता टेली आइसीयू के बारे में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि मरीज को समय पर उपचार मिलेगा तो उसकी रिकवरी अधिक होगी। हमारे देश-प्रदेश में जनसंख्या अधिक हैं और इसके सापेक्ष संसाधन कम। ऐसे में सभी को आइसीयू नहीं मिल सकता। इस दशा में टेली आइसीयू बेहतर विकल्प है।
किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय (केजीएमयू) के क्वीनमेरी विभागाध्यक्ष प्रो. अंजू अग्रवाल से सर्वाइकल स्क्रीनिंग के बारे में बताया कि इससे रोग के बारे में पता चलता है तो इसे नियंत्रित करना आसान होता है। उन्होंने कहा कि 30 वर्ष की उम्र के बाद हर पांच वर्ष में स्क्रीनिंग होनी चाहिए। प्री-कैंसर स्टेज में भी स्क्रीनिंग करानी चाहिए। ह्यूमन पेपिलोमावायरस (एचपीवी) वैक्सीन सभी बच्चियों को लगवाना आवश्यक है।
डॉ. राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ. विक्रम सिंह ने रोबोटिक सर्जरी पर अपनी बात रखी। उन्होंने कहा कि यह धारणा है कि रोबोटिक सर्जरी में रोबोट ही सर्जरी करता है, लेकिन ऐसा नहीं है। रोबोटिक सर्जरी की लागत अधिक होती है, लेकिन अब आयुष्मान योजना से भी असाध्य रोगियों का उपचार किया जा रहा है। ग्रामीण क्षेत्र के मरीजों को भी इसका लाभ मिल रहा है।
लोहिया संस्थान के कार्डियोलाजी विभाग के अध्यक्ष प्रो. भुवनचंद्र तिवारी ने इंटरवेंशन कार्डियोलाजी के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि अब इंटरवेंशन के सिस्टम बेहतर हो गए हैं। इससे परिणाम भी अच्छे आ रहे हैं। इंटरवेंशन बहुत आगे बढ़ गया है, लेकिन सर्जरी की भूमिका हमेशा रहेगी।
दुआएं हैं सबसे बड़ा प्रोत्साहन
पद्मभूषण डॉ. अशोक सेठ ने डाक्टरों को प्रोत्साहित किया। उन्होंने कहा कि आपको पता नहीं होगा कि मरीज कितनी दुआएं देते हैं। ये दुआएं आपके लिए सबसे बड़ा प्रोत्साहन हैं। उन्होंने चिकित्सकों को मरीजों की देखभाल, उनके प्रति सहानुभूति रखने, अपना कौशल बढ़ाने और भगवान से प्रतिदिन मरीजों को स्वस्थ करने की प्रार्थना करने की प्रेरणा दी। केजीएमयू की कुलपति प्रो. सोनिया नित्यानंद ने कहा कि कोरोना ने दिखाया है कि डॉक्टर की क्या भूमिका होती है।
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