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    लखनऊ के भातखंडे संगीत संस्थान में लौटी रौनक, अब आफलाइन परीक्षाएं कराने की तैयारी

    By Vikas MishraEdited By:
    Updated: Wed, 02 Mar 2022 02:58 PM (IST)

    Bhatkhande Institute Lucknow भातखंडे संस्थान में कोरोना के कारण पिछले साल आनलाइन पढ़ाई और परीक्षाएं हुई थीं जो अब आफलाइन हो रही हैं। परीक्षा फार्म भी ...और पढ़ें

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    भातखंडे संस्थान में संगीत की आफलाइन कक्षाएं शुरू हो गई हैं।

    लखनऊ, जागरण संवाददाता। भातखंडे संगीत संस्थान अभिमत विश्वविद्यालय में आनलाइन व्यवस्था अब धीरे-धीरे आफलाइन मोड पर आ रही है। भातखंडे संगीत संस्थान अभिमत विश्वविद्यालय में करीब डेढ़ साल बाद विद्यार्थियों की आफलाइन कक्षाएं शुरू हुई थीं। प्रथम वर्ष को छोड़कर गायन, वादन और नृत्य की अन्य कक्षाओं में विधिवत पढ़ाई होने लगी थी, फिर कोरोना के मामले बढ़ने लगे और यह व्यवस्था कुछ ही दिन बाद फिर से आनलाइन हो गई थी। अब इधर फिर से संगीत की आफलाइन कक्षाएं शुरू हो गई हैं। साथ ही संस्थान में परीक्षाओं की भी तैयारी है। इस बार आफलाइन परीक्षाएं हो सकती हैं। 

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    भातखंडे संस्थान में कोरोना के कारण पिछले साल आनलाइन पढ़ाई और परीक्षाएं हुई थीं, जो अब आफलाइन हो रही हैं। परीक्षा फार्म भी भरे जा रहे हैं। परीक्षा फार्म जमा करने की अंतिम तिथि 11 मार्च है। 50 रुपये परीक्षा फार्म और 1100 रुपये परीक्षा शुल्क के साथ फार्म जमा कर सकते हें। संस्थान में फार्म मिलने और जमा करने की प्रक्रिया चल रही है। संस्थान में अप्रैल में परीक्षाएं होती हैं, इस बार परीक्षाओं की तिथि को लेकर अभी तक कोई निर्णय नहीं लिया गया है। हालांकि, संगीत विद्यार्थियों की परीक्षा तैयारी आफलाइन परीक्षाओं के हिसाब से करवाई जा रही है। कथक प्रबुद्ध कक्षा की विद्यार्थी रुचि के अनुसार आनलाइन की अपेक्षा आफलाइन कक्षाएं और परीक्षाएं ही बेहतर है।

    विद्यार्थी दुर्गेश के अनुसार गुरु के सानिध्य में आफलाइन शिक्षा हमें बेहतर लगती है। गायन विभाग की हेड प्रो. सृष्टि माथुर के अनुसार आनलाइन कक्षाओं से पढ़ाई का नुकसान तो नहीं हुआ, पर सीखने के लिए आफलाइन कक्षाएं ही बेहतर हैं। साथ ही विद्यार्थियों की प्रतिभा के सही आंकलन के लिए आफलाइन परीक्षा ही ठीक है।

    भातखंडे संगीत संस्थान की स्थापना 1926 में मैरिस म्यूजिक कालेज के रूप में हुई थी। 95 वर्षों से भारतीय संगीत कला एवं संस्कृति के प्रचार, संवर्धन एवं विकास में एक अग्रणी संस्था के रूप में काम कर रही है। सात शिक्षक एवं 13 विद्यार्थियों से आरंभ हुई यह संस्था अब राज्य संस्कृति विश्वविद्यालय बन रही है।