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Ramadan Special: आखिरी अशरे में करें गुनाहों की तौबा

रमजान का आखिरी अशरा शुरू हो गया है। तीसरे अशरे के साथ अंतिम पड़ाव में पहुंचा इबादत का महीना रमजान।

By Divyansh RastogiEdited By: Published: Mon, 27 May 2019 02:20 PM (IST)Updated: Mon, 27 May 2019 02:20 PM (IST)
Ramadan Special: आखिरी अशरे में करें गुनाहों की तौबा

लखनऊ, जेएनएन। अपनी बरकतें बिखेर रमजान का दूसरा अशरा (दस दिन) विदा हो गया। अब मगफिरत (गुनाहों से माफी) का तीसरा अशरा सोमवार से शुरू हो जाएगा। अंतिम पड़ाव में दाखिल होने के साथ ही शहर में दर्स-ए-कुरआन के साथ इफ्तार का सिलसिला तेज हो गया है। रविवार को एक ओर दारुल उलूम फरंगी महल में कुरआन शरीफ का दर्स दिया गया तो वहीं कई जगह रोजा इफ्तार का आयोजन किया गया।

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इस्लामिक सेंटर ऑफ इंडिया की ओर से ऐशबाग ईदगाह में मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली ने रमजान की फजीलत बयां की। कहा कि रमजान के आखिरी अशरे में रोजेदारों को चाहिए कि वह अपने गुनाहों की तौबा तलब करें। रमजान के इन बाकी दिनों में फर्ज, सुन्नत, नवाफिल, तहज्जुद की पाबंदी के साथ एतकाफ करें। अपने माल की जकात अदा करें, सदका-ए-फित्र दे और गरीबों को ज्यादा से ज्यादा मद्द करें, ताकि वह भी ईद की खुशियों में शामिल हो सकें। वहीं, ओडियन सिनेमा के सामने सामुहिक रोजा इफ्तार का आयोजन किया गया। इस बीच नन्हें रोजेदार अजमल सिद्दीकी की रोजा कुशाई हुई। इसी तरह गाजीपुर यूनिट लखनऊ टीम की ओर से विकास नगर स्थित केके पैलेस में सामूहिक रोजा इफ्तार का आयोजन किया गया, जहां सैकड़ों रोजेदारों ने एक साथ इफ्तार कर अल्लाह का शुक्र अदा किया। इफ्तार के बाद रोजेदारों ने देश की तरक्की के लिए दुआएं मांगी।

 

फोन कर पूछें सवाल : रोजेदार अपने किसी भी सवाल का जवाब हासिल कर सकते हैं। इस्लामिक सेंटर ऑफ इंडिया के हेल्पलाइन नंबर-9415023970, 9335929670, 9415102947 व 7007705774 पर दोपहर दो से शाम चार बजे के बीच फोन कर सकते हैं। वहीं, सुबह दस से दोपहर 12 बजे के बीच आयतुल्ला अल उजमा सैयद सादिक हुसैनी शिराजी हेल्पलाइन नंबर 9839097407, 9415580936 व 0522-4233005 पर अपने सवालों के जवाब हासिल करें। इसी तरह महिलाएं भी हेल्पलाइन नंबर 6386897124 पर फोन कर अपने सवाल पूछ सकती हैं।

फजीलत : ईमान को पुख्ता बनाता है रोजा

नफ्स को काबू करने के साथ रोजा ईमान को मजबूत बनाता है। पूरे महीने रोजा रखकर इंसान न सिर्फ अपने ईमान को पुख्ता कर सकता है, बल्कि अपने शरीर को कई बीमारियों से भी बचा सकता है। कई रिसर्च से पता चला है कि रोजा न केवल पाचन शक्ति व नर्वस सिस्टम को आराम देता है, बल्कि मेटोबोलिज्म को भी सामान्य रखता है। रोजा बहुत सी बीमारियों का इलाज भी करता है। इसके अलावा रोजा गरीबों की जरूरतों का एहसास करता है। जब रोजेदार दिन में भूख व प्यास की शिद्दत से गुजरता है, तो गरीब की तकलीफों का एहसास होता है। जो इस्लाम का असल मकसद है।

जायका : दही बड़ा

रमजान में रोजेदारों को दही बड़े का जायका बहुत पसंद आता है। यही वजह है कि इफ्तार से पहले पुराने शहर में लगने वाली इफ्तारी की दुकानों पर दही बड़ा खूब बिकता है। इन दिनों दुकानों पर खट्टा-मीठा व नमकीन दो अलग-अलग तरीके के दही बड़े मिल रहे हैं, जिनका जायका इफ्तार में रोजेदार उठा रहे हैं।

इबादतगाह : मस्जिद दरगाह हजरत अब्बास

रुस्तम नगर स्थित दरगाह हजरत अब्बास लखनऊ में शिया मुसलमानों की सबसे पुराना धार्मिक स्थल है, जो ईराक के कर्बला शहर में बने हजरत अब्बास अलमदार की दरगाह की कॉपी है। इस दरगाह में मस्जिद भी है, जहां पांच वक्ता नमाज के साथ ईद-बकरीद की नमाज होती है। दरगाह (मस्जिद) की तामीर नवाब आसिफुद्दौला बहादुर के शासनकाल (1775-1797) में हुई थी।

शिया हेल्पलाइन

  • क्या शब-ए-कद्र के आमाल में सौ रकत नमाज पढ़ना जरूरी है?
  • इस नमाज के पढ़ने का बहुत सवाब है। अगर कजा वाजिब की नियत से सौ रकत नमाज पढ़ी जाए तो बेहतर है।
  • जकात-ए-फित्र किसे कहते हैं?
  • जकात दो तरह की होती है। एक शरीर की दूसरी संपत्ति की। जकात-ए-फित्र शरीर का होता है।
  •  इस साल एक व्यक्ति को कितना सदका-ए-फित्र देना होगा?
  • प्रति व्यक्ति एक साल यानी तीन किलो अनाज की रकम (करीब 75 रुपये) या उससे अधिक देना होगा।
  •  क्या इस्लाम में शेव करना मना है?
  • शेव कराना हराम है, ऐसा करने पर गुनाहगार होगा।
  • क्या महिलाओं का चेहरा छुपाना जरूरी है?
  • अगर मेकअप किया है तो चेहरा छुपाना जरूरी है।

सुन्नी हेल्पलाइन

  • क्या नाबालिग रमजान में आखिरी अशरे में एतकाफ कर सकता है?
  • अगर समझदार है तो एतकाफ कर सकता है, लेकिन यह नफली एतकाफ होगा मसनून नहीं।
  • क्या भूल से मस्जिद के बाहर निकलने से एतकाफ टूट जाएगा?
  • हां, लेकिन गुनाहगार नहीं होगा।
  •  क्या बैंक में जमा रकम पर भी जकात देनी होगी?
  • साल गुजर गया और साहिब-ए-निसाब है तो जकात देनी होगी।
  •  क्या हज यात्र के लिए छह सालों से रकम जमा कर रहे हैं और इसबार हज जाने का इरादा है तो क्या उस रकम पर भी जकात देनी होगी?
  • रकम खर्च नहीं हुई है तो पिछले वर्षो की जकात देनी होगी।
  •  नमाज में किसी गैर नमाजी का लुक्मा (भूलने पर बाते करना) ले लिया है तो क्या होगा?
  • ऐसी सूरत में नमाज टूट जाएगी।
  • रमजान में रोजेदारों को दही बड़े का जायका बहुत पसंद आता है। यही वजह है कि इफ्तार से पहले पुराने शहर में लगने वाली इफ्तारी की दुकानों पर दही बड़ा खूब बिकता है। इन दिनों दुकानों पर खट्टा-मीठा व नमकीन दो अलग-अलग तरीके के दही बड़े मिल रहे हैं, जिनका जायका इफ्तार में रोजेदार उठा रहे हैं।
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