Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    त्रेतायुग जैसा बनेगा प्रयागराज का श्रृंगवेरपुर धाम, भगवान राम और निषाद राज की लगेगी प्रतिमा

    प्रयागराज स्थित श्रृंगवेरपुर धाम में पर्यटन विभाग निषाद राज पार्क विकसित कर रहा है। शुक्रवार को कैबिनेट ने 14 एकड़ सरकारी भूमि पर्यटन विभाग को निश्शुल्क हस्तांतरण का प्रस्ताव स्वीकृत कर दिया। इसके साथ ही श्रीराम और निषाद राज की 51 फीट ऊंची प्रतिमा स्थापित की जाएगी।

    By Umesh Kumar TiwariEdited By: Updated: Sat, 09 Jan 2021 07:33 AM (IST)
    Hero Image
    प्रयागराज स्थित श्रृंगवेरपुर धाम को ऐसा बनाया जाएगा कि वहां पहुंचते ही त्रेता युग का आभास हो।

    लखनऊ [राज्य ब्यूरो]। उत्तर प्रदेश में आध्यात्मिक और सांस्कृतिक पर्यटन को और बढ़ाना चाह रही योगी सरकार अयोध्या की तरह ही एक और स्थल को आस्था का बड़ा केंद्र बनाने की तैयारी में है। वनगमन के वक्त जहां से प्रभु श्रीराम ने गंगा पार किया था, प्रयागराज स्थित उस श्रृंगवेरपुर धाम को ऐसा बनाया जाएगा कि वहां पहुंचते ही त्रेता युग का आभास हो। वहां वन विभाग के शोध के आधार पर रामायणकालीन वृक्ष भी लगाए जा रहे हैं।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    कुछ समय पहले ही अयोध्या में श्रीराम मंदिर के निर्माण के साथ ही अवधपुरी का विकास मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ प्राथमिकता पर करा रहे हैं। इसी तरह प्रयागराज स्थित श्रृंगवेरपुर को लेकर भी सरकार गंभीर है। यहां पर्यटन विभाग द्वारा लगभग पंद्रह करोड़ रुपये से निषाद राज पार्क विकसित किया जा रहा है। इसके लिए विभाग को अतिरिक्त भूमि की जरूरत थी। शुक्रवार को कैबिनेट ने 14 एकड़ सरकारी भूमि पर्यटन विभाग को निश्शुल्क हस्तांतरण का प्रस्ताव स्वीकृत कर दिया।

    प्रमुख सचिव पर्यटन मुकेश मेश्राम ने बताया कि श्रृंगवेरपुर को भव्य स्वरूप दिया जा रहा है। पौराणिक महत्व को देखते इसे पर्यटन के महत्वपूर्ण स्थल के रूप में विकसित किया जा रहा है। भगवान राम और निषाद राज के यहां मिलन का उल्लेख पुराणों में मिलता है, इसलिए श्रीराम और निषाद राज की 51 फीट ऊंची प्रतिमा स्थापित की जाएगी।

    इसके अलावा श्रृंगवेरपुर में वन विभाग से शोध कराया है। यह पता लगाया है कि त्रेतायुग में यहां कौन-कौन सी प्रजाति के वृक्ष लगे थे। उन्हीं प्रजातियों के पेड़ लगाए जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि इस स्थल को ऐसा बनाने का प्रयास है कि कोई आए तो उसे रामायणकाल का अहसास हो। नई पीढ़ी उससे जुड़ सके और पर्यटन बढ़े।