यूपी में तीन साल में हुई रिकॉर्ड विद्युत दुर्घटनाएं, विभाग की लापरवाही से हजारों की मौत से लोग हैरान
लखनऊ में करंट लगने से हो रही मौतों पर विद्युत विभाग सवालों के घेरे में है। हर साल सैकड़ों लोग और जानवर करंट से मर रहे हैं जिससे विभाग को करोड़ों का मुआवजा देना पड़ रहा है। विद्युत सुरक्षा निदेशालय की जांच में पता चला है कि 2022 से 2025 के बीच साढ़े दस हजार से ज्यादा दुर्घटनाएं हुईं हैं। विभाग अक्सर मामलों को दबा देता है।

अंशू दीक्षित, लखनऊ। प्रदेश के कई जिलों में हर साल सैकड़ों इंसान व मवेशी करंट से मर रहे हैं। लाखों रुपये की फसल बिजली के तार टूटने से जल जाती है। इन घटनाओं से बिजली विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े हो रहे हैं।
वहीं, दूसरी तरफ करोड़ों रुपये मुआवजा देने से विभाग को आर्थिक नुकसान अलग से उठाना पड़ रहा है। इसके बाद भी इंफ्रास्ट्रक्चर न तो सुरक्षित हो पा रहा है और न घटनाएं रोकने के लिए जिम्मेदार गंभीर हैं।
ये बातें विद्युत सुरक्षा निदेशालय की जांच के बाद जारी रिपोर्ट से उजागर हुई हैं। बिजली विभाग के अलग-अलग डिस्काम ही विद्युत सुरक्षा निदेशालय से घटना के बाद जांच करवाते हैं। वर्ष 2022 से वर्ष 2025 के बीच करीब साढ़े दस हजार बिजली से जुड़ी दुर्घटनाएं हुईं, जिनमें मौतें हुई हैं।
इसे निदेशालय ने घातक और साधारण श्रेणी में बांटा है। लखनऊ में ही हुसैनगंज, इस्माइलगंज, आलमबाग में करंट से तीन लोगों की जान गई और तकरोही से इस्माइलगंज के बीच पांच मवेशी बरसात के पानी में करंट आने से मर गए।
बिजली विभाग अमूमन घटनाओं को दबा देता है। वहीं कई मामलों में स्थानीय लोगों के विरोध पर विभाग दुर्घटनाओं की जांच विद्युत सुरक्षा निदेशालय से करवाता है। प्रदेश के सभी डिस्काम द्वारा विद्युत सुरक्षा निदेशालय भेजी गई रिपोर्ट बताती है कि घटनाओं का ग्राफ जिस गति से नियंत्रित होना चाहिए, वह नहीं हो रहा है। वर्ष 2022-2023 में 3,845 विद्युत दुर्घटनाएं हुई, वर्ष 2023-2024 में यह आंकड़ा कम होकर 3,640 हो गया।
वर्ष 2024-2025 में अभी तक का आंकड़ा तीन हजार के आसपास पहुंच चुका है। यह आंकड़े उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन लिमिटेड के अंतर्गत आने वाले मध्यांचल, पूर्वांचल, दक्षिणांचल, पश्चिमांचल डिस्काम व केस्को के अंतर्गत आने वाले जिलों में हुई दुर्घटनाओं के हैं।
क्या है मुआवजे का नियम
- अगर फसल जलती है तो विद्युत सुरक्षा निदेशालय की टीम जांच करती है और लेखपाल अपनी रिपोर्ट लगाता है कि कितनी फसल जली। फसल क्या थी और सरकारी मूल्य क्या है। उसके हिसाब से उसका निर्धारण होता है।
- करंट से व्यक्ति की मौत पर पांच लाख मुआवजा निर्धारित है।
- मवेशी करंट से मरता है तो उसकी नस्ल के अनुसार मुआवजा दिया जाता है।
निदेशालय हमेशा सुरक्षा व संरक्षा को लेकर गाइड लाइन जारी करता है। सेमिनार कराए जाते हैं और वितरण से जुड़े अभियंताओं को बताया जाता है कि कैसे दुर्घटनाओं का ग्राफ शून्य पर लाए? इसके अलावा हर जांच में सेफ्टी को लेकर अवगत कराया जाता है। इसी का नतीजा है हर साल ग्राफ कम होता जा रहा है। -जीके सिंह, निदेशक, विद्युत सुरक्षा निदेशालय।
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