मशहूर शायर अजमल सुलतानपुरी का निधन, काफी समय से थे बीमार
शायर अजमल सुलतानपुरी को उर्दू अकादमी दे चुकी है लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड ।
सुलतानपुर, जेएनएन। 'मेरे बचपन का हिंंदुस्तान, न बंग्लादेश न पाकिस्तान, मेरी आशा मेरा अरमान, वो पूरा-पूरा हिंदुस्तान, मैं उसको ढूंढ़ रहा हूं मैं उसको ढूंढ़ रहा हूं' जैसी रचनाओं से साहित्य जगत में छाप छोडऩे वाले मशहूर शायर अजमल सुलतानपुरी का बुधवार की शाम निधन हो गया। वे 94 साल के थे और काफी समय से बीमार चल रहे थे। उनके निधन से जिले भर में शोक की लहर दौड़ गई है।
अजमल का जन्म 1926 में कुड़वार विकास खंड के हरखपुर गांव में एक साधारण परिवार में हुआ था। 1967 में वे शहर के खैराबाद मुहल्ले में आकर बस गए। उनके दो बेटे और दो बेटियां हैं। 2016 में उन्हें उप्र उर्दू अकादमी की ओर से लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड से नवाजा गया था।
पाकिस्तान का ठुकराया था प्रस्ताव
अदब के शायर अजमल सुलतानपुरी ने अपनी रचनाओं के दम पर देश-विदेश में बड़े-बड़े कवि सम्मेलनों की शोभा बढ़ाई थी। एक बार उन्हें पाकिस्तान में कवि सम्मेलन में भाग लेने का प्रस्ताव मिला तो उन्होंने यह कहकर मना कर दिया कि जब पाकिस्तान हमसे अलग हो गया है, तो मैं वहां कैसे जा सकता हूं। बॉलीवुड से आए प्रस्ताव को भी उन्होंने खारिज कर दिया था।