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    Yogi Cabinet: हटाई गई 12 मीटर की शर्त, यूपी में अब सात मीटर चौड़ी सड़क के किनारे क्या बन सकेगा? 

    Updated: Sat, 15 Nov 2025 05:35 AM (IST)

    राज्य सरकार ने प्लेज पार्क योजना में संशोधन किया है, जिससे अब 7 मीटर चौड़ी सड़कों पर भी प्लेज पार्क बन सकेंगे। 7 मीटर चौड़ी सड़क होने पर 1.50 मीटर का फुटपाथ जरूरी होगा। इन पार्कों में केवल ग्रीन श्रेणी की औद्योगिक इकाइयाँ ही स्थापित की जा सकेंगी। विकास प्राधिकरणों की सीमा में स्थापित पार्कों से 25% विकास शुल्क लिया जाएगा। निवेशकों को 10% भूमि पर वाणिज्यिक सुविधाएँ विकसित करनी होंगी।

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    राज्य ब्यूरो, लखनऊ। राज्य में औद्योगिक निवेश को बढ़ावा देने के लिए कैबिनेट ने प्लेज पार्क योजना में संशोधन को स्वीकृति दे दी है। कैबिनेट की स्वीकृति के बाद अब राज्य में निजी निवेशकों द्वारा 12 मीटर की बजाय सात मीटर चौड़ी सड़कों पर भी प्लेज पार्कों की स्थापना की जा सकेगी। योजना में प्रथम संशोधन के रूप में यह शर्त भी रखी गई है कि अगर सड़क की चौड़ाई सात मीटर होगी तो 1.50 मीटर का फुटपाथ होना जरूरी है।

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    राज्य सरकार ने सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम (एमएसएमई) क्षेत्र के लिए वर्ष 2023 में प्लेज पार्क योजना शुरू की थी। योजना के तहत निजी कंपनियों व किसानों को 15 से 50 एकड़ भूमि पर औद्योगिक पार्कों की स्थापना के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। प्लेज पार्कों तक 2.5 किलोमीटर सड़क के निर्माण के जिम्मेदारी लोक निर्माण को सौंपी गई है।

    योजना में संशोधन के बाद यह शर्त भी जोड़ी गई है कि सात मीटर चौड़ी सड़कों के किनारे बनने वाले प्लेज पार्कों में ग्रीन (आरेंज) श्रेणी की औद्योगिक इकाईयों की ही स्थापना की जा सकेगी, जबकि 12 मीटर चौड़ी सड़कों के किनारे हर प्रकार की औद्योगिक इकाईयां स्थापित हो सकेंगी।

    विभिन्न विकास प्राधिकरणों की सीमा में स्थापित होने वाले प्लेज पार्कों के निवेशकों से एमएसएमई विभाग 25 प्रतिशत विकास शुल्क वसूलेगा। सीमा से बार बनने वाले प्लेज पार्कों से यह शुल्क नहीं लिया जाएगा। साथ ही संबंधित विकास प्राधिकरण द्वारा प्लेज पार्कों का नक्शा पास किया जाएगा। विकास प्राधिकरण की सीमा से बाहर बनने वाले प्लेज पार्कों का नक्शा उद्योग विभाग के आयुक्त एवं निदेशक या उनके द्वारा नामित अधिकारी द्वारा स्वीकृत किया जाएगा।

    योजना में संशोधन के बाद एक शर्त यह भी जोड़ी गई है कि संपूर्ण प्लेज पार्क को एक इकाई माना जाएगा। इसलिए इनमें स्थापित होने वाली इकाईयों को अलग-अलग स्टांप शुल्क नहीं देना पड़ेगा। भूखंडों के आवंटन के लिए संबंधित जिलाधिकारी द्वारा एक समान सर्किल दर निर्धारित की जाएगी। निवेशकों को 10 प्रतिशत भूमि पर औद्योगिक व वाणिज्यिक सुविधाएं विकसित करनी होंगी।