कहीं सड़क पर ही गोटिया तो कोई मोबाइल में खेलता लूडो, बोरियत से बचाने के लिए अपनाते हैं ऐसे तरीके
अजब-गजब टाइम पास। खुद को बोरियत से बचाने के लिए तरह-तरह के गेम्स या तरीकेढूंढ लेते हैं। ...और पढ़ें

लखनऊ[महेंद्र पाडेय]। एक तरफ जहा दौड़भाग के बीच कई लोगों के पास खुद के लिए समय नहीं है वहीं कुछ लोगों के पास काटने के लिए समय ही समय है। ऐसे लोग खुद को बोरियत से बचाने के लिए तरह-तरह के गेम्स या तरीके ढूंढ लेते हैं। खास बात यह है कि इस जमात में छोटे से लेकर बड़े सभी शामिल हैं तो आइए आपको बताते हैं कि शहर में लोग टाइम पास के लिए कैसे-कैसे तरीके अपना रहे हैं.
मोबाइल लूडो में वो बात कहा.
लूडो तो अब लोग मोबाइल पर भी खेल लेते हैं लेकिन मेज पर लूडो चार्ट बिछाकर खेलने का जो मजा है, वो बात मोबाइल लूडो में नहीं। प्राजल चौरसिया कहते हैं कि जब भी बोर होता हूं अर्पणा सरोज, हितेश वसवानी व नैना श्रीवास्तव को बुला लेता हूं। इसके नियम हम खुद बनाते हैं। पासा के 6 और 1 अंक दोनों से गोटिया खोलते हैं जबकि मोबाइल में लूडो के नियम कुछ अलग हैं। खेलते-खेलते कब समय कट जाता है पता ही नहीं चलता। अगर हारे तो लगातार कई बाजिया हो जाती हैं। तो सड़क पर ही बिछा देते हैं गोटिया
सुरबग्घी का नाम तो आपने सुना ही होगा। गोटियों वाला यह गेम पुराने लखनऊ में आज भी खेला जाता है। यहा बुजुर्ग और युवा अक्सर सड़क पर गोटिया बिछाकर खेलते दिख जाते हैं। रवींद्र बताते हैं कि इस गेम के प्रति लोगों का नशा ही अलग होता है। अब तो बाजार में इसका चार्ट और गोटिया भी आती हैं लेकिन हम लोग जमीन पर रेखाएं खींच कर उस पर गोटी बिछाकर भी यह खेल खेलते हैं। इसे दो, तीन या इससे अधिक लोग भी एक साथ खेल सकते है। .तब भी मिस नहीं करता सुडोकू
खाली वक्त में डाली गई कोई आदत अगर आपका शौक बन जाए तो शायद आप ऐसे वक्त की तलाश में रहेंगे। कुछ ऐसा ही होता है राजन मिश्र के साथ। वह कहते हैं ऑफिस के काम से अक्सर थक जाता हूं। मन को हल्का करने के लिए सुडोकू गेम खेलना शुरू किया। अब तो इसके लिए समय भी निकाल लेता हूं। किसी भी सप्ताह का अखबार मिस नहीं करता। अगर कभी न्यूज पेपर खो गया तो बाहर से पड़ोसी के यहा से मंगाकर खेलता हूं। अंकों के इस गेम में माथापच्ची करना हमें खूब पसंद हैं। इससे टाइम पास भी होता है और मानसिक संतुष्टि भी मिल जाती है।
कैरम की रानी तो हम ले ही जाएंगे.
वह जहा भी घूमने जाते हैं कैरम बोर्ड साथ ले जाते हैं। घर में रहते हैं तो दोस्तों की टोली वहा पहुंच जाती है। सभी कुर्सिया लगाकर बैठ जाते हैं बीच में कैरम रख शुरू हो जाता है गेम। सब कोई रानी गोटी को अपने पाले में करने के लिए दिमाग लगाता है। राजन कहते हैं अक्सर पढ़ते-पढ़ते मन ऊब जाता है तब वक्त में कैरम खेलकर मनोरंजन करते हैं। ऐसे भी टाइम पास करते हैं लोग
नहीं छूटती सिगड़ी
आज भी गलियों में बच्चे सिगड़ी खेलते नजर आ जाते हैं। इससे रोजाना दोस्तों से मुलाकात का बहाना भी मिल जाता है। बिजनेस का अपना मजा
घरों में बिजनेस का जो मजा सालों पहले था वो आज भी कई जगह देखने को मिल जाता है। खाली टाइम इतनी तेजी से गुजरता है कि पता ही नहीं चलता। कॉमिक्स है सदाबहार
चाचा चौधरी के हिस्से हों या नागराज की फाइट.देखने और सुनने से ज्यादा पढ़ने का मजा कुछ ज्यादा है। शायद इसीलिए बच्चों के लिए आज भी ये फेवरेट है।

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