Move to Jagran APP

लखनऊ में समृद्धि की कामना के साथ प्रवाहित हुईं केले की नाव, जुटे उड़िया समाज के लोग

झूलेलाल घाट पर हुई बोइटो वंदना। कोरोना संक्रमण के चलते लोगों की संख्या कम थी। सुरक्षा के साथ नावों को प्रवाहित किया गया। मान्यता है कि पहले नाव के सहारे ओडिशा के व्यापारी जावा सुमात्रा बोर्नियो व श्रीलंका जैसे कई देशों में कारोबार के लिए जाते थे।

By Anurag GuptaEdited By: Published: Mon, 30 Nov 2020 06:30 AM (IST)Updated: Mon, 30 Nov 2020 08:30 AM (IST)
लखनऊ में समृद्धि की कामना के साथ प्रवाहित हुईं केले की नाव, जुटे उड़िया समाज के लोग
समृद्धि की कामना को लेकर उडिय़ा समाज झूलेलाल घाट पर पूजन।

लखनऊ, जेएनएन। विकास के इस चकाचौंध में भी हमारी धार्मिक मान्यताएं भी कदमताल करती हैं। केले के तने से बनी नावों को आदि गंगा गोमती में प्रवाहित करने कर समृद्धि की कामना के लिए उड़िया समाज के लोग सोमवार को सुबह ही झूलेलाल घाट पर नजर आए तो एक बार फिर सदियों पुरानी परंपरा मुस्कुरा उठी। बोइटो वंदना के पावन पर्व पर केले के तने से बनी आस्था की नाव से व्यापार बढ़ऩे के सपने देखने की उत्सुकता समाज के लोगों में देखते ही बन रही थी। कोरोना संक्रमण के चलते लोगों की संख्या कम थी। सुरक्षा के साथ नावों को प्रवाहित किया गया।

loksabha election banner

कार्तिक पूर्णिमा के दिन लखनऊ उडिय़ा समाज की ओर से पारंपरिक बोइटो वंदना का पर्व मनाया जाता है। सुबह भक्ति के माहौल के बीच समाज के लोगाें के आने का क्रम शुरू हुआ और देखते ही देखते लोगों का जमावड़ा लग गया। उडिय़ा समाज के अध्यक्ष जीबी पटनायक के नेतृत्व में झूलेलाल घाट पर जुटे समाज के लोगों ने बढ़चढ़ कर हिस्सा लिया। समाज के सचिव डॉ.डीआर साहू ने बताया कि केले के तने से बनीं 100 से अधिक नावों को गोमती के पानी में प्रवाहित किया गया। सुबह पूजन के साथ ही पारंपरिक खिचड़ी का भोग बांटा गया। इस अवसर पर एडीजी एसएन साबत संध्या, रुपाली, वनीसा, वंदना व प्रणति समेत समाज के लोग मौजूद रहे। प्रोफेसर डॉ.सुनीता मिश्रा ने बताया कि बारिश में नाव से व्यापार बंद हो जाता है। दीपावली के बाद कार्तिक पूर्णिमा के दिन पानी में व्यापार करने वाले नाव से उतरते हैं। उनके सफल व्यापार और जानमाल की सुरक्षा की कामना की जाती है। इसी मान्यता के चलते केले के तने से बनी नाव प्रवाहित की जाती है। उड़ीसा में यह पर्व बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है। कोरोना संक्रमण की वजह से छोटे स्तर पर आयोजन किया गया।

इसलिए मनाया जाता है बोइटो वंदना

बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर केंद्रीय विवि की प्रो.सुनीता मिश्रा ने बताया कि हर साल कार्तिक पूर्णिमा को त्योहार मनाया जाता है। मान्यता है कि पहले नाव के सहारे ओडिशा के व्यापारी जावा, सुमात्रा, बोर्नियो व श्रीलंका जैसे कई देशों में कारोबार के लिए जाते थे। बारिश के बाद शुरू होने वाली यात्रा के दौरान कोई बाधा न आए और व्यापार आगे बढ़े, इसके लिए पूजा की जाती थी। सदियों पुरानी परंपरा अभी भी जीवंत है। पांच दिनों तक उत्सव का माहौल रहता है।

लखनऊ उडिय़ा समाज द्वारा आयोजित होने वाले समारोह में केले के डंठल से बनी नावें गोमती में प्रवाहित कर प्रतीकात्मक रूप से यह पर्व मनाया जाएगा। अंतिम दिन घरों में मछली और चावल बनाया जाता है। शाकाहारी मटर-पनीर व खीर बनाते हैं।  


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.