'मोती की खेती से बदलेगी किसानों की किस्मत', राज्यपाल ने तालाब में सीप छोड़कर पर्ल फार्मिंग का किया शुभारंभ
लखनऊ में किसान दिवस पर, राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने मोती की खेती परियोजना का शुभारंभ किया, जिससे किसानों की आय में वृद्धि हो सकती है। उन्होंने बलिया के ...और पढ़ें

राज्य ब्यूरो, लखनऊ। खेतीबाड़ी में नवाचार किसानों के लिए नई संभावनाओं के द्वार खोल रहा है। किसान दिवस पर मंगलवार को राज्यपाल भवन में आयोजित कार्यक्रम में राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने मोती की खेती (पर्ल फार्मिंग) परियोजना का शुभारंभ किया।
इस दौरान उन्होंने कहा कि देश की प्रगति किसानों की समृद्धि से जुड़ी है, ऐसे में मोती की खेती जैसे नवाचार किसानों और महिलाओं की आय और उनकी जीवन गुणवत्ता बढ़ाएंगे।
राज्यपाल ने परिसर में बने तालाब में सीप छोड़ने के साथ ही मोती के सीप की सर्जरी प्रक्रिया के बारे में भी जाना। राजभवन के स्टाफ को निर्देशित किया कि वो प्रोटोकाल निभाने की औ पचारिकताओं के बजाय जनसहयोग पर फोकस करें। उन्होंने कृषि-केंद्रित कंपनी मणि एग्रो हब प्राइवेट लिमिटेड के साथ एमओयू करने के लिए भी कहा।
राज्यपाल ने बलिया के किसान जेपी पांडेय की कहानी को एक उदाहरण की तरह पेश करते हुए समझाया कि कैसे उन्होंने एक गिर नस्ल की गाय के पालन से दूध, पनीर और घी का रिकार्ड उत्पादन कर गांव में बाजार विकसित कर दो सौ किसानों को लाभान्वित भी किया।
अधिकारियों को निर्देश दिया कि वो नियमित रूप से बैठक कर कम समय और कम खर्च में बेहतर और त्वरित परिणाम दें। मणि एग्रो हब के निदेशक आनंद त्रिपाठी ने कहा कि मोती एक प्राकृतिक रत्न है, जिसकी देश-विदेश में निरंतर मांग बढ़ने के बावजूद भारत में उत्पादन बहुत कम है।
बताया कि 2000 वर्ग फीट के तालाब में 10,000 सीपों की खेती से 18 माह की अवधि में औसतन 8.5 लाख रुपये तक की आय संभव है। भारत सरकार की मत्स्य सम्पदा योजना के अंतर्गत मोती की खेती पर 50 प्रतिशत तक अनुदान भी उपलब्ध है, जिससे यह परियोजना किसानों के लिए लाभकारी सिद्ध हो रही है।
राज्यपाल के विशेष कार्याधिकारी सुधीर महादेव बोबडे, विशेष कार्याधिकारी शिक्षा डा. पंकज एल जानी, विशेष कार्याधिकारी राज्यपाल अशोक देसाई, विशेष सचिव श्रीप्रकाश गुप्ता समेत कई अन्य उपस्थित रहे।

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