Manoj Kumar Pandey : कारगिल युद्ध के महानायक कैप्टन मनोज कुमार पाण्डेय की जयंती पर सीएम योगी आदित्यनाथ ने किया नमन
Paramveer Chakra Awardee Captain Manoj Kumar Pandey मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य तथा उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने भी शनिवार को परमवीर चक्र से सम्मानित स्वर्गीय कैप्टन मनोज कुमार पाण्डेय की जयंती पर उनको नमन किया।
लखनऊ, जेएनएन। भारतीय सेना के अमर वीर बलिदानी कैप्टन मनोज कुमार पाण्डेय की 47वीं जयंती पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उनको नमन किया। मात्र 24 वर्ष की आयु में कारगिल युद्ध के महानायक बने मनोज कुमार पाण्डेय को मरणोपरांत परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया। सीतापुर निवासी स्वर्गीय मनोज कुमार पाण्डेय लखनऊ के गोमतीनगर में रहते थे।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य तथा उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने भी शनिवार को स्वर्गीय कैप्टन मनोज कुमार पाण्डेय की जयंती पर उनको नमन किया।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि मां भारती के अमर सपूत, कारगिल युद्ध के महानायक, परमवीर चक्र से सम्मानित कैप्टन मनोज कुमार पाण्डेय जी की जयंती पर उन्हें भावपूर्ण नमन। केशव प्रसाद मौर्य ने कहा कि कारगिल युद्ध में पाकिस्तान के विरुद्ध महान पराक्रम दिखाने वाले भारत माता के वीर सपूत परमवीर चक्र से सम्मानित अमर शहीद कैप्टन मनोज कुमार पाण्डेय जी की जयंती पर उन्हें शत् शत् नमन। ब्रजेश पाठक ने कहा कि कारगिल युद्ध में अदम्य साहस का परिचय देते हुए वीरगति प्राप्त करने वाले परमवीर चक्र विजेता कैप्टन मनोज कुमार पाण्डेय जी की जयंती पर शत शत नमन।
कैप्टन मनोज कुमार पाण्डेय का जन्म 25 जून 1975 को सीतापुर के रुधा गांव में हुआ था। सेना में परमवीर चक्र पाने के लिए भर्ती होने वाले कैप्टन मनोज कुमार पाण्डेय तीन जुलाई 1999 को कश्मीर के कारगिल में बलिदानी हो गए थे। भारतीय सेना के अधिकारी को 1999 के कारगिल युद्ध में असाधारण वीरता के लिए मरणोपरांत भारत के सर्वोच्च वीरता पदक परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया। उनके नाम पर ही लखनऊ में यूपी सैनिक स्कूल का नामकरण किया गया है।
आपरेशन विजय और वीरगति : पाकिस्तान के साथ कारगिल युद्ध के कठिन मोर्चों में एक मोर्चा खालूबार में मनोज कुमार पाण्डेय ने 1/11 गोरखा राइफल्स की अगुवाई करते हुए दुश्मन से जूझे और जीत कर ही माने। इन कोशिशों में उन्हें अपने प्राणों की आहुति देनी पड़ी। 24 वर्ष की उम्र में देश को अपनी वीरता और हिम्मत का उदाहरण दे गए। कारगिल युद्ध में असाधारण बहादुरी के लिए उन्हें सेना का सर्वोच्च सम्मान परमवीर चक्र से अलंकृत किया गया। सारा देश उनकी बहादुरी को प्रणाम करता है।
मनोज कुमार पाण्डेय की शिक्षा यूपी सैनिक स्कूल लखनऊ में हुई और वहीं से उनमें अनुशासन भाव तथा देश प्रेम की भावना संचारित हुई। हमेशा जीवन के किसी भी मोड़ पर चुनौतियों से घबराये नहीं और हमेशा सम्मान तथा यश की चाह रखे। इंटर की पढ़ाई पूरी करने के बाद मनोज ने पुणे के पास खड़कवासला में राष्ट्रीय रक्षा अकादमी में दाखिला लिया। प्रशिक्षण पूरा करने के पश्चात वे 11 गोरखा रायफल्स रेजिमेंट, लखनऊ की पहली वाहनी के अधिकारी बने।
राष्ट्रीय रक्षा अकादमी के च्वाइस वाले कालम जहां यह लिखना होता हैं कि वह जीवन में क्या बनना चाहते हैं, वहां मनोज कुमार पाण्डेय ने लिखा था कि सेना में भर्ती होकर परमवीर चक्र पाना ही मेरा लक्ष्य है। इस कालम में अक्सर ही प्रवेश लेने वाले लिखते हैं कि चीफ आफ आर्मी स्टाफ बनना या विदेशों में पोस्टिंग, लेकिन उस फार्म में देश के बहादुर बेटे मनोज कुमार पाण्डेय ने लिखा था कि उसे केवल और केवल परमवीर चक्र चाहिए।
राष्ट्रीय रक्षा अकादमी में प्रशिक्षण के पश्चात वह बतौर कमीशंड ऑफिसर ग्यारहवां गोरखा राइफल्स की पहली बटालियन में तैनात हुये। उनकी तैनाती कश्मीर घाटी में हुई। सियाचिन में उत्तरी ग्लेशियर की ओर बाना चौकी और सेंट्रल ग्लोशियर की ओर पहलवान चौकी पर तैनाती उनका लक्ष्य था। मनोज लम्बे समय तक 19700 फीट ऊंची पहलवान चौकी पर डटे रहने का मौका मिला, जहां इन्होंने जोश व हिम्मत के साथ काम किया।
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