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    Panchayat Chunav 2025: पंचायत चुनाव को लेकर एक और बड़ा अपडेट, आरक्षण के लिए बनेगा आयोग

    उत्तर प्रदेश में आगामी त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों की तैयारियां तेज हो गई हैं। इन चुनावों में पिछड़ा वर्ग आरक्षण के लिए एक समर्पित पिछड़ा वर्ग आयोग का गठन किया जा रहा है। यह आयोग पिछड़ेपन का अध्ययन कर आरक्षण पर अपनी संस्तुति देगा। साथ ही, पंचायती राज विभाग ग्राम पंचायतों में वार्डों के निर्धारण में भी जुटा है, जिसके तहत आबादी के अनुसार वार्ड बनाए जाएंगे। कुछ ग्राम पंचायतों के समाप्त होने से कुल संख्या कम हुई है।

    By Jagran NewsEdited By: Aysha Sheikh Updated: Mon, 23 Jun 2025 09:33 PM (IST)
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    राज्य ब्यूरो, लखनऊ। राज्य में अगले साल होने वाले त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव की तैयारियां तेज कर दी गई हैं। जिसके तहत सरकार पंचायत चुनाव में पिछड़ा वर्ग आरक्षण के लिए स्थानीय ग्रामीण निकाय समर्पित पिछड़ा वर्ग आयोग का गठन करने की तैयारी में है। आयोग के गठन का प्रस्ताव तैयार किया जा चुका है। जल्द ही इसे स्वीकृति के लिए कैबिनेट के समक्ष प्रस्तुत किया जाएगा। आयोग पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षण पर अपनी संस्तुति देगा।

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    इस समर्पित पिछड़ा वर्ग आयोग में पांच सदस्यों की नियुक्ति की जाएगी। सदस्य ऐसे व्यक्ति होंगे जो पिछड़े वर्ग के संबंधित मामले का ज्ञान रखते हैं। एक महिला सदस्य भी होगी। एक सदस्य को आयोग के अध्यक्ष के रूप में नामित किया जाएगा जिसे राज्यमंत्री का दर्जा मिलेगा। आयोग का कार्यकाल नियुक्ति से छह माह के लिए होगा।

    आयोग पंचायत निकायों में पिछड़ेपन की प्रकृति और प्रभावों की समकालीन सतत अनुभवजन्य जांच व अध्ययन करेगा। तमाम सर्वे और अध्ययन के बाद आयोग अपनी संस्तुति देगा। सर्वोच्च न्यायालय व उच्च न्यायालय के आदेशों के क्रम क्रम में पंचायत चुनाव में पहली बार पिछड़ा वर्ग आरक्षण के लिए आयोग का गठन किया जाना है।

    पंचायती राज विभाग के मंत्री ओम प्रकाश राजभर का कहना है कि उच्च न्यायालय के आदेशों के क्रम में पंचायत चुनाव के लिए समर्पित पिछड़ा वर्ग आयोग का गठन किया जाना है। यह आयोग पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षण पर अपनी रिपोर्ट सरकार को देगा। त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव तय समय पर कराने की तैयारी है।

    वहीं दूसरी तरफ पंचायती राज विभाग ग्राम पंचायतों के वार्डों के निर्धारण में जुटा है। आबादी के हिसाब से ग्राम पंचायतों में वार्डों का गठन किया जाएगा। 1000 की आबादी पर नौ वार्ड, 2000 की आबादी पर 11 वार्ड और 3000 की आबादी पर 13 वार्ड के साथ ही अधिकतम 15 वार्ड गठित किए जाएंगे। चूंकि इस बार 512 ग्राम पंचायतें समाप्त हो रही हैं इसलिए वार्डों की संंख्या भी कम होगी।

    ग्राम पंचायतें कम होने से जिला पंचायत सदस्य सीटें भी कुछ कम होेने का अनुमान है। पंयायती राज निदेशक अमित कुमार सिंह के मुताबिक वार्डों के गठन का काम 10 जुलाई तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। गौरतलब है कि कुछ दिनों पूर्व पंचायती राज विभाग ने ग्राम पंचायतों के आंशिक पुनर्गठन का काम पूरा किया। जिसमें नये नगरीय निकायों के सृजन व सीमा विस्तार के कारण 512 ग्राम पंचायतें समाप्त की गईं वहीं 11 नई ग्राम पंचायतों का गठन किया गया। अब राज्य में कुल ग्राम पंचायतों की संख्या 57,694 रह गई है। 2021 में राज्य में कुल ग्राम पंचायतों की संख्या 58,195 थी।

    पिछड़ा वर्ग आयोग यह करेगा

    • राज्य में त्रिस्तरीय पंचायत निकायों में पिछड़ेपन की प्रकृति और प्रभावों की समकालीन, सतत, अनुभवजन्य जांच व अध्ययन करेगा।
    • उपलब्ध रिकार्डों, रिपोर्टो, सर्वे और अन्य उपलब्ध आंकड़ों के विश्लेषण के आधार पर कुल जनसंख्या में पिछड़े वर्ग के नागरिकों की जनसंख्या के त्रिस्तरीय पंचायतवार अनुपान का पता लगाएगा। इसके साथ उच्चतम न्यायालय द्वारा दिए गए निर्देशों के क्रम में अध्ययन करते हुए शासन को अपनी अनुशंसा के साथ रिपोर्ट प्रस्तुत करेगा।
    • आयोग अपनी रिपोर्ट तीन माह के अंदर या राज्य सरकार द्वारा नियम अवधि के अंदर प्रस्तुत करेगा।
    • आयोग केंद्र और राज्य सरकार के कार्यालयों, जनता से ऐसी जानकारी या आंकड़े प्राप्त करने के लिए विभिन्न संगठनों, संस्थानों या व्यक्तियों से जैसा कि प्रासंगिक समझता हो सहायता ले सकेगा।
    • विशेषज्ञों और शोधकर्ताओं के साथ बैठकें कर उनकी सलाह ले सकेगा, प्रभावी कामकाज के लिए जरूरी होने पर मान्यता प्राप्त शोध संस्थाओं की सहायता प्राप्त कर सकेगा।
    • उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए राज्य या देश के अन्य राज्यों में विभिन्न क्षेत्रों का दौरा करने के लिए अध्ययन यात्राओं की व्यवस्था कर सकता है।