Paddy Purchase in UP: धान बेचने के लिए बटाईदार नहीं करा सकेंगे पंजीकरण, किसानों के खाते में होगा भुगतान
Paddy Purchase On MSP खरीफ विपणन वर्ष 2022-23 में धान खरीद में नई व्यवस्था लागू की गई है। पिछले वर्षों में बटाईदारों को भी पंजीकरण कराने की अनुमति थी। लेकिन इस बार पंजीकरण मूल किसान के नाम से ही होगा। भुगतान भी मूल कृषक के बैंक खाते में होगा।

UP News: लखनऊ, राज्य ब्यूरो। उत्तर प्रदेश में पहली अक्टूबर से न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर शुरू हो चुकी धान खरीद के अंतर्गत धान बेचने के लिए बटाईदार अपना पंजीकरण नहीं करा सकेंगे। पंजीकरण मूल किसान के नाम से ही होगा। धनराशि का भुगतान भी मूल कृषक के बैंक खाते में किया जाएगा।
धान खरीद में नई व्यवस्था लागू
खरीफ विपणन वर्ष 2022-23 में धान खरीद में यह नई व्यवस्था लागू की गई है। पिछले वर्षों में बटाईदारों को भी पंजीकरण कराने की अनुमति थी। पंजीकरण के लिए बटाईदार खतौनी तो भू-स्वामी की लगाते थे, लेकिन आधार कार्ड और उससे लिंक बैंक खाता अपना दर्ज कराते थे। इस आधार पर बेचे गए धान का भुगतान उनके खाते में होता था।
किसान व बटाईदार दोनों ले लेते थे भुगतान
उधर, भू-स्वामी (मूल किसान) भी पंजीकरण के लिए अपनी जमीन की खतौनी के साथ अपना आधार कार्ड और उससे लिंक अपने बैंक खाते का विवरण पोर्टल पर दर्ज कराता था जिसमें धनराशि का भुगतान किया जाता था। इस तरह एक जमीन की उपज के लिए किसान और बटाईदार दोनों भुगतान हासिल कर लेते थे।
अनियमितताएं मिलने पर शुरू की गई नई व्यवस्था
इस तरह की अनियमितताएं सामने आने पर इस वर्ष धान खरीद में बटाईदारों के पंजीकरण कराने की व्यवस्था पर रोक लगा दी गई है। यह मानते हुए कि मूल किसान धान बेचने के एवज में प्राप्त होने वाली धनराशि में से बटाईदार का हिस्सा उसे सुपुर्द कर देगा।
संबद्ध नहीं होंगी राइस मिलें
इस साल की धान खरीद में यह भी व्यवस्था की गई है कि किरायेदारी व लीज पर संचालित की जा रहीं राइस मिलों को धान की कुटाई के लिए संबद्ध नहीं किया जाएगा। धान की कुटाई के लिए ऐसी मिलों को संबद्ध किया जा सकेगा जो यूपीएसआइडीसी (अब यूपीसीडा) के स्वामित्व वाली भूमि पर संचालित हों तथा जिनका संचालन मूल आवंटी द्वारा किया जा रहा है।
उप जिलाधिकारी व जिला खाद्य विपणन अधिकारी इस तथ्य की पुष्टि करेंगे कि मिल का संचालन मूल प्रोपराइटर/आवंटी द्वारा ही किया जा रहा है। वे यह भी सुनिश्चित करेंगे कि किसी अन्य व्यक्ति या संस्था को मिल के संचालन का अधिकार आवंटी ने नहीं दिया है और न ही ऐसी मिलें किसी तरह की शासकीय क्षति में शामिल हैं।

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