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    कोड नेम 'पानी' से होती थी ऑक्सीटोसिन इंजेक्शन की सप्लाई, STF और पुलिस की पूछताछ में तस्करों ने उगले राज

    By Jagran NewsEdited By: Aysha Sheikh
    Updated: Fri, 04 Jul 2025 07:37 PM (IST)

    लखनऊ में एसटीएफ ने ऑक्सीटोसिन इंजेक्शन तस्करी का भंडाफोड़ किया है। तस्कर बिहार से इंजेक्शन पानी कोडवर्ड के जरिए मंगाते थे। वे इसे हर्बल उत्पाद बताकर लाते थे। डेयरी और सब्जी विक्रेता ऑक्सीटोसिन के खरीदार हैं जो जानवरों से दूध निकालने और सब्जियों को जल्दी बड़ा करने के लिए इसका उपयोग करते हैं जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। छापेमारी में करोड़ों के इंजेक्शन जब्त किए गए है।

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    कोड नेम 'पानी' से होती थी आक्सीटोसिन इंजेक्शन की सप्लाई

    संतोष तिवारी, लखनऊ। बिहार से आक्सीटोसिन इंजेक्शन की सप्लाई लखनऊ फिर यहां से आसपास के जिलों में होती थी। तस्करों ने इसका कोडनेम 'पानी' रखा था। इन्हें जब बड़ी खेप कहीं से मंगानी होती या फिर उसे किसी अन्य जगह भेजना होता तो इसी कोड वर्ड का इस्तेमाल होता था। इस बात का राजफाश पकड़े गए तस्करों से एसटीएफ की पूछताछ में हुआ है। पूछताछ में कई अन्य अहम बातें भी सामने आई हैं।

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    बुधवार को एसटीएफ की टीम ने बुद्धेश्वर-मोहन रोड स्थित एक मकान में छापेमारी कर 1.20 करोड़ रुपये के प्रतिबंधित आक्सीटोसिन इंजेक्शन बरामद किए थे। मौके से पारा के मायापुरम निवासी अनमोल, पारा के ही मोहान रोड बुद्धेश्वर माडल सिटी निवासी अवधेश पाल और सीतापुर जनपद के बिसवां थाना स्थित बसंत सिंह गांव निवासी खगेश्वर पकड़े गए थे।

    पूछताछ में तस्करों ने बताया कि इंजेक्शन मंगाने के लिए 'पानी' शब्द का इस्तेमाल किया जाता था। बिहार से खेप मंगाने के दौरान पकड़ से बचने के लिए चेकिंग में भी इसे पानी ही बताया जाता था। आसानी से इस इंजेक्शन को पहचाना भी नहीं जा सकता। इस वजह से अक्सर तस्कर पुलिस से भी बच जाते थे। पूछताछ में उन्होंने खरीदारों के बारे में भी जानकारी दी है।

    इस तरह मंगाते थे खेप

    तस्कर बिहार से इंजेक्शन की खेप अधिकतर हर्बल उत्पाद के रूप में मंगाते थे। इन्हें अलग-अलग डिब्बों में पैक कर बकायदे इनके जाली दस्तावेज तैयार कराए जाते थे। इसके बाद बिहार से ट्रेन द्वारा या फिर बार्डर के इलाकों से बस द्वारा इन्हें पार्सल से लखनऊ लाया जाता था। तस्करी के नेटवर्क से जुड़े लोग व्हाट्सएप काल और टेलीग्राम के माध्यम से एक दूसरे से संपर्क में रहते हैं।

    डेरी संचालक और सब्जी विक्रेता हैं खरीदार

    एसटीएफ के अपर पुलिस अधीक्षक अमित नागर के मुताबिक पूछताछ में अनमोल, अवधेश और बसंत ने बताया है कि आमतौर पर डेरी संचालक, दूध विक्रेता और सब्जी उत्पादक आक्सीटोसिन की खरीद करते हैं। इसकी मदद से जानवरों में दूध उतारने और समय से पहले सब्जी बड़ी करने में आसानी होती है। हालांकि, नियमित रूप से इंजेक्शन का इस्तेमाल मवेशियों के साथ ही लोगों के लिए भी बेहद घातक है।