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    UPMSP: यूपी बोर्ड ने छात्रों और शिक्षकों के लिए जारी कर दिया नया फरमान, जुलाई से बदल गई ये व्यवस्था

    Updated: Fri, 04 Jul 2025 02:47 PM (IST)

    उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद ने छात्रों और शिक्षकों की नियमित उपस्थिति के लिए ऑनलाइन प्रणाली शुरू की है। 1 जुलाई से कक्षा 9 से 12 तक के सभी माध्यमिक विद्यालयों में यह व्यवस्था लागू हो गई है जिसका उद्देश्य पारदर्शिता और अनुशासन बढ़ाना है। हालांकि कुछ शिक्षकों ने गरीब छात्रों के लिए 75% उपस्थिति की अनिवार्यता पर चिंता जताई है और पुनर्विचार की मांग की है।

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    यूपी बोर्ड आनलाइन हाजिरी से पढ़ाई में अनुशासन पर जोर

    राज्य ब्यूरो, लखनऊ। उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद (यूपीएमएसपी) ने छात्रों और शिक्षकों की नियमित उपस्थिति को सुनिश्चित करने के लिए एक नई व्यवस्था लागू की है। एक जुलाई से प्रदेश भर के सभी माध्यमिक विद्यालयों (कक्षा 9 से 12) में छात्रों और शिक्षकों की उपस्थिति अब आनलाइन पोर्टल के माध्यम से दर्ज की जा रही है।

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    यह व्यवस्था स्कूलों में पारदर्शिता और अनुशासन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से लागू की गई है। बोर्ड का मानना है कि इससे न केवल छात्र-छात्राएं नियमित रूप से विद्यालय आएंगे, बल्कि यह उन छात्रों पर भी अंकुश लगाएगा जो सिर्फ दाखिला लेकर स्कूल नहीं आते।

    आनलाइन उपस्थिति लेने से छात्र और शिक्षक दोनों की नियमितता पर नजर रखी जा सकेगी। यह व्यवस्था उन छात्रों के लिए अनुशासन का काम करेगी जो बिना किसी सूचना के लगातार गैरहाजिर रहते हैं। शिक्षा विभाग के अधिकारियों का कहना है कि यह तकनीक-आधारित कदम स्कूल शिक्षा में एक सकारात्मक बदलाव लाएगा।

    भविष्य में छात्रों के बोर्ड परीक्षा में शामिल होने के लिए उपस्थिति का रिकार्ड पारदर्शी और डिजिटल रूप से प्रमाणित होगा। हालांकि, इस व्यवस्था को लेकर कुछ शिक्षकों और प्रधानाचार्यों में विरोध भी है।

    उत्तर प्रदेश प्रधानाचार्य परिषद के प्रदेश अध्यक्ष सुशील कुमार सिंह का कहना है कि माध्यमिक विद्यालयों में बहुत से गरीब और मजदूर परिवारों के बच्चे पढ़ते हैं, जो पढ़ाई के साथ-साथ मजदूरी या अन्य काम करने को मजबूर हैं।

    कई बार ये बच्चे हफ्ते में एक या दो दिन ही स्कूल आ पाते हैं, या देर से पहुंचते हैं। उन्होंने चिंता जताई कि आनलाइन हाजिरी के चलते अगर किसी छात्र की उपस्थिति 75 प्रतिशत से कम हुई, तो वह एडमिट कार्ड डाउनलोड नहीं कर पाएगा और बोर्ड परीक्षा से वंचित हो जाएगा। उन्होंने माध्यमिक शिक्षा निदेशक को पत्र लिखकर इस व्यवस्था पर पुनर्विचार करने की मांग की है।