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    Vijay Diwas 2022: सन 1971 में आज ही पाकिस्तानी फौज की कब्रगाह बनी थी भारतीय पोस्ट नंबर 468

    By Jagran NewsEdited By: Prabhapunj Mishra
    Updated: Fri, 16 Dec 2022 11:20 AM (IST)

    आज पूरा देश व‍िजय द‍िवस मना रहा है। शहीदों को नमन कर रहा है। आज ही के द‍िन भारत के शूर वीरों ने भारतीय पोस्ट नंबर 468 को पाकिस्तानी फौज की कब्रगाह बना ...और पढ़ें

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    India Pakistan War 1971- भरतीय सेना ने पाक‍िस्‍तान को चटाई थी धूल

    लखनऊ, [निशांत यादव]। तीन और चार दिसंबर की रात पूरब से पश्चिम की ओर जाते पाकिस्तानी लड़ाकू विमान को देख मेजर जनरल एनबी सिंह को यह समझते देर न लगी कि सब कुछ सामान्य नहीं है। रेडियो खोला तो संदेश मिला कि भारत और पाकिस्तान में युद्ध छिड़ गया है। जम्मू कश्मीर के पुंछ सेक्टर में पुंछ और मेंढर नदी के बीच भारतीय पोस्ट संख्या 468 की कमान मेजर जनरल एनबी सिंह संभाल रहे थे। उस रात पाकिस्तान ने पोस्ट पर तीन बार हमले किये। नजदीकी लड़ाई में मेजर जनरल एनबी सिंह की नौ राजपूताना राइफल्स ने अपनी पोस्ट को पाकिस्तानी सेना की कब्रगाह बना दी।

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    मेजर जनरल एनबी सिंह ने अपनी पोस्ट को बनाया था पाकिस्तानी सेना की कब्रगाह

    • कुल 52 पाकिस्तानी सैनिक और अफसर पोस्ट पर मारे गए। इनमें दो जेसीओ और 14 पाकिस्तानी जवानों को भारतीय सेना ने ही सम्मान के साथ उनको दफन किया।
    • इस बहादुरी के लिए एक वीर चक्र और एक सेना मेडल उनकी पलटन को मिला।भारत और पाकिस्तान के सन 1971 के युद्ध में शहर के जांबाजों ने भी वीरता का परचम लहराया था।
    • शुक्रवार को विजय दिवस पर इस युद्ध के 51 वर्ष पूरे हो जाएंगे। इस युद्ध में कर्नल एके सक्सेना ने भी 41 स्वतंत्र आर्म्ड ब्रिगेड के साथ हिस्सा लिया था। उस समय इसे स्ट्राइक ब्रिगेड भी कहा जाता था।
    • कर्नल सक्सेना कारगिल युद्ध में हिस्सा लेने वाली फ्लाइंग आफिसर गुंजन सक्सेना के पिता हैं। कर्नल सक्सेना बताते हैं कि डेरा बाबा नानक में टैंक टू टैंक युद्ध हो रहा था। उनकी पलटन ने पाकिस्तान के कुछ टैंक और पुल को बर्बाद कर दिया।
    • अमृतसर के आसपास भारतीय सेना की एंटी एयरक्राफ्ट गन ने पाकिस्तानी लड़ाकू विमानों पर कहर बरपाया। रोज शाम को फायरिंग के बाद पाकिस्तानी विमान को गिरते हुए देखा जाता था।
    • कमांडर ब्रिगेडियर आर क्रिश्चियन के नेतृत्व में उनकी ब्रिगेड ने पाकिस्तानी सेना के हौसले पस्त करते हुए उनको आत्मसमर्पण के लिए मजबूर कर दिया।
    • इसी तरह कुमाऊं रेजीमेंट की टुकड़ी के साथ जीएस खनका ने कुंबला सेक्टर में मोर्चा लिया। सात दिसंबर 1971 की रात उनकी कुमाऊं, जाट और राजपूत रेजीमेंट ने नदी के रास्ते ढाका रोड, चटगांव और सिलहट की ओर रवाना हुई। तीनों ही रास्तों पर कब्जा करके पाकिस्तानी सेना की हथियारों और रसद की आपूर्ति बंद कर दी।

    लखनऊ के लाल हुए थे शहीद

    सन 1971 के युद्ध में बलिदान हुए बलिदानियों की याद में एक कालोनी भी बसायी गयी। छावनी के मंगल पांडेय रोड पर स्थित इस शहीद कालोनी में अब भी बलिदानियों का परिवार रहता है। उस युद्ध में लखनऊ के गार्डमैन मोहम्मदीन, नायक मोहन सिंह सेना मेडल, सीएफएन पीएन मिश्र, हवलदार गोपाल दत्त जोशी, पेटी आफिसर अमृत लाल, विंग कमांडर एचएस गिल (वीर चक्र), पैराट्रूपर आनंद सिंह विष्ट (सेना मेडल) बलिदानी हो गए थे।

    यह हुए थे युद्ध में घायल

    सिपाही कुंडल सिंह, सिपाही आन सिंह, सूबेदार पान सिंह तोमर, सिपाही अजवीर सिंह यादव, सिपाही चंदर सिंह, नायक मदन सिंह रावत, सिपाही अजयपाल शर्मा , एसडब्ल्यूआर शेख गुलाम मुस्तफा, सिपाही तुलसीराम, सिपाही जीएस खनका, लांस नायक एसडी बहुगुणा, सिपाही डीसी भट्ट, नायक शेर सिंह, पैराट्रूपर जगन्नाथ सिंह, कैप्टन अरुण कुमार उप्रेती, नायक यादराम, सिपाही हरसुख सिंह, सिपाही दिलीप सिंह , सिपाही अबुल हसन खां, सिपाही सज्जन शरण सिंह, सिपाही रमाशंकर, हवलदार फखरे आलम खां, हवलदार कुंवर सिंह चौधरी

    इनकी जांबाजी ने भी विफल की नापाक साजिश

    एलएमजी से गिराया पाकिस्तानी जहाज पश्चिमी मोर्चे के बजुआन क्षेत्र में 1/11 गोरखा राइफल्स रेजीमेंटल सेंटर के राइफलमैन धन बहादुर राई ने अपनी लाइट मशीन गन (एलएमजी) से पाकिस्तानी विमान को गिरा दिया था।फोटो ली और चार लड़ाकू विमान गिराएलखनऊ के कश्मीरी मुहल्ले में 20 दिसंबर 1934 को जन्मे एयर चीफ मार्शल (अवकाशप्राप्त) स्वरूप कृष्ण कौल ने कोमिल्ला, सिलहट और सैदपुर में 200 मीटर करीब तक आकर दुश्मन पर लड़ाकू विमान से बमबारी की। तेजगांव और कुरमटोला की टोह लेने के बाद ढाका में पाकिस्तान के चार लड़ाकू विमान मार गिराए। वीरगति को प्राप्त हुए विंग कमांडर एचएस गिलफाइटर स्क्वाड्रन को कमांड करते हुए 11 व 12 दिसंबर 1971 को दो पाकिस्तानी विमानों को मार गिराने के बाद उसकी संचार तंत्र यूनिट को तबाह किया। इस आपरेशन में उनका विमान दुश्मन की एंटी एयरक्राफ्ट गन की चपेट में आ गया और वह वीर गति को प्राप्त हुए।

    मिला पहला परमवीर चक्र

    सेना की 21 राजपूत इंफेंट्री की एक प्लाटून की कमान कर रहे नायक राजा सिंह ने पूर्वी पाकिस्तान के फकी राहत पुल को पाकिस्तानी सेना के कब्जे मुक्त कराकर सेना को आगे बढ़ने का रास्ता बनाया। इस आपरेशन में वह बलिदानी हुए तो नायक राजा सिंह को परमवीर चक्र मरणोपरांत की संस्तुति उनके कमांडिंग अधिकारी ले. कर्नल एएस अहलावत ने 17 दिसंबर 1971 को प्रेषित की थी। हालांकि उनको वीर चक्र मिला।