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    'मुस्लिम समाज तय करे कि वह वोटबैंक बनकर नहीं रहेगा', ओपी राजभर ने अधिकारों पर दी ये नसीहत

    Updated: Mon, 08 Sep 2025 08:06 PM (IST)

    लखनऊ में सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर ने मुस्लिम प्रतिनिधियों से मुलाकात की। उन्होंने अल्पसंख्यक समाज को अपने अधिकारों के प्रति जागरूक रहने और शिक्षा पर ध्यान देने का आह्वान किया। राजभर ने अल्पसंख्यक विश्वविद्यालय की स्थापना और मदरसों में समान शिक्षा लागू करने का वादा किया साथ ही छात्रवृत्ति बजट बढ़ाने की भी बात कही।

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    मुस्लिम समाज तय करे कि वह वोटबैंक बनकर नहीं रहेगा: राजभर।

    राज्य ब्यूरो, लखनऊ। सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के अध्यक्ष मंत्री ओम प्रकाश राजभर ने मुस्लिम समाज के प्रतिनिधियों से कहा है कि समय आ गया है कि उनका समाज अपने अधिकारों व सम्मान के लिए सजग होकर खड़ा हो।

    तय करे कि अल्पसंख्यक समाज अब केवल वोट बैंक बनकर नहीं रहेगा। आश्वासन दिया कि राज्य में अल्पसंख्यक विश्वविद्यालय की स्थापना कर इस वर्ग के युवाओं को उच्च शिक्षा के बेहतर अवसर उपलब्ध कराए जाएंगे।

    सोमवार को गौतमपल्ली स्थित सरकारी आवास पर मुलाकात के लिए आए मुस्लिम समाज के प्रतिनिधियों के साथ बैठक में राजभर ने कहा कि अल्पसंख्यक समाज को उन दलों से सावधान रहना होगा जो सिर्फ चुनाव के समय इस वर्ग से मोहब्बत जताते हैं और जीतने के बाद भूल जाते हैं।

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    सुभासपा की लड़ाई अल्पसंंख्यक समाज के अधिकार और सम्मान के लिए है, इसमें किसी समझौते की गुंजाइश नहीं है।

    उन्होंने कहा कि शिक्षा किसी भी समाज के विकास की कुंजी है। अल्पसंख्यक समाज के गरीब बच्चे आर्थिक दिक्कतों के कारण पढ़ाई न छोड़ें इसके लिए सरकार ने इस वर्ग के छात्रों की छात्रवृत्ति का बजट 200 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 350 करोड़ रुपये कर दिया है।

    उन्होंने कहा कि हम मदरसों में समान शिक्षा लागू करेंगे। बच्चा मदरसे में पढ़े या किसी कांवेंट स्कूल में शिक्षा में कोई अंतर नहीं होनी चाहिए। मदरसों और अल्पसंख्यक शिक्षण संस्थानों में योग्य शिक्षकों की नियुक्ति आयोग के माध्यम से की जाएगी, ताकि चयन प्रक्रिया पारदर्शी रहे।

    प्रतिनिधियों ने शिक्षा के साथ ही रोजगार के लिए समान अवसर की आवश्यकता पर बल दिया। प्रतिनिधिमंडल में मौलाना मो. आज़म हशमती, मौलाना इरशाद सक़ाफी, मौलाना इंतजार अहमद, मौलाना बदरुद्दीन मिस्बाही, मौलाना मसूद आलम, मौलाना अबू बकर, मौलाना जमाल अख्तर सदफ, मौलाना जमील, मौलाना हामिद प्रमुख रूप से शामिल थे।