एनटीपीसी रायबरेली पर गहराया कोयले का संकट, 500 मेगावाट क्षमता की एक यूनिट बंद; अन्य पर भी पड़ सकता है असर
रायबरेली में बिजली उत्पादन के लिए अग्रणी मानी जाने वाली एनटीपीसी पर कोयले का संकट गहराता जा रहा है। इस कारण पांच सौ मेगावाट बिजली उत्पादन क्षमता वाली एक यूनिट को मंगलवार की रात से बंद कर दिया गया।

रायबरेली, संवाद सूत्र। बिजली उत्पादन के लिए अग्रणी मानी जाने वाली एनटीपीसी पर कोयले का संकट गहराता जा रहा है। इस कारण पांच सौ मेगावाट बिजली उत्पादन क्षमता वाली एक यूनिट को मंगलवार की रात से बंद कर दिया गया। जल्द ही कोयले की आपूर्ति न हुई तो इसका सीधा असर अन्य यूनिटों पर भी पड़ेगा।
अगस्त से भारी बारिश की वजह से खदानों ने कोयला नहीं निकल पा रहा। इसके चलते कोयले की कीमत में भारी वृद्धि हुई है। प्रबंधन द्वारा भंडारित किए गए कोयले व प्रतिदिन आने वाली आठ मीट्रिक टन कोयले की रैक को मिलाकर इकाइयों को संचालित किया जा रहा है। सूत्रों का कहना है कि परियोजना के पास भंडारित किया गया कोयला बहुत ही कम मात्रा में बचा है। अगर जल्द कोयले की आपूर्ति न हुई तो सभी इकाइयों के बंद होने का खतरा मंडराने लगेगा। जिम्मेदारों का कहना है कि यूनिटों के परिचालन के लिए कोयले की सही स्थिति व स्टॉक का आकलन नहीं है। सभी इकाइयों को मिला कर रोजाना करीब 15 हजार पांच सौ मीट्रिक टन कोयले की खपत हो रही है। इकाइयों को उनकी उत्पादन क्षमता के अनुसार चलाने पर तीस हजार मीट्रिक टन कोयले की खपत होती है। कोल इंडिया लिमिटेड के अनुबंध के अनुसार छह से आठ रैक प्रतिदिन एनटीपीसी मंगाई जाती थी। इस समय तीन रैक ही आ पा रही है।
कोयले की स्थिति में कब तक सुधार होगा, इसको लेकर अनिश्चितता बनी हुई है। एनटीपीसी प्रबंधन लगातार कोयले की आपूर्ति की जुगत लगा है। ऑस्ट्रेलिया से महंगे दामों पर कोयला मंगाए जाने को लेकर बातचीत की जा रही है। गनीमत है कि कुछ महीनों से उत्तरी ग्रिड द्वारा बिजली की मांग घटा दी गई है। इसकी वजह से सभी इकाइयों को उनके उत्पादन क्षमता से आधे से कम भार पर चलाया जा रहा है, लेकिन ग्रिड द्वारा मांग बढ़ते ही कोयले की खपत दोगुनी हो जाएगी। ऐसी स्थिति में पर्याप्त मात्रा में कोयला न होने के चलते छठीं इकाई के साथ और इकाइयों को भी बंद करना पड़ सकता है।
एक नंबर इकाई से लेकर पांच तक 210 मेगावाट, तथा छठीं इकाई पांच सौ मेगावाट विद्युत उत्पादन क्षमता वाली है। इस तरह से ऊंचाहार परियोजना द्वारा कुल 1550 मेगावाट बिजली का उत्पादन किया जाता है। उत्तरी ग्रिड द्वारा मांग कम होने पर सभी इकाइयों को उनके उत्पादन क्षमता के आधे से कम भार पर चलाकर 652 मेगावाट बिजली का उत्पादन किया जा रहा है।

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