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यूपी में अब औषधीय पौधों की खेती से बढ़ेगी किसानों की आय, जानें- सरकार कितना देगी अनुदान

पिछले दो साल यानी जब से कोरोना वायरस ने दुनियाभर में अपना कहर बरपाना शुरू किया है तब से यूपी ही नहीं देशभर में आयुर्वेद का महत्व काफी बढ़ गया है। इसी कड़ी में यूपी में औषधीय पौधे की खेती के चलन ने तेजी से रफ्तार पकड़ी है।

By Vikas MishraEdited By: Published: Thu, 27 Jan 2022 09:22 AM (IST)Updated: Thu, 27 Jan 2022 01:17 PM (IST)
यूपी में अब औषधीय पौधों की खेती से बढ़ेगी किसानों की आय, जानें- सरकार कितना देगी अनुदान
औषधीय खेती से किसानों को जोड़ने के लिए राष्ट्रीय आयुष मिशन की ओर से अनुदान की व्यवस्था की गई है।

लखनऊ, [जितेंद्र उपाध्याय]। रोग मुक्त करने में कारगर आयुर्वेदिक औषधियां अब किसानों की आर्थिक तंगी को दूर करने का भी काम करेंगी। उद्यान विभाग की पहल पर अब लखनऊ समेत प्रदेश के सभी जिलों में औषधीय खेती की जाएगी। अभी तक केवल 52 जिलों में ही खेती होती थी। इसकी तैयारियां पूरी हो गई हैं। आदर्श चुनाव आचार संहिता के समापन के साथ ही इसकी शुरुआत होगी।

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औषधीय खेती से किसानों को जोड़ने के लिए राष्ट्रीय आयुष मिशन की ओर से अनुदान की भी व्यवस्था की गई है। उद्यान विभाग की ओर से बाजार में मांग के अनुरूप किसानों से औषधीय खेती कराई जाएगी। सर्पगंधा, अश्वगंधा, ब्राह्मी, कालमेघ, कौंच, सतावरी, तुलसी, एलोवेरा, वच व आर्टीमीशिया की खेती के लिए किसानों को जागरूक किया जाएगा। 

कम लागत,अधिक फायदाः औषधीय खेती करने से किसानों को कम लागत में अधिक फायदा होगा। उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग की ओर से खेती की कुल लागत का 30 से 50 फीसद अनुदान देने की व्यवस्था है। 18 से 20 महीने की खेती में किसान प्रति हेक्टेयर 25 हजार से लेकर डेढ़ लाख तक की अतिरिक्त आमदनी कर सकते हैं। योजना का लाभ लेने के लिए किसान जिला उद्यान अधिकारी कार्यालय या जिला विज्ञान केंद्र से संपर्क कर सकते हैं। आवेदन से पहले किसानों को upagriculture.com पर अपना पंजीयन करना होगा।

आयुर्वेद के विकास के साथ ही औषधीय खेती का विकास भी होना चाहिए। इसके लिए राष्ट्रीय आयुष मिशन की ओर से किसानों को औषधीय खेती से जुड़ने के लिए अनुदान की व्यवस्था भी की गई है। लखनऊ समेत प्रदेश के सभी जिलों में औषधीय खेती के विस्तार की पहल शुरू हो गई है। चुनाव के बाद इसका विस्तार किया जाएगा। निदेशक डा.आरके तोमर की पहल पर यह संभव हो सका है। -बाली शरण चौधरी, प्रभारी औषधीय खेती, उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण


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