अब ट्रैफिक नियमों की घुट्टी पिलाने को UP में तैयार हो रहे रोड सेफ्टी क्लब
उत्तर प्रदेश के 20 जिलों में 205 क्लब की स्थापना। रोड सेफ्टी क्लब में शामिल किए 205 स्कूलों में से बेहतर कार्यक्रम प्रस्तुत करने वाले 64 स्कूलों का चयन। विद्यालय में एक छात्र को एम्बेसडर और अध्यापक को नोडल की जिम्मेदारी।

लखनऊ [नीरज मिश्र]। सड़क सुरक्षा नियमों की घुट्टी बच्चों को शुरू से ही पिलाने के लिए प्रदेश के मंडलीय मुख्यालयों के 20 जिलों के विद्यालयों में रोड सेफ्टी क्लब की स्थापना शुरू हो गई है। अब तक करीब 205 विद्यालयों में क्लब बनाए जा चुके हैं। जल्द ही सूबे के सभी जिलों के स्कूलों में इन क्लबों की स्थापना की जाएगी। स्कूली बच्चों को जागरूक करने के लिए प्रत्येक विद्यालय में एक छात्र को एम्बेसडर बनाया गया है, जो ग्रुप लीडर की भूमिका में होगा। इसका कार्य अपने विद्यालय के बच्चों को इस क्लब से जोड़कर पूरे साल जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन कराएगा। इसकी देखरेख के लिए एक अध्यापक को नोडल की जिम्मेदारी सौंपी गई है।
अच्छे कार्यक्रम वाले 64 स्कूलों का चयन: रोड सेफ्टी क्लब में शामिल किए 205 स्कूलों में से बेहतर कार्यक्रम प्रस्तुत करने वाले 64 स्कूलों का चयन किया गया है। जिन्हें पांच हजार रुपये सरकार की ओर से दिए जा रहे हैं। करीब तीन लाख बीस हजार रुपये की धनराशि स्वीकृत कर विद्यालयों को भेज दी गई है।
ये आयोजन होंगे: स्कूलों में बनाए गए रोड सेफ्टी क्लबों को क्विज कंपटीशन, नुक्कड़ नाटक, कविता, स्लोगन, लघु कहानी आदि कार्यक्रमों का आयोजन पूरे सालभर करना होगा जिससे स्कूली बच्चे जागरूक हो सकें।
जिले जहां बनाए गए रोड सेफ्टी क्लब: लखनऊ, कानपुर, आगरा, झांसी, चित्रकूटधाम, अयोध्या, प्रयागराज, वाराणसी, मिर्जापुर, गोरखपुर, आजमगढ़, बस्ती, देवीपाटन, बरेली, मेरठ, सहारनपुर, गाजियाबाद, गौतमबुद्ध नगर, अलीगढ़ और गाजियाबाद में रोड सेफ्टी क्लब की स्थापना की जा चुकी है।
चयनित विद्यालयों में सालभर एक्टीविटी: विशेष कार्याधिकारी शिक्षा सड़क सुरक्षा सेल डॉ. क्षमता रावत के मुताबिक, चयनित विद्यालयों में सालभर एक्टीविटी की जा रही है। एंबेसडर बने छात्र विद्यार्थियों को समूह में जोड़कर विभिन्न जागरूकता कार्यक्रमों का आयोजन करेंगे। जल्द ही प्रदेश के अन्य जिलों में भी इनकी स्थापना की जाएगी।
आयोजन के पीछे ये मंशा: उप परिवहन आयुक्त रोड सेफ्टी पुष्पसेन सत्यार्थी कहते हैं कि स्कूलों में ऐसे कार्यक्रमों के आयोजन के पीछे मंशा है कि ज्यादा से ज्यादा छात्र सड़क सुरक्षा विंग से जुड़े और यातायात नियमों के अनुपालन पर गंभीर हों।

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