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    अब तो मैं अखिलेश का मातहत नहीं : शिवपाल सिंह यादव

    By Dharmendra PandeyEdited By:
    Updated: Thu, 27 Oct 2016 04:48 PM (IST)

    शिवपाल यादव ने मीडिया कर्मियों को जवाब दिया कि वह अब मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के मातहत नहीं हैं और बिना बुलाये उनसे मिलने नहीं जाएंगे।

    लखनऊ (जेएनएन)। समाजवादी परिवार की कलह में हर दिन नए मोड़ और दांव-पेंच से समाजवादी पार्टी के नेताओं, कार्यकर्ताओं में असमंजस बढ़ रहा है। शिवपाल मंत्री पद से हटाये जा चुके हैं और सपा के प्रदेश अध्यक्ष के रूप में अनुशासनहीन लोगों पर कार्रवाई का चाबुक चला रहे हैं। मुख्यमंत्री समर्थक इसे प्रतिशोध की कार्रवाई बता रहे हैं।

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    ऐसे दौर में शिवपाल यादव ने मीडिया कर्मियों को जवाब दिया कि वह अब मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के मातहत नहीं हैं और बिना बुलाये उनसे मिलने नहीं जाएंगे।

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    कुछ सवालों के जवाब-

    -सवाल : अखिलेश सरकार में वापस जाएंगे?

    जवाब : यह बात अब छोडि़ए। मैं, पहले ही कह चुका हूं कि नेताजी (मुलायम सिंह) जो भी कहेंगे, वह करूंगा। कोई भी बलिदान मांगेंगे, दूंगा। दुनिया और समाज को यह कहने का मौका नहीं मिलेगा कि शिवपाल सिंह यादव ने उनकी किसी बात को न कहा।

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    -सवाल : मुख्यमंत्री का कद कम दर्शाने को प्रत्याशी घोषित कर दिये?

    जवाब : चर्चा के बाद प्रत्याशियों की लिस्ट जारी की थी। जब टिकट के लिए इंटरव्यू हुआ, तब मैं प्रदेश अध्यक्ष नहीं था। इंटरव्यू किसने लिया था, सब जानते हैं। नेताजी ने कहा लिस्ट प्रोफेसर साहब को दिखा लो, दिखा दी। उन्होंने कहा कि अखिलेश ने जो नाम दिये हैं, शामिल कर लो-कर लिया। इसके बाद कहा कि प्रो. को फिर दिखा दो, वह भी किया।

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    -सवाल : कई विधायकों की निष्ठा पर संदेह है, क्या टिकट कटेंगे?

    जवाब : टिकट पर अंतिम फैसला राष्ट्रीय नेतृत्व का होता है। नेताजी (मुलायम सिंह यादव) का जो फैसला होगा, उसको सभी मानेंगे। हां, प्रदेश अध्यक्ष के नाते मैं अपनी राय समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष के सामने रख दूंगा।

    -सवाल : कई विधायक अनुशासनहीनता के आरोप से घिरे है, उनका टिकट?

    जवाब : देखिए, अनुशासनहीनता तो बर्दाश्त नहीं की जाएगी। चाहे वह कोई भी हो। सपा के कार्यकर्ताओं का कोई उत्पीडऩ नहीं करेगा। जमीनों पर कब्जे करेगा तो मैं यह बर्दाश्त नहीं कर सकता। मैं अनुशासन तोडूं तो मुझ पर भी नेताजी कार्रवाई कर सकते हैं। टिकट देने का अंतिम फैसला राष्ट्रीय नेतृत्व का होता है। राय मुख्यमंत्री की भी होगी और प्रदेश अध्यक्ष की भी।

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    -सवाल : प्रो.रामगोपाल ने सपा मुखिया के बयान को संविधान की मर्यादा के खिलाफ बताया?

    जवाब : नेताजी पर टिप्पणी करने का किसी को अधिकार नहीं है। उनके विरुद्ध टिप्पणी बर्दाश्त नहीं कर सकता, वैसे नेताजी पहले ही कह ही चुके हैं, वह अब उनकी बात को महत्व नहीं देते हैं।

    -सवाल : चर्चा है कि रामगोपाल कल कांग्रेस के एक बड़े नेता मिले?

    जवाब : उनसे जब मतलब नहीं तो फिर उनके बारे में बात क्यों करूंगा

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    -सवाल : पार्टी की चुनावी रणनीति?

    जवाब : देखिए, हम सांप्रदायिकता से संघर्ष के लिए लोहिया वादियों, चरण सिंह वादियों व गांधी वादियों को एकजुट करने का फिर प्रयास करेंगे। पहले भी किया था, मगर किसके चलते यह गठबंधन टूट गया, पूरा देश जानता है।

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