योगी सरकार के रिपोर्ट कार्ड में अपने काम और उनके कारनामे
योगी सरकार सौ दिनों का लेखाजोखा जनता के सामने रखने जा रही है। वह भाजपा सरकार के रिपोर्ट कार्ड में अपने काम और सपा सरकार के कारनामे गिनाएगी।
लखनऊ (जेएनएन)। योगी सरकार अपने सौ दिनों का लेखाजोखा जनता के सामने रखने जा रही है। सबसे पहले रविवार को वह पूर्ववर्ती सपा सरकार के कार्यकाल पर श्वेतपत्र जारी कर उसे कठघरे में खड़़ा करेगी और पिछले पांच वर्षों में प्रदेश का विकास न होने के कारण गिनाएगी। उसी दिन सरकार अपनी उपलब्धियों का ब्योरा भी दे सकती है। वैसे सूत्रों के अनुसार सरकार 27 जून को अपना रिपोर्ट कार्ड पेश करेगी।
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सरकार के प्रवक्ता सिद्धार्थनाथ सिंह कहते हैं कि श्वेतपत्र में सपा शासन में हुई गड़बडिय़ों का दस्तावेजी प्रमाण दिया जाएगा। उल्लेखनीय है कि सत्ता संभालने के बाद से ही मुख्यमंत्री कई मौकों पर कह चुके हैं कि पिछली सरकार से उन्हें विरासत में जर्जर व्यवस्था मिली है। अब यही बात वह तथ्यों के साथ कहने जा रहे हैं। मकसद यह बताना है कि पिछली हुकूमत के वित्तीय कुशासन और घोटालों के कारण नई सरकार आर्थिक मोर्चे पर कठिनाइयां झेल रही है। पिछली सरकार ने प्रदेश को वित्तीय रूप से किस हालत में छोड़ा था, इसका लेखा-जोखा भी श्वेतपत्र में होगा।
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सपा सरकार के कार्यकाल में हुई प्रशासनिक अराजकता के कारण पटरी से उतरी व्यवस्था को सुधारना भी सरकार के लिए बड़ी चुनौती साबित हो रही है। इसी नजरिये से कई दिनों से श्वेतपत्र की तैयारियां जारी हैं। हर विभाग से पिछले पांच साल की योजनाओं, केंद्र या प्रदेश सरकार द्वारा आवंटित राशि, कितना पैसा खर्च हुआ, काम की प्रगति और उसकी जमीनी हकीकत आदि के बारे में जानकारियां मांग कर उनको विभागवार संकलित किया गया है। आम लोगों से जुड़ी केंद्र सरकार की योजनाओं के परिणामों का ब्योरा भी जुटाया जा रहा है। मसलन, केंद्रीय योजनाओं से किस वर्ग के कितने लोगों को लाभान्वित होना था और कितनों को लाभ हुआ, इसकी भी जानकारी जुटाई गई है।
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श्वेतपत्र लाने के पीछे सरकार की सोची समझी रणनीति है। पिछली सरकार के हर महत्वपूर्ण विभाग की अनेक बड़ी परियोजनाओं में अनियमितताएं मिली हैं। सिंचाई, लोक निर्माण, बाल विकास एवं पुष्टाहार, अल्पसंख्यक कल्याण, भूतत्व एवं खनिकर्म, समाज कल्याण और बेसिक शिक्षा आदि विभागों की योजनाओं में तो खासतौर से। भाजपा सरकार इनमें से कई योजनाओं की सीबीआइ या अन्य किसी एजेंसी से जांच करा रही है। इनमें गोमती रिवर फ्रंट, दिल्ली-सहारनपुर यमुनोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग, आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे, जेपी सेंटर के सुंदरीकरण, यूपीएसआइडीसी के टेंडरों में हेराफेरी, पालना गृह योजना, चीनी मिलों को औने-पौने दाम पर बेचे जाने और वक्फ बोर्ड की संपत्तियों पर कब्जे और उन्हें बेचे जाने के घपले शामिल हैं।
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लोकसभा चुनाव में भी भाजपा लायी थी चार्जशीट
भाजपा इससे पहले भी ऐसा कर चुकी है। वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में भी पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व की ओर से बुकलेट के शक्ल में चार्जशीट लाई गई थी। उसमें भी केंद्र की पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार को इसी तरह उसके घोटालों और कामों को लेकर कठघरे में खड़ा किया गया था।