यूपी विधान परिषद के कार्यकारी सभापति कुंवर मानवेंद्र सिंह को हटाने और चुनाव कराने की नोटिसें खारिज
उत्तर प्रदेश विधान परिषद के कार्यकारी सभापति कुंवर मानवेंद्र सिंह को हटाकर सभापति पद के लिए चुनाव कराने की मांग को लेकर समाजवादी पार्टी की ओर से दी गईं नोटिसों (संकल्पों) को खारिज कर दिया गया है। निर्णय से असंतुष्ट सपा सदस्यों ने सदन से बहिर्गमन किया।
लखनऊ [राज्य ब्यूरो]। उत्तर प्रदेश विधान परिषद के कार्यकारी सभापति कुंवर मानवेंद्र सिंह को हटाकर सभापति पद के लिए चुनाव कराने की मांग को लेकर समाजवादी पार्टी की ओर से दी गईं नोटिसों (संकल्पों) को खारिज कर दिया गया है। निर्णय से असंतुष्ट सपा सदस्यों ने सदन से बहिर्गमन किया। इससे पहले सपा ने यह मुद्दा प्रश्नकाल में भी उठाया था। इस मुद्दे को लेकर प्रश्नकाल भी नहीं हो सका।
पूर्वाह्न 11 बजे सदन की कार्यवाही शुरू होते ही नेता विरोधी दल ने कार्यकारी सभापति कुंवर मानवेंद्र सिंह को हटाये जाने और पूर्णकालिक सभापति का चुनाव कराने के लिए अपनी पार्टी की ओर से दी गईं नोटिसों का जिक्र करते हुए पीठ से इसके बारे में जानकारी मांगी। मामला बढ़ने पर सभापति ने सदन की कार्यवाही 15 मिनट के लिए स्थगित कर दी। इसके बाद सदन को दो बार और 15-15 मिनट के लिए स्थगित करने की घोषणा की गई। फिर सदन के स्थगन की अवधि दोपहर 12 बजे तक बढ़ा दी गई।
शून्यकाल में सपा के नरेश चंद्र उत्तम, उदयवीर सिंह और आनंद भदौरिया ने इस मुद्दे को फिर उठाया। इस पर अधिष्ठाता सुरेश कुमार त्रिपाठी ने बताया कि सभापति ने सपा सदस्यों के संकल्पों को खारिज कर दिया है। इस आधार पर कि उप्र विधान परिषद की प्रक्रिया तथा कार्य संचालन नियमावली, 1956 के जिस नियम-143 के तहत यह नोटिस दी गई है, वह सभापति व उप सभापति का पद रिक्त होने की दशा में राज्यपाल द्वारा सभापति के दायित्वों के निर्वहन के लिए नियुक्त किये गए सभापति पर लागू नहीं होता है। उत्तम और राजपाल की ओर से दी गई नोटिस को खारिज करने के निर्णय में सभापति ने यह भी कहा कि इसमें सामयिक सभापति शब्द का प्रयोग किया गया है। इसलिए नियम-143 के तहत दी गई यह नोटिस स्वीकार करने योग्य नहीं है।
वहीं, सपा के शशांक यादव और राजेश यादव की ओर से पूर्णकालिक सभापति के चुनाव की नोटिस को खारिज करने के पीछे यह तर्क दिया गया कि सभापति के चुनाव की तारीख राज्यपाल द्वारा तय की जाती है। उनके द्वारा तारीख तय करने पर ही निर्वाचन की प्रक्रिया शुरू की जाएगी, इसलिए प्रक्रियात्मक त्रुटि के कारण यह नोटिस भी स्वीकार करने योग्य नहीं है। इसी आधार पर सपा की अन्य दो नोटिसें भी खारिज कर दी गईं।
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