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    14 साल तक कोई नहीं पकड़ सका एलडीए के पूर्व अफसरों का ये बड़ा फर्जीवाड़ा, अब ऐसे खुला मामला

    By Dharmendra MishraEdited By:
    Updated: Thu, 13 Jan 2022 11:51 AM (IST)

    14 वर्ष बाद एक ऐसा मामला सामने आया है जिसमें कई बड़े पूर्व अफसरों ने नियमों की धज्जियां उड़ाकर विकास दीप स्थित छह वर्ग मीटर की दुकान के बदले मान मुकुल सिंह नाम के व्यक्ति को गोमतीनगर में विभूति खंड के भूखंड संख्या 3/115 आवंटित करने की सिफारिश कर दी।

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    एलडीए के पूर्व अफसरों का 14 वर्ष बाद पकड़ा गया फर्जीवाड़ा।

    लखनऊ, जागरण संवाददाता ।  लखनऊ विकास प्राधिकरण के पूर्व अफसरों ने कुछ ऐसे कारनामे कर डाले, जो आज के अफसरों के लिए नासूर बन गए हैं। अब करीब 14 वर्ष बाद एक ऐसा ही एक नासूर सामने आया है, जिसमें पूर्व के बड़े अफसरों ने नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए विकास दीप स्थित छह वर्ग मीटर की दुकान के बदले मान मुकुल सिंह नाम के व्यक्ति को गोमती नगर में विभूति खंड के भूखंड संख्या 3/115 आवंटित करने की सिफारिश कर दी। इसी तरह उजरियांव की कुछ जमीन के टुकड़े के बदले राजेश यादव को भी विभूति खंड का भूखंड संख्या 3/115 आवंटित करने की सिफारिश की गई।

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    कुल मिलाकर एक भूखंड के लिए दो दावेदार रहे और दोनों की फाइलें चलती रही।

    सिफारिश की फाइल में वर्ष 2007 में अपर सचिव रहे भूपेंद्र सिंह के फर्जी हस्ताक्षर हैं। इन चौदह सालों में दोनों दावेदारों ने अपने हिस्से का पैसा भी जमा कर दिया। सवाल खड़ा होता है कि 2,150 वर्ग मीटर के भूखंड, जिसकी कीमत वर्तमान में चार करोड़ से अधिक की है, नियमों को दरकिनार करते हुए कैसे समायोजन किया जा सकता है। फिलहाल मामला लविप्रा उपाध्यक्ष के पास पहुंच गया है। योजना देख रहे अफसरों ने भूखंड को निरस्त करने की सिफारिश की है। वही लविप्रा के सचिव पवन कुमार गंगवार ने अपनी टिप्पणी लिखकर उपाध्यक्ष के पास फाइल भेज दी है। माना जा रहा है कि एक भूखंड के लिए दोनों दावेदारों के आवेदन को निरस्त किया जाएगा और भूखंड को भविष्य में नीलामी में लगाया जाएगा। क्योंकि नियमानुसार कार्रवाई नहीं की गई और अधिकारों का गलत प्रयोग किया गया।

    पहले के भूखंड नहीं हुए निरस्तः लविप्रा के काबिल अफसरों ने विकास दीप की छह वर्ग मीटर दुकान के बदले विभूति खंड की 4300 वर्ग मीटर से बड़े वाणिज्य भूखंड को समायोजित कर दिया गया था, जो धर्मेश तनेजा के नाम था। लविप्रा द्वारा इसे अभी तक नीलामी में नहीं लगाया गया है। हालांकि मौखिक आदेश भूखंड के आवंटन को निरस्त करने के लिए किया जा चुके हैं। कागजों पर नहीं हुआ है।