KGMU: ट्रामा सेंटर में मारपीट के मामले में नौ जूनियर डॉक्टरों पर मुकदमा, चार को निलंबित कर जांच के लिए टीम गठित
लखनऊ के केजीएमयू में नर्सिंग ऑफिसर के साथ मारपीट के मामले में नौ जूनियर डॉक्टरों पर मुकदमा दर्ज किया गया है जिनमें से चार निलंबित हैं। कुलपति ने जांच के लिए कमेटी गठित की है। आरोप है कि रेजिडेंट डॉक्टर शराब के नशे में थे। नर्सिंग अधिकारियों ने कार्रवाई की मांग की जिसके बाद प्रशासन ने हस्तक्षेप कर मामले को शांत कराया।

जागरण संवाददाता, लखनऊ। किंग जार्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (केजीएमयू) में नर्सिंग ऑफिसर से मारपीट के मामले में नौ जूनियर डॉक्टरों पर मुकदमा दर्ज किया गया है, चार को निलंबित कर दिया गया है। निलंबित होने वाले चारों जूनियर डॉक्टर हड्डी रोग विभाग में तैनात हैं।
कुलपित प्रो. सोनिया नित्यानंद ने घटना की जांच के लिए चीफ प्रॉक्टर प्रो. आरएएस कुशवाहा की अध्यक्षता में कमेटी गठित की है, जो एक माह के भीतर रिपोर्ट सौंपेगी। ट्रामा सेंटर में इसके पहले भी मारपीट की घटनाएं हुईं हैं।
ट्रामा सेंटर में शनिवार देर रात रेजिडेंट डाक्टरों ने नर्सिंग ऑफिसर शुभम राव से मारपीट की। आरोप है कि रेजिडेंट डॉक्टर शराब के नशे में धुत थे। इस घटना के बाद करीब दो घंटे तक मरीजों का इलाज भी प्रभावित रहा। कुलपित के निर्देश पर एक टीम ने 24 घंटे में जांच रिपोर्ट दी।
केजीएमयू के प्रवक्ता प्रो. केके सिंह ने बताया कि प्रारंभिक जांच रिपोर्ट में चार रेजिडेंट अश्विन, आयुष, निखिल और अंकित वर्मा निलंबित किया गया है। ये सभी जांच पूरी होने या अधिकतम तीन माह के लिए निलंबित रहेंगे। चीफ प्रॉक्टर की अध्यक्षता में गठित जांच कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर आगे की कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी।
नर्सिंग अधिकारी ने कार्य बहिष्कार की दी थी चेतावनी
ट्रामा सेंटर में हुई मारपीट की घटना के बाद जूनियर डॉक्टर और नर्सिंग ऑफिसर लामबंद हो गए हैं। रविवार देर रात नर्सिंग अधिकारियों ने कार्रवाई की मांग पर ट्रामा सेंटर का घेराव भी किया था। नर्सिंग आफिसर सोमवार शाम चार बजे तक कार्रवाई होने के आश्वासन पर कार्य बहिष्कार समाप्त करने को तैयार हुए थे, लेकिन कोई कार्रवाई न होने पर नर्सिंग आफिसर एकजुट होकर ट्रामा सेंटर पहुंच गए।
जानकारी मिलते ही रेजिडेंट भी लामबंद होकर ट्रामा सेंटर पहुंच गए। स्थिति अनियंत्रित होते देख पैरामेडिकल संकाय के डीन प्रो. केके सिंह मौके पर पहुंचे और दोनों पक्ष को समझा-बुझाकर किसी तरह सभी शांत कराया। उन्होंने दोनों पक्षों से अलग-अलग बात की, तब सभी ड्यूटी पर लौटे।
विश्वविद्यालय को जूनियर डॉक्टर और नर्सिंग ऑफिसर दोनों के हित की रक्षा करना है। किसी के साथ गलत नहीं होगा। कुलपति व्यक्तिगत मामले पर नजर बनाए हुई हैं। यदि रेजिडेंट, नर्सिंग स्टॉफ या कर्मचारियों की वजह से मरीजों का इलाज प्रभावित हुआ तो बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। सबको अपनी बात करने का अधिकार है, लेकिन सेवा बाधित करके नहीं। -प्रो. केके सिंह, प्रवक्ता, केजीएमयू।
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