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    नवजात में सुस्ती दिखे या दूध न पीए तो तुरंत शुरू करें इलाज, बाल रोग विशेषज्ञ ने बताई ये जरूरी बातें

    Updated: Thu, 06 Nov 2025 08:40 PM (IST)

    लखनऊ में नवजात शिशुओं की देखभाल के लिए वर्चुअल मेंटरिंग कार्यक्रम शुरू हुआ। डॉ. सलमान ने बताया कि जन्म के बाद बच्चों की निगरानी जरूरी है। सांस न लेने पर पुनर्जीवन प्रक्रिया शुरू करें। नर्सिंग स्टाफ मां का दूध पिलाना सुनिश्चित करें। कंगारू मदर केयर समयपूर्व जन्मे बच्चों के लिए लाभदायक है। डॉ. पवन कुमार ने कहा कि यह कार्यक्रम नवजात मृत्यु दर कम करने में सहायक होगा और अन्य जिलों में भी लागू किया जाएगा।

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    जागरण संवाददाता, लखनऊ। नवजात शिशुओं की देखभाल में सबसे जरूरी है समय पर पहचान और सही प्रबंधन। डाक्टरों को जन्म के तुरंत बाद बच्चे की सांस, दिल की धड़कन, वजन और शरीर के तापमान की निगरानी करनी चाहिए। यह बातें बाल रोग विशेषज्ञ डा सलमान ने गुरुवार को लखनऊ से ईसीएचसी प्लेटफार्म के माध्यम से एक दिवसीय वर्चुअल मेंटरिंग कार्यक्रम में कहीं।

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    कहा कि यदि बच्चा सांस नहीं ले रहा है तो तुरंत नवजात पुनर्जीवन की प्रक्रिया शुरू करें। संक्रमण के लक्षण जैसे बुखार, सुस्ती या दूध न पीए तो तुरंत इलाज शुरू करें या बच्चे को उच्च केंद्र पर रेफर करें। नर्सिंग स्टाफ को सुनिश्चित करना चाहिए कि बच्चे को जन्म के एक घंटे के भीतर मां का दूध मिले, जिससे संक्रमण का खतरा घटता है और प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है।

    बच्चे को हमेशा साफ, गर्म और सूखे कपड़े में रखें, कमरे का तापमान नियंत्रित रहे। समयपूर्व जन्मे बच्चों के लिए कंगारू मदर केयर (मां की छाती से त्वचा संपर्क) बेहद लाभदायक है। डाक्टर और नर्स दोनों को हर केस की निगरानी रिकार्ड करनी चाहिए ताकि किसी भी जटिलता का समय पर पता चल सके।

    स्वास्थ्य विभाग और उत्तर प्रदेश तकनीकी सहयोग इकाई (यूपीटीएसयू) के सहयोग से आयोजित इस कार्यक्रम में सिक न्यूबोर्न केयर यूनिट के विशेषज्ञों ने न्यूबोर्न स्टेबिलाइजेशन यूनिट के स्टाफ को आनलाइन प्रशिक्षण दिया कार्यक्रम की अध्यक्षता परिवार कल्याण महानिदेशक डा. पवन कुमार ने की।

    उन्होंने बताया कि प्रदेश में फिलहाल 414 एनबीएसयू यूनिट्स कार्यरत हैं, जो नवजात मृत्यु दर को कम करने में अहम भूमिका निभा रही हैं। लखनऊ में शुरू यह पायलट वर्चुअल मेंटरिंग प्रोग्राम आगे चलकर अन्य जिलों में भी लागू किया जाएगा।