उत्तर प्रदेश में अल्पसंख्यक बहुल क्षेत्रों के लिए बनेंगी इन्फ्रास्ट्रक्चर की नई परियोजनाएं, जिलों से एक करोड़ के प्रस्ताव मांगे
उत्तर प्रदेश सरकार अल्पसंख्यक आबादी वाले क्षेत्रों में शिक्षा स्वास्थ्य और कौशल विकास जैसी बुनियादी ढांचा परियोजनाओं को शुरू करने जा रही है। प्रधानमंत्री जन विकास कार्यक्रम के तहत एक करोड़ से अधिक की लागत वाली परियोजनाओं के प्रस्ताव जिलों से मांगे गए हैं। 15 किलोमीटर के क्षेत्र में 25% से अधिक अल्पसंख्यक आबादी वाले क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा।

राज्य ब्यूरो, लखनऊ। प्रदेश सरकार अल्पसंख्यक आबादी वाले क्षेत्रों में इन्फ्रास्ट्रक्चर की नई परियोजनाएं शुरू करने जा रही है। यह परियोजनाएं प्रधानमंत्री जन विकास कार्यक्रम के तहत तैयार की जाएंगी।
इसके तहत शिक्षा, स्वास्थ्य, कौशल विकास, पेयजल, खेल, कृषि, महिला एवं बालश्रम एवं अन्य सामाजिक क्षेत्रों की एक करोड़ या उससे अधिक की बड़ी परियोजनाएं आकार लेंगी। सरकार ने सभी जिलों से अपने-अपने यहां के प्रस्ताव भेजने के लिए कहा है।
यह परियोजनाएं उन क्षेत्रों के लिए होंगी जहां 15 किलोमीटर के क्षेत्र में अल्पसंख्यक आबादी का घनत्व 25 प्रतिशत या उससे अधिक है। अभी तक सरकार का सारा जोर पुरानी परियोजनाओं के पूरा करने पर था। इनके पूरा होने के बाद अब फिर से नए प्रस्ताव मांगें गए हैं।
जिला स्तरीय कमेटी से परियोजनाएं स्वीकृत कराने के बाद इसे निदेशालय भेजा जाएगा। संयुक्त निदेशक राघवेन्द्र प्रताप सिंह को नई परियोजनाओं का समन्वयक बनाया गया है। इस योजना के तहत जरूरत और इलाके की स्थिति के हिसाब से कई तरह की परियोजनाएं बनाई जाएंगी।
शिक्षा से जुड़े बुनियादी ढांचे के तहत प्राथमिक, माध्यमिक व डिग्री कालेज, स्मार्ट क्लासरूम व ई-लर्निंग सुविधा के अलावा छात्रावास बनाए जा सकते हैं। आइटीआइ, पालिटेक्निक, कौशल विकास केंद्र का भी निर्माण इस योजना से हो सकता है।
स्वास्थ्य सुविधाओं के तहत प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, उप-स्वास्थ्य केंद्र, मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य देखभाल केंद्र, आयुष केंद्र का निर्माण कराया जा सकता है। सामुदायिक भवन/सांस्कृतिक केंद्र, खेल का मैदान और खेल परिसर व हाट-बाजार शेड भी इस योजना के तहत बनाए जा सकते हैं।
योजना के तहत पेयजल आपूर्ति की परियोजनाएं, सड़क, नाली और स्ट्रीट लाइट, सामुदायिक शौचालय के अलावा कौशल विकास प्रशिक्षण केंद्र, महिला कौशल प्रशिक्षण व उद्यमिता केंद्र, कोचिंग सेंटर के अलावा आंगनबाड़ी केंद्र, कामन सर्विस सेंटर, पुस्तकालय और पढ़ाई केंद्र भी इससे बनाए जा सकते हैं।
जिलों से प्रस्ताव आने के बाद मुख्य सचिव की अध्यक्षता में गठित कमेटी इन्हें स्वीकृत कर केंद्र सरकार के पास भेजेगी। वहां से 60 प्रतिशत धनराशि दी जाएगी जबकि 40 प्रतिशत धनराशि प्रदेश सरकार मिलाएगी।
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