उत्तर प्रदेश की जेल में अब कैदियों को नाम के पहले अक्षर के अनुसार मिलेगी बैरक, क्यों लागू करने पड़ी ये नई व्यवस्था?
उत्तर प्रदेश की जेलों में अब कैदियों को उनके नाम के पहले अक्षर के अनुसार बैरक आवंटित की जाएगी। यह नई व्यवस्था भेदभाव और भ्रष्टाचार के आरोपों को दूर करने के लिए की गई है। इससे मुलाकात के दौरान कैदियों को उनकी बैरक से बुलाने में भी सुविधा होगी। हालांकि सुरक्षा कारणों से जेल अधिकारियों को विशेष अधिकार भी दिए गए हैं।
राज्य ब्यूरो, जागरण, लखनऊ। जेलों में बंदियों की बैरक आवंटित किए जाने में भेदभाव व भ्रष्टाचार के आरोपों काे देखते हुए नई पहल की गई है। अब बंदियों को उनके नाम के पहले अक्षर के अनुरूप बैरक का आवंटन किया जाएगा। इससे मुलाकात के दौरान बंदियों को उनकी बैरक से बुलाने में भी सुविधा होगी।
जेल में बंदी को पहले 10 दिनों के लिए क्वारंटीन बैरक में रखा जाता है। इसके बाद उसे दूसरी बैरक में रखे जाने की व्यवस्था होती है। बैरक परिवर्तन के समय बंदियों की भ्रष्टाचार व भेदभाव की शिकायतों को देखते हुए कारागार प्रशासन ने अब बैरकों को संख्या के स्थान पर अंग्रेजी वर्णमाला के अक्षरों के अनुरूप विभाजित करने का निर्णय किया है।
ताकि क्वारंटीन बैरक का समय पूरा होने पर बंदियों को उनके नाम के पहले अक्षर के अनुरूप अलग-अलग बैरकों में भेजा जा सके। इससे बंदियों की मुलाकात कराने व उन्हें पेशी पर ले जाए जाने के दौरान उनकी तलाशी में भी जेल अधिकारियों को सुविधा होगी।
हालांकि डीजी जेल पीपी रामाशास्त्री ने यह व्यवस्था लागू किए जाने का निर्देश देने के साथ ही सुरक्षा कारणों से जेल अधिकारियों को विशेष अधिकार भी दिए हैं।
जेल में बंदियों के बीच गुटबाजी, आपसी टकराव व षड्यंत्र की आशंका तथा जेल प्रशासन विरोधी गतिविधियाें में लिप्त बंदियों को अलग बैरकों में रखने का निर्णय जेल अधीक्षक के स्तर पर लिया जाएगा। जेल के सुरक्षा प्रबंधों को देखते हुए अधीक्षक ऐसे बंदियों के बारे में निर्णय करेंगे।
महिला बंदियों व 21 वर्ष तक की आयु के बंदियों पर भी यह व्यवस्था लागू नहीं होगी। आतंकी व कुख्यात अपराधी भी सुरक्षा कारणों से पूर्व की भांति अलग बैरकों में ही रखा जाएगा।