यूपी में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में ही बीमार बच्चों को मिलेगा बेहतर उपचार, स्थापित होगी न्यू बार्न स्टेबलाइजेशन यूनिट
उत्तर प्रदेश में अब प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में ही बीमार और कमजोर बच्चों को बेहतर उपचार के लिए न्यू बार्न स्टेबलाइजेशन यूनिट स्थापित की जाएगी। इसके लिए परिवार कल्याण विभाग ने महत्वपूर्ण प्रस्ताव तैयार किया है। अब प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर न्यू बार्न स्टेबलाइजेशन यूनिट स्थापित की जाएगी।

लखनऊ [आशीष त्रिवेदी]। उत्तर प्रदेश की ग्रामीण और शहरी स्वास्थ्य सुविधाओं को बेहतर बनाने के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने तेजी से जमीनी स्तर पर काम किया है। इसी का परिणाम है कि प्रदेश के छोटे अस्पतालों से बड़े अस्पतालों में होने वाले रेफरल केस में कमी आई है। अब उत्तर प्रदेश परिवार कल्याण विभाग नवजात बच्चों की मृत्यु दर में और कमी लाने और संस्थागत प्रसव को बढ़ावा देने पर जोर दे रहा है।
इसके लिए महत्वपूर्ण प्रस्ताव तैयार किया गया है। अब प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों (पीएचसी) पर न्यू बार्न स्टेबलाइजेशन यूनिट (एनबीएसयू) स्थापित की जाएगी। कम वजन वाले और बीमार नवजात को इसमें तत्काल उपचार उपलब्ध कराया जाएगा। इसमें एक शिशु रोग विशेषज्ञ और नर्स हर समय तैनात रहेंगे।
महानिदेशक, परिवार कल्याण डा. लिली सिंह ने बताया कि पीएचसी पर न्यू बार्न स्टेबलाइजेशन यूनिट खोलने का प्रस्ताव तैयार किया गया है। जिले की ऐसी पीएचसी जहां बड़ी संख्या में प्रसव होते हैं, वहां सबसे पहले यह सुविधा दी जाएगी। फिर चरणबद्ध ढंग से इसे सभी पीएचसी पर स्थापित किया जाएगा। दो बेड की यह यूनिट होगी। अभी सभी जिलों के महिला अस्पतालों में 12 बेड की न्यू बार्न स्टेबलाइजेशन यूनिट है। इसमें भी आगे बेड बढ़ाए जाएंगे।
पीएचसी पर यह यूनिट स्थापित होने से रेफरल केसों में कमी आएगी और बच्चों की जान बचाने में और आसानी होगी। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (एनएफएचएस) पांच वर्ष 2020-21 की रिपोर्ट के अनुसार यूपी में गर्भवती व नवजात को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं देने के सुखद नतीजे सामने आए हैं। एनएफएचएस-चार वर्ष 2015-16 के मुकाबले अब तस्वीर काफी बेहतर हुई है।
वर्ष 2015-16 में प्रति एक हजार नवजात पर 63.5 की मौत हुई थी। अब वर्ष 2020-21 में यह घटकर 50.4 रह गई है। वहीं संस्थागत प्रसव यानी अस्पतालों में डिलिवरी भी बढ़ी है। वर्ष 2015-16 में 67.8 प्रतिशत गर्भवती की डिलिवरी अस्पताल में हुई थी। वर्ष 2020-21 में यह बढ़कर 83.4 प्रतिशत हो गई है। ऐसे में सुविधाएं बढ़ाकर संस्थागत प्रसव में बढ़ोतरी व नवजात की मृत्यु दर में कमी लाने के प्रयास तेज कर दिए गए हैं।

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