केंद्रीय विद्यालयों में NCERT की किताबों का संकट, जुलाई बीतने को आया, छात्र-शिक्षक परेशान
केंद्रीय विद्यालय और सीबीएसई स्कूलों में एनसीईआरटी की किताबों की कमी से छात्र और अभिभावक परेशान हैं। कक्षा आठ के छात्रों को विशेष रूप से कठिनाई हो रही है क्योंकि उन्हें केवल अंग्रेजी की किताबें मिली हैं और अन्य विषयों के लिए ब्रिज कोर्स का उपयोग करना पड़ रहा है। पाठ्यक्रम में बदलाव के कारण छपाई में देरी हुई है।

राज्य ब्यूरो, लखनऊ। प्रदेश के केंद्रीय विद्यालयों और सीबीएसई से संबद्ध स्कूलों में एनसीईआरटी की किताबों की किल्लत छात्रों और अभिभावकों के लिए सिरदर्द बन गई है। नया शैक्षिक सत्र अप्रैल में शुरू हुआ था, लेकिन जुलाई का आधा महीना बीत जाने के बावजूद अब तक कई कक्षाओं की किताबें बाजार में नहीं पहुंच पाई हैं।
सबसे ज्यादा परेशानी कक्षा आठ के छात्रों को हो रही है, जिन्हें अब तक केवल अंग्रेजी की किताब ही उपलब्ध हो सकी है। अन्य विषयों की किताबों के लिए शिक्षक और छात्र ब्रिज कोर्स की साफ्ट कापी और फोटो स्टेट नोट्स के सहारे पढ़ाई कर रहे हैं। एनसीईआरटी ने इस बार पाठ्यक्रम में बदलाव किया है, जिससे नई किताबों की छपाई और वितरण में देरी हो रही है।
शिक्षक आनलाइन सामग्री से काम चला रहे हैं, लेकिन अभिभावकों का कहना है कि इससे बच्चों की गहन समझ और आत्मविश्वास पर असर पड़ रहा है। केंद्रीय विद्यालयों के शिक्षकों की मानें तो किताबें अगस्त तक आने की संभावना है, लेकिन तब तक ब्रिज कोर्स ही पढ़ाई का अस्थायी आधार बना रहेगा।
आदर्श अभिभावक समिति के कोषाध्यक्ष भूपेंद्र सिंह का कहना है कि पाठ्यक्रम में बदलाव के साथ एनसीईआरटी को समय से पुस्तकें भी उपलब्ध करानी चाहिए, लेकिन इस बार ऐसा नहीं हुआ है। इसका नुकसान उन विद्यालयों के बच्चों को अधिक हो रहा है जहां एनसीईआरटी की किताबें चलती हैं।
निजी विद्यालयों में निजी प्रकाशक की पुस्तकें उपलब्ध हैं। उन्होंने एनसीईआरटी को पत्र लिखकर जल्द से जल्द किताबें उपलब्ध कराए जाने की मांग की है, ताकि बच्चों की पढ़ाई समय पर और व्यवस्थित तरीके से आगे बढ़ सके।
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