Nawab Jafar Mir Abdullah: लखनऊ के नवाब जाफर मीर अब्दुल्लाह का निधन, लंबे समय से चल रहे थे बीमार
Nawab Jafar Mir Abdullah का विवेकानंद अस्पताल में इलाज के दौरान निधन हो गया। वह 73 वर्ष के थे और लंबे समय से बीमार चल रहे थे। बुधवार को कर्बला ताल कटोरा में शाम आठ बजे सुपुर्द-ए- खाक किया जाएगा।

लखनऊ, जागरण संवाददाता: नवाब जाफर मीर अब्दुल्लाह का मंगलवार को विवेकानंद अस्पताल में इलाज के दौरान निधन हो गया। वह 73 वर्ष के थे और लंबे समय से बीमार चल रहे थे। उनके सबसे छोटे दामाद फराज अली ने बताया कि उनकी कई दिनों से डायलिसिस चल रही थी। बुधवार को कर्बला ताल कटोरा में शाम आठ बजे सुपुर्द-ए- खाक किया जाएगा। उनकी तीन बेटिया हैं।
उनके निधन की खबर फैलते ही उनके करीबियों और रिश्तेदारों में शोक छा गया। उन्होंने अपने पुरखों की विरासत को सुनहरी यादों के तौर पर संजोए रखा था। वह चौक में करीब 100 साल पुरानी कोठी में रहते थे। नवाब जाफर मीर अब्दुल्लाह के भाई मसूद अब्दुला ने बताया कि पुस्तैनी मकान में रहते थे। कोई भी विदेशी आता था तो उनसे मिले बगैर नहीं रह सकता था। उन्हें फिल्मों में काम करने का भी शौक था। गदर वन व गदर टू में वह काम कर चुके हैं।
फिल्मों में प्रयोग होता था उनके घर का सामान
नवाब जाफर मीर अब्दुल्लाह के पास नवाबों के वक्त के दुर्लभ सामान होने की वजह से कई बड़ी बालीवुड फिल्मों में उनके सामानों का इस्तेमाल हो चुका है। मुजफ्फ अली की उमराव जान फिल्म से लेकर गदर, मोनी बाबा व इश्कजादे जैसी कई फिल्मों में उनके घर का सामान प्रयोग हो चुका है। नवाब जाफर मीर अब्दुल्लाह अपने पूर्वजों के पीतल और तांबे के बर्तनों का ही इस्तेमाल करते थे।
मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली समेत कई लोगों ने जताया शोक
इमाम ईदगाह मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली ने उनके निधन पर शोक जताया है। उन्होंने कहा कि वह शहर की पहचान थे। उनके घर पीतल, चांदी और तांबे का बना हुआ पान दान, हुक्का के अलावा कई दुर्लभ सामान मौजूद हैं। उनकी जैसी शख्सियत होना मुश्किल है। आल इंडिया मुस्लिम महिला पर्सनल ला बोर्ड की अध्यक्ष शाइस्ता अंबर ने बताया कि मेरी उनकी कई बार मुलाकात हुई। उनके बातचीत के लहजे में लखनऊ की तहजीब नजर आती थी। अल्लाह उनकी आत्मा को शांति प्रदान करें।
मदरसा शिक्षा बोर्ड के सदस्य कमर अली ने उनके निधन पर शोक जताया है। उनका कहना था कि उनके मेरी कई बार मुलाकात हुई। वह कहते थे कि आपको अपनी तहजीब को संजोए रखना है। यही आपकी पहचान है।
लखनऊ गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के अध्यक्ष राजेंद्र सिंह बग्गा का कहना है कि उनके साथ सर्वधर्म समभाव की बैठकों में कई बार शामिल होने का मौका मिला है। वह नवाबी खानदान के थे, इसकी झलक उनके स्वभाव में दिखती थी। उनके जैसा व्यक्ति अब दूसरा पैदा नहीं होगा। उनकी आत्मा की शांति के लिए गुरु ग्रंथ साहिब से अरदास करता हूं।
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